कोरोना प्रभावित मरीजो का इलाज कर देश समाज नाम रोशन कर रहे है :डॉ रमेश चंद्रा रावत

लखनऊ: इस समय जिस बीमारी का नाम सुनकर लोग कांप उठ रहे हैं जिसके नाम का लोगो मे भय है कोई भी घर से निकलना नही चाहता है कोई भी आम आदमी या चिकित्सक जिन मरीजो के आसपास तक भी नही जाना चाहता है उस से प्रभावित पाजटिव एवम संदिग्ध मरीजो के इलाज के लिये आगे आये है , जनपद अमेठी के जगदीशपुर विधानसभा के बाजार शुक्ल ब्लॉक के पूरे नया (जैनबगंज)निवासी किसान परिवार मे जन्मे डॉ रमेश चंद्रा ।।डॉ चंद्रा वर्तमान समय मे किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ मे चिकितस्क पद पर कार्यरत हैं और उस चिकत्सक पैनल के अहम सद्स्य है जो कोरोना पाजिटिव मरिजो का इलाज कर रही है। साथ ही पहली कोरोना पाजिटिव मरीज डॉ नाजिया को भी ठीक करने मे सफल हुए है।।।


जिस समर्पण से उन्होने अपने चिकित्सक धर्म को निभाया है इस कार्य के लिए ना केवल चिकित्सक समुदाय,उनके ,क्षेत्र की जनता ईष्ट मित्र ,सराहना कर रहे है,उनकी देश विदेश से भी लोग तारीफ कर रहे है ।। देश के प्रधान-मंत्री कार्यालय से भी फोन कर उन् के कार्यो की सराहना की गई है ।।।।

पूर्व मे भी गरिबो की मदद के लिये कई जगह हो चुके है सम्मानित :
बताते चले की डॉ रमेश चंद्रा पहले भी कई सामजिक संगठनो एवं एनजीओ के माध्यम से गरीब एवं जरुरतमन्दो के इलाज एवं उन् के शिक्षा पर काम करते रहे है जिसके लिये उनको कई बार सम्मानित किया जा चुका है जिसमे प्रमुख रुप से पिछ्ले वर्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सम्मान ,उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष से सम्मान ,एवं विहार के मुख्यमंत्री के हाथो सम्मानित किया जा चुका है ।।।।


एक विशेष बातचीत मे डॉ रमेश चंद्रा ने बताया की मै अपने चिकत्सक धर्म का पालन कर रहा हूं ।जीवन मे बहुत कम समय ऐसा आता है जब आप काम की सराहना पूरे देश मे होती है पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है ,आप के लिये दुआये करता है आप को आशीर्वाद देता है ।।इसी का परिणाम है की हम सभी निडर हो करके अपना काम कर पा रहे है ।।और हम अपनी पहली कोरोना पाजिटिव मरीज को ठीक करने मे सफल हुए हैं ,आशा करते है की सभी मरीज जल्द ही सही हो करके घर जाएंगे।।

जहाँ आज बहुत से लोग डर कर अपनी ज़िम्मेदारी से दूर रहने की कोशिश कर रहे है, छुट्टी लेकर पर घर बैठे वहीं डा० रमेश चंद्रा जैसे साथी १२-१५ घंटे लगातार अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे है ।

सुधर जाओं पुलिस के साथ लुकाछुपी मत खेलों कोरोना भयंकर बीमारी है – सीमा सरोज

दिल्ली में रहकर समाजसेवा में बढ़चढ़कर हिस्सा लेंनें वाली सीमा सरोज नें कोरोना जैसी महामारी को मजाक बनाने वालें युवाओं की हरकतों को देखतें हुए अपने फेसबुक एकाउंट पर अपने साथ बच्चों की तस्वीर शेयर करतें हुए लिखती हैं कि “जब से 21दिन के लिए लोकडाउन् किया गया है ,हम देख रहे है कि लोग घर में नहीं बैठ रहे हैं । बाहर घूमते है पुलिस पीछे भागती है तो भाग कर गलियों में आ जाते है, ऐसा लगता है पुलिस के साथ पकड़ म पकड़ाई का खेल खेल रहे है, और गलियों में आकर जोर जोर हँसते है।ऐसा लगता है आप को घर में बैठाने पर पुलिस या प्रशासन का निजी स्वार्थ है, सुधर जाओ ये बीमारी है भयंकर बीमारी ! इसको मजाक मत समझो, एक होकर इस का सामना करो,अपना ना सही अपनों के बारे में सोचो ,जिस के लिए आप पूरी दुनिया हो,आज पुलिस ,डॉक्टर ,नर्श ,जिस से जो बन सके वो देश के लिए कर रहा है,आप उनका धन्यवाद भी नहीं कर सकते,उल्टा मजाक बना रखा है। प्रधानमंत्री का आप से निवेदन है इस बात को समझो ,बार बार कोई नहीं समझाएगा,घरों में रहे, सुरक्षित रहे ।

पासी राजा महाराजा बौद्ध थे ? हिंदू थे ? या दोनो नहि थे ? – एक चर्चा !!

पासी समाज के इतिहासकारों ने पासी समाज के राजा महाराजाओ पर इतनी खोजे की है, इतना कुछ लिखा है इतने साक्ष्य दिए है की जिससे बहुत कुछ पता चल जाता है । तक़रीबन सभी पासी प्रमुख इतिहासकार , चाहे वह राजकुमार जी हो ,रामदयाल वर्मा जी हो , के पी राहुल जी हो , आर ए प्रसाद जी हो या बाक़ी के इतिहासकार सभी ने पासी समाज के बारे बहुत कुछ लिखा है और सब के सब एक ही दिशा दिखाते है राजा महरजाओं की ।

पर सोशल मेडिया पर लोग अपना ही ज्ञान देने में यक़ीन रखते है कुछ पढ़ना -लिखना या सुनना नहि चाहते है । वह जो मानते है बस वही सही है बाक़ी सब ग़लत ।

पासी इतिहासकारो ने इसके बारे में क्या लिखा है यह आपको ख़ुद ही पढ़ना पड़ेगा । इन माननिय लोगों इतना कुछ लिखा है की मेरा कुछ कहना बहुत मायने नहि रखता पर सोशल मीडिया में रायता फैला रखा है । इसलिए इस पर एक चर्चा –

पासी राजाओं को हिंदू बताने का सबसे बड़ा कारण लोग यह बताते है की राजा महाराजाओ के महल में देवी का मंदिर मिला है ? पर किस देवी का मंदिर मिला है ? वह मंदिर कितना पुराना है ? अरे भाई नीचे कुछ तस्वीरों को देखिए बुद्ध की मूर्तियों को देवता में बदल करके मंदिर में बदल दिया तो राजाओं के महल में पूजा स्थल को मंदिर बनाने में कितना समय लगेगा ?

उसके अलावा देवी या देई शब्दों के रहस्य को समझिए ,देवी का मंदिर है या देई का मंदिर है ? पासी समाज में २-३ पुरानी पीढ़ियों के महिलाओं के नाम देखिए नाम को देखिए देवी नहि देई नाम से मिल जायेंगी जैसे की राददेई या राजदेई उसके बाद देई शब्द के इतिहास को देखिए।देई नाम हमारे सामज के पुराने बहुत से लोग क्यों उपयोग करते थे।

अभी कुछ पीढ़ी के पहले जा कर देखिए पासी समाज के पुराने लोग मंदिर वैग्रह के भगवानो से जयदा महत्वपूर्ण उनके ख़ुद के देवता होते थे जो की उनके घरों के किसी कोने में रहते थे । हर दुःख सुख में उन्हीं घर में रहने वाले देवताओ के सामने ही पूजा अर्चना करता थे ना की किसी मंदिर वैग्रह के भगवानो के यहाँ जाते थे ।

वैसे भी पासी राजा महरजाओं के समय हिंदू शब्द जयदा प्रचलित भी नहि था तो वैसे भी इस शब्दों का उनसे कोई लेना देना शायद नहि था ।

तो क्या वह बौद्ध थे ??

उसके पहले यह समझना होगा की बौद्ध धर्म और बौद्ध सभ्यता दोनो अलग अलग है । बौद्ध सभ्यता महात्मा गौतम बुद्ध के बहुत पहले से भारत में प्रचलित थी । हड़पा की खुदाई में स्तूप और बौद्ध सभ्यताओं का मिलना इसकी पुष्टि करते है । गौतम बुद्ध तो बहुत बाद में जन्म लिए थे बौद्ध सभ्यता जो बुद्ध से पहले ही थी गौतम बुद्ध ने उसे आगे बढ़ाया और बाद में उन्होंने धम्म का प्रसार किया जिसे आज लोग धर्म से जोड़ देते है ।बौद्ध सभ्यता भारत इसी भूभाग की सभ्यता थी ।कोई बाहरी चीज़ नहि है इसी धरती की उपज है ।

पासी राजा महाराजा बौद्ध धर्म को मानते थे यह नहि कह सकता पर हिंदू धर्म को नहि मानते थे यह यक़ीन से कह सकते है क्योंकि उससे इन लोगों का कोई लेना देना नहि है ।

हाँ इन लोगों ने बौद्ध सभ्यताओं को आगे बढ़ाया यह कहा जा सकता है पर वह बुद्ध या बुद्ध के धर्म से अलग रहा हो सकता है ।

बौद्ध सभ्यता और पासी के लिंक को इतिहासकार राम दयाल वर्मा के एक लेख “ नाग, असुर और पासी के संबंध”से समझा जा सकता है ।

जो जानकरियाँ अभी तक मिली है उससे पता चलता है वह लोग किसी भी देवी ,देवता या बुद्ध को नहि पूजते थे यह कहा जा सकता है । वह लोग भी अपने कुल देवताओं को ही पूजते रहे होंगे । ।हमारे घरों के जो देवता होते थे उसमें किसी की मूर्ति नहि होती थी । वह बस पूर्वजों को पूजते थे । क्या यह बौद्ध सभ्यता से नहि मिलता जुलता ? बौद्ध सभ्यता में भी मूर्तियों को पूजने का रिवाज नहि था यह तो महात्मा गौतम बुद्ध के बाद कुछ लोगों ने मूर्तियों को पूजन शुरू किया जो आज भी जारी है ।

हम सबको एक ही में मिक्स कर देते है इसलिए हम धर्म से ऊपर जा ही नहि आ पाते और बहुत लोग बुद्ध से बड़ा विरोध है तो बौद्ध से जुड़ी हर चीज़ को गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से जोड़ देते है ।

मुझे लगता है पासी राजा महाराजाओं का हिंदू धर्म से जयदा लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से भी शायद जयदा लेना देना ना रहा हो । पर बौद्ध सभ्यताओं से यह लोग जुड़े थे या पासी के पूर्वज बौद्ध सभ्यताओं से थे यह कहा जा सकता है भले ही गौतम बुद्ध को ना पूजते रहे हो ।

एक और बात जो महत्वपूर्ण लगती है इस दिशा में जब पासी राजा महाराजाओं का राज था इस भारत देश पर तो उस समय देश के राजाओं में मंदिर बनाने का बड़ा चलन था । पासी समाज के इतने बड़े राजा महाराजा हूये है , सम्राट और चक्रवर्ती राजा भी थे क्या उन पासी राजाओं ने एक भी भव्य मंदिर बनाया ?? किसी भी पासी राजा ने बनवाया ? इतने बड़े राजा और महाराजा जिनका एक बड़े भूभाग पर शासन था क्या ऐसा पोस्सिबल है कोई एक भी भव्य मंदिर ना बनवाए ?

एक भी बुद्ध विहार भी नहि बनवाए !

इसलिए मेरा यह कहना है की हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म से भी , क्योंकि तब तक बुद्ध धम्म को देश से बाहर किया जा चुका था ,पर बौद्ध सभ्यता से जुड़े थे क्योंकि यह भारत की प्राचीन सभ्यता है जो हड़प्पा और मोहन जोदडो के समय से चली आ रही है ।

मुझे लगता है पासी इतिहासकार बहुत आसानी से यह साबित कर सकते है की वह क्या थे ? पर इससे विवाद जन्म लेगा और पासी समाज में ऐसे ही इतनी समस्याएँ है ,आपस में मत भेद है एक और विवाद ठीक नहि होगा । इसलिए जिसे जो मानना है माने चाहे हिंदू माने या बौद्ध पर आपस में लड़ाई ना करे अपनी मान्यताओ को दूसरे पर ना थोपे ,दूसरों को नीचे दिखाने की कोशिश ना करे । अपने अपने साक्ष्यों और जानकारियों के हिसाब से अपनी बातों पर क़ायम रहिए पर दूसरों पर थोपिए नहि । बस तर्क शील और प्रूफ़ साथ अपनी बातें संयम से रखते रहिए ।

इस समय बौद्ध या हिंदू की बजाय एकता की ज़रूरत है और अलग अलग मान्यताओ के बावजूद हम एक साथ रह सकते है और पासी समाज की समस्याओं से लड़ सकते है ।

(यह लेख मेरे निजी बिचार है और इसका किसी भी तरह के संगठन या संस्थाओं से लेना देना नहि है । यह लेख पासी इतिहासकारों, पासी इतिहास और भाषा वैज्ञानिक डा० राजेंद्र प्रसाद द्वारा खोजी गई जानकरियों के आधार पर लिखा है )

*राजेश पासी,मुंबई*

सोरांव में 10 दिन से गायब पासी की हत्या , पूर्व विधायक नें मांगा 25 लाख का मुआवजा

प्रयागराज / मऊदोशपुर मऊआइमा में पासी राम बरन सरोज उम्र पचास वर्ष जो क़रीब दस दिन से लापता थे उनकी हत्या कर फेंकी गई लाश गाँव के ही मितवा तालाब में मिली है । जिसको लेकर के माउआइमा थाने का ग्रामीणों ने सुबह ही घेराव किया था । शिवबरन सरोज बिगत 11 फरवरी से घर से गायब था । घर वालों ने काफ़ी खोजबीन किया लेकिन कोई जानकारी न मिलने पर 12 फरवरी को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थीं ।

हत्या की सूचना मिलते ही पूर्व विधायक सोराव सत्यवीर मुन्ना मृतक के घर पहुँच गए और रोते बिलखते परिजनों से मिल ढाँढस बँधाया और शोक संवेदना व्यक्त की और घटना के तत्काल खुलासे हेतु सी०ओ० सोराव से बात कर आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी तथा उपज़िलाधिकारी सोराव से बात कर मृतक के परिजनों को अनुमान्य, पारिवारिक लाभ योजना, विधवा पेंशन, कृषक बीमा जैसी लाभार्थी योनाओं से पोषित कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 25 लाख रुपए की त्वरित आर्थिक मदद ग़रीब परिवार को सुलभ कराना की व्यवस्था हेतु मांग की ।

इस अवसर पर भारी संख्या में ग्रामीणों के साथ जिला उपाध्यक्ष समाजवादी पार्टी मेराज आरिफ़ विधानसभा अध्यक्ष सुभाष यादव, वि.स. उपाध्यक्ष लाल बाबू पटेल, अरविंद श्रीवास्तव, विनोद यादव मृतक के घर पहुँचे। इलाक़े के ग्रामीणों में वर्तमान सरकार में लचर क़ानून व्यवस्था और भय के माहौल को लेकर काफ़ी आक्रोश है।

ब्राह्मणों की पासी युवक की हत्या, रिपोर्ट दर्ज, कार्यवाही की मांग

प्रयागराज / कल बीती लगभग रात 7 बजे श्रृंगवेरपुर में संजय पासी की गांव के ही रमाकांत पांडेय देवेश पांडेय ,रामु पांडेय ,सुरेश पांडेय ने गोली मारकर हत्या कर दी, मृतक के दो बच्चे है । मृतक के बड़े भाई की पहलें ही मृत्यु हो चुकी हैं। उनके भी दो बच्चे हैं जिनका खर्च भी मृतक ही उठा रहा था । अब घर मे कोई कमाने वाला नही बचा ।

पत्नी के तहरीर पर पुलिस रिपोर्ट दर्ज करके धर पकड़ शुरू कर दीं है। अब तक एक आरोपी को पुलिस ने गिफ्तार कर लिया है, दूसरे को पब्लिक ने मारकर घायल कर दिया है ,जो पुलीस के कस्टडी इलाज करा रहा है। दो मुलजिम फरार हैं।

आज एडवोकेट लालाराम सरोज ने अपने जूनियरों के साथ जा कर पोस्टमार्टम करवाया और हर सम्भव कानूनी मदद का अस्वाशन दिया हैं और मांग किया कि सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए सहित मृतक परिवार को मुवावजा दिया जाए।

मोदी के सीएए-एनआरसी से भारत का संविधान खतरें में है – उदय नारायण चौधरी

• पटना में जगलाल चौधरी की 125वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई.

बिहार पटना के अनुग्रह नारायण सामाजिक अध्ययन संस्थान में स्वतंत्रता सग्राम सेनानी जगलाल चौधरी की 125 वीं जयंती मनाई गई । जिसका उद्घाटन बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने किया। इस जयंती समारोह का आयोजन जगलाल चौधरी स्मृति संस्थान के द्वारा किया गया। इस अवसर पर उदय नारायण चौधरी ने सभा को सम्बोधित करतें हुए कहा कि

आजादी की लड़ाई में जगलाल चौधरी बड़ी भूमिका रही है।उनके नेतृत्व में आजादी की लड़ाई में दलित समाज के साथ साथ आज़ादी के दीवानें समाज के युवाओं ने बडी मात्रा में साथ खड़े रहें । उनके करिश्माई नेतृत्व से जगलाल को ‘बिहार का गाँधी’ कहा जाने लगा था । लेकिन अफ़सोस कि जिस देश को उन्होंने आजादी दिलाई , उस देश का संविधान आज खतरे में है और लोकतांत्रिक ब्यवस्था को चोट पहुंचाया जा रहा हैं । मोदी द्वारा लाया गया एनआरसी, सीएए जैसे काले कानून देश पर थोपा जा रहा है। उदय नारायण चौधरी ने जोरदार शब्दों में इस काले कानून का विरोध किया। इसके पहले जगलाल चौधरी स्मृति संस्थान के अध्यक्ष बिहारी प्रसाद ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया।

जगलाल चौधरी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिसका जन्म 05 फरवरी 1895 को छपरा जिले के गरखा गांव में एक पासी परिवार में हुआ था।वे बचपन से ही इतने मेधावी थे की उन्हें राज्य सरकार की ओर से कक्षा 9 से ही ₹5/- वजीफा मिलता था।वे कक्षा 10 में पूरे जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था।चौधरी जी जब मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र थे उसी समय सन 1921 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए।1932 के नमक आंदोलन में वे जेल भी गए।वर्ष 1937 में पूर्णिया जिले के कुर्सेला विधान सभा कांग्रेस पार्टी के विधायक भी चुने गए।और वे स्वास्थ्य एवम् उत्पाद मंत्री भी बनाए गए।1938 में सर्व प्रथम उन्होने ही मद्द निषेध लागू करवाया।1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया ,बिहार सरकार से उन्हें इस्तीफा दे दिया।सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें 1941 में जेल जाना पड़ा।अंत में 22 अगस्त 1942 को गरखा में अंग्रेजों की गोली से शहीद हुए।14 अगस्त 2000 को जगलाल चौधरी के नाम पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया ।बिहार सरकार ने भी उनके जन्म दिन 05 फरवरी को राजकीय सम्मान के साथ उनकी प्रतिमा स्थल पर उनकी जयंती मनाया गया ।

जयंती समारोह को विधायक बंटी चौधरी, राघो चौधरी ,डॉ धर्मदेव चौधरी,हीरालाल चौधरी,राजा चौधरी,अशोक चौधरी, बी के चौबे ,कामेश्वर गुप्ता,बिनोद चौधरी,सुनील कुमार,शिबू महतो,अनुज चौधरी,निशांत चौधरी, अमित कुमार और देव कुमार चौधरी ने भी संबोधित किया।
समारोह का संचालन संस्थान के सचिव ई.विश्वनाथ चौधरी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन जगदीश चौधरी ने किया।

रिपोर्ट : निशांत चौधरी , अमित कुमार

‘बिहार के गाँधी ‘नाम से चर्चित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती

●अजय प्रकाश सरोज

बिहार के गाँधी नाम से चर्चित स्वतंत्रता सग्राम सेनानी व पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी जी का आज 5 फरवरी को जयंती हैं । पटना में बिहार सरकार और पासी समाज के द्वरा प्रत्येक वर्ष कार्यक्रम आयोजित होता हैं जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर अपने नेता जगलाल चौधरी को याद करतें उनके किये गए के कार्यों पर चर्चा करतें हैं । इस वर्ष भी ए .एन.सिन्हा समाजिक अध्ययन संस्थान में कार्यक्रम किया गया है

कौन थें जगलाल चौधरी –

5 फरवरी 1895 को जगलाल चौधरी
एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता , नेता और बिहार , भारत के राजनीतिज्ञ थे । वह एक सुधारक भी थे, जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों , दलितों की मुक्ति, शिक्षा और बिहार में भूमि सुधार के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे ।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जगलाल जी का जन्म बिहार में सारण जिले के गरखा गांव में पासी जाति के ताड़ी विक्रेता मुशन चौधरी के घर हुआ था । उनकी शिक्षा छपरा जिला स्कूल, पटना कॉलेज और मेडिकल कॉलेज कलकत्ता में हुई थी।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पुत्र भी शहीद-

चौधरी जी ने अपनी चिकित्सा शिक्षा बंद कर दी और 1921 में गांधी जी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए । वह जिला कांग्रेस समिति के सदस्य बने और नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । 1941 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के लिए जेल में डाल दिया गया और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की ऊंचाई पर उन्होंने सत्याग्रह का नेतृत्व किया और पुलिस स्टेशन और डाकघर पर कब्जा कर लिया।गरखा में इसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और पांच साल कैद की सजा सुनाई गई। चौधरी जी के एक बेटे इंद्रदेव चौधरी को पुलिस ने आंदोलन के दौरान गोली मार दी थी।जिसमें वें शहीद हो गए। चौधरी जी 23 अगस्त 1942 से 30 मार्च 1946 तक उनकी रिहाई तक जेल में ही रहे।

राजनीतिक सफ़र

चौधरी जगलाल जी पहली बार 1937 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे और वह चौथे मंत्री बने, तब बिहार सिर्फ चार ही मंत्री बनतें थें । प्रधानमंत्री तब मुख्यमंत्री को ही प्रधानमंत्री कहा जाता था ,उस समय कांग्रेस के मंत्रालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य और आबकारी के प्रभारी बने। बिहार में शराबबंदी का लागू करने की हिमाक़त चौधरी जी ने ही उस दौरान की थीं। 1946 में उन्हें फिर से विधानसभा में शामिल किया गया और वे कांग्रेस के सार्वजनिक स्वास्थ्य और हरिजन कल्याण मंत्री बने । स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने 1952 के आम चुनावों को सफलतापूर्वक लड़ा और बाद में 1957, 1962, 1967 और 1969 के चुनावों में विधानसभा के लिए फिर से चुने गए ।

चौधरी साहब बिहार में सामाजिक सुधार के पैरोकार थे। आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने बिहार में शराबबंदी लागू की। और बिहार में भूमि सुधार की वकालत करते हुए प्रति परिवार तीन एकड़ भूमि की ज़मीन सीलिंग की मांग कर रहे थे। 1953 में उन्होंने भारत को पुनर्निर्माण के लिए एक योजना लिखी।

मृत्यु और स्मरणोत्सव

जगलाल चौधरी जी की 1975 में मृत्यु हो गई। छपरा में जगलाल चौधरी कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखा गया है। जगलाल चौधरी जी पर एक स्मारक डाक टिकट २००० में डाक विभाग जारी किया गया था । और अभी कुछ वर्ष पहलें उनकी अदम कद प्रतिमा भी पटना में लगाई गई हैं ।

देश ठेके पर चलेगा और हम कब गुलाम हो जायँगे पता भी न चलेगा- संपादक अजय प्रकाश

प्रयागराज : आज इलाहाबाद के अल्लापुर इलाके में किसानों – नौजवानों से सम्बंधित एक सामाजिक बैठक को सम्बोधित करतें हुए संपादक अजय प्रकाश जी ने अपनी राय रखी और कहा कि – किसानों की फसल का डेढ़ गुना दाम का दावा करने वाली सरकार किसानों की फसलों को नष्ट करवा रही हैं ।

खेती किसानी को आवारा पशुओं से बचाने में किसानों की नींद हराम हुई हैं, मॉब लॉन्चिंग की डर से किसानों का पशु ब्यापार ठप हो गया हैं । उसके जेब मे पैसे नही आ रहें हैं । देश में नौजवानों के हाथ मे रोजगार नही हैं करोंड़ों नौजवान बिना काम के घर बैठें है, परिवार और समाज में ईर्ष्या का दंश सह रहें है।सरकारी संस्थाओं को निजी कम्पनियों के हाथों बेचा जा रहा है । नौजवानों से मोटी रकम वसूलकर ठेके पर अस्थायी नौकरी दीं जा रही हैं।

देश की बिगड़ी हालात का जिम्मेदार देश का जवान और किसान है जो चुप है । अब इसे अपने हक़ के लिए इंकलाब करना होगा । वरना मोदी देश को भी प्राइवेट कम्पनियों के हाथों बेच देगा , हम आप देखते रह जाएंगे । देश ठेके पर चलेगा और हम कब गुलाम हो जाएंगे यह भी पता नही चलेगा ।

जय जवान ..जय किसान.. जय संविधान

पानी को तरस रहें पासियों की नही सुन रहा है उनका विधायक, प्रदेश में है राज्यमंत्री

जनपद अमेठी देश में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जिला है । यहां एक सुरक्षित विधानसभा है जगदीश पुर जहां से बीजेपी का विधायक है और योगी सरकार में उसे राज्यमंत्री का बनाया गया है। लेकिन गाँव मे पेयजल की समस्या है जिसके लिए स्थानीय लोग मंत्री से कई बार मिलें लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला लेकिन हैंडपंप नही ! इस मोहल्ले में अधिकांश जनसंख्या पासी जाति की है और मंत्री भी पासी जाति से ही आतें हैं। ग्रामीण पासियों ने पुनः एक बार लिखित प्रार्थना पत्र देकर मांग किया है कि उनके मोहल्ले में पानी की ब्यवस्था कराई जाएं लेकिन अभी तक उनकी कोई सुध लेने नही आया ।

गाँव का ही एक लड़का जो अपनी फेसबुक पर इस तरह पोस्ट लिखा

” माननीय सुरेश पासी जी, राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार आपके जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत ब्लॉक शुकुल बाजार मऊजा हरखूमऊ गांव पासी पुरवा के निवासी आपको प्रार्थना पत्र लिख लिख कर एक अदद हैंडपंप के लिए तरस गए और मंत्री जी के सिर पर जूं तक नहीं रेंग रही..’

महाराजा बिजली पासी कीलें पर पासी सामाजिक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा ,नही आया गीदड़ भपकी देनें वाला अराजक तत्व

लखनऊ / राजभर समाज के कुछ छुट भैया नेताओं एवम् अराजक तत्वो द्वारा लखनऊ स्थित बंगला बाजार में बीर शिरोमणि महाराजा बिजली पासी के किले का नाम बदलने एवम् किला प्रांगण में हवन, यज्ञ आज 30 जनवरी को किए जाने के षणयंत्र को विफल करने के लिए उत्तर प्रदेशीय पासी जागृति मंडल द्वारा दी गई सूचना के अनुसार उन्नाव के साथी राकेश आचार्य,राजाराम बौध्द,जगतपाल रावत,सुर्यपाल मुरली प्रसाद एवम् दिनेश कुमार वर्मा के साथ प्रेरणादायी पावन भूमि महाराजा बिजली पासी किला भूमि पहुंच कर प्रतिभाग किया।इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के संम्पूर्ण जनपदों से हजारों की संख्या में पासी समाज के संघर्षशील सामाजिक कार्यकर्ताओं , नवयुवकों, विधार्थियों महिलाओं ने षणयंत्र कारियो की निन्दा करने के साथ ही पासी समाज के इतिहास से छेड़छाड़ न करने के लिए आगाह करते हुए चेतावनी दी कि पासी,और भर समाज दोनों एक ही जाति है,जो अज्ञानता वश कतिपय कारणों से एक दुसरे से अलग हो गए हैं। कुछ स्वार्थी तत्व अपने फायदे के लिए दोनों को एक साथ आने नहीं देना चाहते हैं।उनकी किसी भी तरह की साज़िश को देश का संम्पूर्ण पासी समाज किसी भी तरह सफल नहीं होने देंगा।बीर शिरोमणि महाराजा बिजली पासी का किला आज जिस रूप में विद्यमान है,उसके लिए देशभर के पासी समाज ने उत्तर प्रदेशीय पासी जागृति मंडल सहित संगठनों के नीति निर्देशन में बहुत लम्बा संघर्ष किया है।उसे किसी भी कीमत पर मिटने नहीं दिया जायेगा यह इतिहास भारत वर्ष के समस्त मूलनिवासी समाज के लिए गौरव एवं प्रेरणा का श्रोत है।आज पासी समाज की ऐतिहासिक धरोहर के रक्षार्थ ,श्रीमती राजेश्वरी,अध्यक्ष,रामकृपाल पासी एडवोकेट, डी पी रावत ,सरस्वती प्रसाद,के.एल राजवंशी, शिवकुमार पुर्व अध्यक्ष ,राजकुमार इतिहास कार राष्ट्रीय पासी महासंघ अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद रावत,रामयश विक्रम , अखिल भारतीय पासी समाज के अध्यक्ष श्री आर ए प्रसाद (पूर्व आई. ए .एस)श्रीपाल वर्मा पूर्व पी सी एस, मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर एवं पूर्व सांसद श्रीमती प्रियंका सिंह रावत, राष्ट्रीय कल्याण मंच के अध्यक्ष अनोद रावत ,राकेश कुमार वास्तविक, भारशिव ऐतिहासिक शोध संस्थान के अध्यक्ष यशवंत सिंह ,डॉ रमेश कुमार,इलाहाबाद के साथी लालाराम सरोज,रंजीत पासी, राजेन्द्र सरोज, राकेश पासवान सहित हजारों पासी समाज के रणबांकुरों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज़ कराई और पासी समाज के स्वाभिमान हेतु हर प्रकार के संघर्ष में तन,मन,धन से सहयोग करने की शपथ लीं ।पासी समाज की चेतना से आज कोई भी लफ़ंगा महाराजा बिजली पासी किला पर अपने नापाक मंसूबों को लेकर आने की हिम्मत नही कर पाया ।