लोजपा नेता कमला कुमारी ने किया वृक्षारोपण

आज शाम को लगभग 5:30 बजे प्रयागराज के भरद्वाज पार्क की ठीक सामने डीसी छात्रावास को स्थापित करने वाले स्वर्गीय महाशय मसूरिया दीन जी की पुत्री लोजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कमला कुमारी ने वृक्षारोपण किया। जिसमें के.सी .सरोज( पूर्व आईएएस), व उनकी पत्नी लोजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष विनीता सरोज अनिल श्रीवास्तव , विनय कुशवाहा , कामना मिश्रा , राजेश श्रीवास्तव, विशाल यादव तथा डीसी हॉस्टल के अंतः वासी छात्र भी उपस्थित रहे.

पौधरोपण के बाद छात्रावास में एक बैठक कर छात्रावास के छात्रों समस्याओं के निराकरण पर वार्तालाप किया गया। श्रीमती कमला कुमारी जी ने बारा विधायक डॉ अजय भारती जी को फोन से वार्तालाप करके समस्या का निराकरण करने के लिए बातचीत किया ।

उन्नाव में है ख़ूबसूरत राक्षस भवन, और उससे भी ख़ूबसूरत है उसमें रहने वाले लोग!

उन्नाव : जी हाँ जो घर आप तस्वीरों में देख रहे है वही है राक्षस भवन । इसमें शूद्र शिव भारती पासी अपने परिवार के साथ रहते है । 

राक्षस का नाम आते ही हमारे दिल दिमाग़ में रामायण और महभारत में दिखाए हुए राक्षसों का दृश्य सामने आता है जो गंदे से और सिर पर सींग लिए हुए रहते है ।
आज हम जानते है की राक्षसों की वह तस्वीर पूरी तरह से काल्पनिक है । आज हम यह भी जानते है की राक्षस शब्द बना है रक्षक से रक्षा करने वाले से । 
राक्षस कौन थे या कौन है यह तुरंत ही समझ में आ जाता है जब आप आर्य – अनार्य की चर्चा करते है जब अब देव – असुर संग्राम की चर्चा करते है ।

आर्य जो बाहर से आए थे अनार्य जो यहाँ के थे उनसे युद्ध हुआ । जब आप जानते है की वह आर्य थे तो आप आज के शूद्र कौन थे ….?

हिरनयकश्यप और महिसासुर यहाँ के राजा थे और आर्योंने उन्हें राक्षस और असुर का दर्जा देकर विलेंन बना दिया । 

अब तो सच्चाई सामने आने के बाद कई जगह पर महिसासुर की जयंती भी मानाना शुरू हो गया है ।

कई लोग समझने लगे है पर फिर भी पब्लिक में ऐसा ऐक्सेप्ट करने की हिम्मत करने वाले बहुत कम है ।

हमारे पासी समाज में तो लोग बुद्ध या अंबडेकर की तस्वीर लगाने में डरते है की लोग क्या कहेंगे ।
पर शिव पासी जी की हिम्मत देखिए उन्होंने अपना ख़ूबसूरत घर बनवाया और उसका नाम रख दिया राक्षस भवन । हैरत है भारत देश में कोई इंसान ऐसा कर सकता है ।भले ही हम हक़ीक़त जानते हो की राक्षस मतलब क्या होता है पर इस देश की अधिकांश जनसांख्या के लिए राक्षस मतलब वही राक्षस होता है जो हमें बचपन में सिखाया गया है ।

बावजूद इसके शिव पासी जी ने इतनी हिम्मत दिखाई यह कोई आसान काम नहि है । आज जहाँ सारी जातियाँ अपने को क्षत्रिय मनवाने में लगी है शिव पासी जी ने न सिर्फ़ अपने नाम के आगे बल्कि पूरे परिवार के नाम के आगे शूद्र रखवा दिया है ।

मैंने जब उनसे पूछा इतना बड़ा क़दम पब्लिक रूप से उठाया है आपको या आपके परिवार वालों को परेशानी नहि उठानी पड़ी । तो शूद्र शिव पासी जी बोले किसी न किसी को तो आगे आना ही पड़ता है । मैं भीड़ के साथ चलने के बजाय एकला चलो पर विश्वास करता हु । हो सकता है इस कार्य के लिए मुझे लोग मूर्ख या नादान समझे पर यह मेरे और मेरे परिवार द्वारा सोच समझकर लिया हुआ क़दम है ।

शूद्र शिव पासी जी लेखक और नॉवलिस्ट भी है पर फिर वही धन और सहयोग की कमी की वजह से उन्हें वह अवसर कभी नहि मिल पाया जिनके वह अधिकारी थे । 
बरहाल कभी आप उन्नाव जाइएगा तो ज़रूर मिलिएगा मैंने तो बात की उस हिसाब से काफ़ी मिलन सार है और समाज के नाते वह आपका स्वागत भी करेंगे ।
नोट : शूद्र शिव पासी जी ने सही किया है या ग़लत यह कहने का हक़ पत्रिका को नहि है । पत्रिका का मक़सद आप तक ख़बर पहुँचना है । सही ग़लत का फ़ैसला आपका है । रिपोर्टर के तौर पर मैं राजेश पासी , मुंबई से शूद्र शिव पासी जी से सहमत हु और इसे एक बड़ा क़दम मानता हु । एक ऐसा क़दम जिसे उठाने का साहस सबके बस की बात। नहि है ।
शूद्र शिव भारती पासी सम्पर्क – +91 88969 25849

राजेश पासी , मुंबई 

पत्रकार रवीश कुमार के जातीय आंकड़े का विरोध – अजय प्रकाश सरोज

10 मार्च को एनडी टीवी के वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने प्राइम टाइम के कार्यक्रम में पासी जाति की संख्या 14 प्रतिशत बताया है जो बिलकुल गलत है। जाटवों की संख्या को उन्होंने 56 ℅ बताया यह आंकड़ा भी झूठ है । 
रवीश जी को मैं अक्सर आंकड़े के साथ ही बोलते देखा है लेकिन यह आंकड़ा जहां से उन्होंने लिया है यह सही नहीं है। यह प्रश्न उस वेबसाइट पर तो खड़ा होता ही है जहाँ से उन्होंने यह आंकड़ा निकाला है। साथ में रविश कुमार पर भी है कि इतने जागरूक पत्रकार होंते हुए उन्होंने जल्दबाजी में बिना पड़ताल के यह आंकड़ा प्रस्तुत किया ? 
उत्तर प्रदेश में 66 जातियों का समूह अनुसूचित जातियों का है । जिसमें जाटवों की संख्या कम है। लेकिन सत्र 1981में कांग्रेसी नेता जग जीवनराम सहित उत्तर प्रदेश में राजनीति की फ़सल उगाने को उत्सुक जाटव नेताओ ने बड़ी चालाकी से उत्तर प्रदेश की धुसिया,झुसिया,चमार ,और अधिकांश मात्रा में पाये जाने वाली मोची जाति को मिलवा लिया । यह सभी जातियां 1971 तक अलग अलग थीं।
 जिसे बाद कांशीराम के रहते मायावती अपने मुख्यमंत्रित्व काल और मज़बूत किया । जाटवों ने यह सब काम दूरदृष्टि रखते हुए सत्ता की हनक से की थीं। यहीं नहीं बसपा के सरकार में कोरी जाति का प्रमाण देना बंद करा दिया । लेखपाल कोरी से बोलता था कि चमार का सर्टिफिकेट बनेगा ? 

मायावती ने सत्ता का दुर्योपयोग करते हुए जाटवों के साथ अन्य पाँच जातियों को मिलाकर अपनी संख्या बढ़ा ली। जिसकी सही आंकड़ा 52% है । लेकिन पासी समाज की संख्या उपजातियों सहित लगभग 25% है। 

मायावती अपनी बसपा सरकार में इन्हें अलग रखने का षड़यंत्र करती रही। पासी जाति की संख्या को तोड़ दिया गया। जिसकी संख्या 16 प्रतिशत बची है। लेकिन आज भी पासी की रावत जाति सहित कई उपजातियों को पासी का प्रमाण पत्र मिलता है । 

लेकिन इनकी संख्या पासी के साथ नहीं जोड़ी जाती है। यह पासी जाति की जातीय संख्या पर गंभीर हमला है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, 1881 में जनगणना आयुक्त नेस्फील्ड के आंकड़े के अनुसार पासी जाति की संख्या चमारों से 26 गुना ज्यादा थीं। 
रविश कुमार के इस तरह गैर जिम्मेदार ख़बर पर श्रीपासी सत्ता अपना आपत्ति दर्ज करवाता है। और सलाह देता है कि एक जिम्मेदार पत्रकार की विश्वनियता बनाये रखने के लिए अपनी इस गलती के लिए पासी समाज से माफ़ी मांगना चाहिए । – अजय  सरोज ( सम्पादक श्री पासी सत्ता )

मार्शल कौम “पासी समाज”

साथियों प्रो. सैमुअल बायरन का कहना है “या तो इतिहास बदलने में समय और उर्जा लगाओ या भविष्य पर फोकस होकर उसे बेहतर करने में जुट जाओ, दुनिया की जितनी जटिल कौमें हैं, सब इतिहास बदलने में, उसे अपने हिसाब से बनाने-दिखाने में लगी हैं, जिन कौमों का इतिहास नही है, कई बार वे बहुत बेहतर भविष्य की ओर जाती दिखती हैं संक्षेप में बात यह है कि जटिल न बनना, भविष्य बदलने में लगना| ब्रिटिश इंडिया एवं आधुनिक भारत की अनुसूचित जाति में शामिल पासी बिरादरी भारत वर्ष की बहादुर कौम होने के साथ ही प्राचीन मानव सभ्यता की जननी भूमि आधुनिक उत्तर प्रदेश के अवध प्रान्त सहित तराई भूमि की मूल निवासी जाति है जिसने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के किसान मदारी पासी का “एका आन्दोलन” हो या अमर शहीद वीरांगना उदा देवी की शहादत व पासी राजाओ के विस्म्रत कर दिये गये किले परिणाम है यदि आप आने वाली पीढियों को अपने पूर्वजो पर गर्व करना नही सिखायेगे तो इतिहास में ही मिलकर रह जायेंगे प्रस्तुत है पुस्तक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम : लखनऊ (1857) का अंश ….
पासी जाति का बलिदान
लखनऊ जनपद पासी जाति बाहुल्य क्षेत्र रहा है। ग्यारहवीं शताब्दी में पासी राजाओं का राज्य था। राजा लखना रजपासी था। उसी के नाम पर लखऊ का प्राचीन नाम लखनावती पड़ा। लखनऊ नगर से पश्चिम की ओर नौ मील दूर हरदोई रोड पर काकोरी नामक एक कस्बा है। वह स्थान अपने आम के बागों और क्रान्तिकारी काण्ड के लिये प्रसिद्ध है ही, अपने रोचक इतिहास के लिये भी प्रसिद्ध है। ईसा की ग्यारहवीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में काकोरी पर कसमंडी (कसमंडप) महिलाबाद के निकट राजा कंस का अधिकार था जो जाति का पासी था। उस समय यहां पासी जाति की बस्ती थी। सन् 1130 में जब सैयद सालार गाजी मसूद दिल्ली से तशरीफ लाये तब उनकी इस राजा से जम कर जंग हुई और इस भयंकर लड़ाई में काकोरी राज्य कंस के हाथ से निकल गया तथा मुसलमानों के कब्जे में आ गया। कुछ मुस्लिम फकीर यहां आकर बस गये। लेकिन महमूद गजनवी के प्रभाव के कम होने के साथ ही काकोरी फिर पासियों का गढ़ बन गया। उसके बाद पासियों के जोर को दबाने के लिये सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमश ने मलिक नसीरुद्दीन को यहां भेजा जो पासियों को पराजित करके दिल्ली की हुकूमत कायम कर गया मोहम्मद तुगलक के आखिरी वक्त तक इस पर दिल्ली का कब्जा बना रहा। सन् 1393 ई: में जौनपुर शर्की सल्तनत का केन्द्र बन चुका था और काकोरी का क्षेत्र शर्की राज्य की जागीर हो गया। जौनपुर से इस इलाके को संभालना कोई आसान काम नहीं था, ऐसे में पासियों ने फिर अपना सिक्का जमा लिया और धीरे-धीरे काकोरी को अपने अधीन्स्थ कर लिया। इसी युग में रजपासी राजा काकोरी ने काकोरी का किला बनवाया और इसके चारों तरफ बस्ती आबाद की। यह किला बिलकुल खंडहरों में बदल गया है फिर भी प्रवेशद्वार, जीर्ण-शीर्ण चहारदीवारी के कुछ भग्नावशेष अब भी शेष हैं। शर्की राज्य के तीसरे बादशाह सुल्तान इब्राहीम शर्की ने सन् 1401 में मानिकपुर के निकट राजा फकीर को पराजित किया और फिर यहां इस्लामी सत्ता कायम की जो सन् 1458 तक ठीक प्रकार से चलती रही।
लखनऊ शहर के दक्षिण-पूर्व में कस्बा बिजनौर बसाने वाला राजा बिजली रजपासी एक समय लखनावती का प्रमुख माना जाता था-इसके बनवाये हुए बारह दुर्ग लखनऊ के आस-पास फैले हुए थे। उनमें से कुछ भग्नावशेष आज भी मौजूद हैं, जिनमें पुराना किला, नरंगाबाद किला, जलालाबाद किला, मोहम्मदी नगर के अब भी नाम लिए जाते हैं। बिजली दुर्ग राजा बिजली रजपासी के बहुत दिन बाद मीरबिन कासिम के हाथों लगा। उसने इस किले को अपने दामाद जलालुद्दीन को बतौर नजराना दे दिया जिसके बाद किला जलालाबाद नाम पड़ा।
अंग्रेजों ने भी लखनऊ को अपना प्रमुख केन्द्र बनाया। रेजीडेन्सी, बेलीगारद में अंग्रेज अधिकारी रहते थे। सन् 1857 ई. की क्रान्ति में रेजीडेन्सी को क्रान्तिवीरों ने चारों ओर से घेर रखा था। क्रान्तिवीरों का नेतृत्व चेतराम रैदास कर रहे थे, जिनका बनवाया हुआ टिकैत राय तालाब के निकट चेतरामी तालाब आज भी मौजूद है। बेगम हजरत महल, मम्मू खां, जनरल बरकत अहमद ने एक योजना बनाई कि कानपुर से जब तक हेवलक की सेनायें लखनऊ आयें उससे पहले रेजीडेन्सी पर आक्रमण करके अपने अधिकार में ले लिया जाये। किन्तु रेजीडेन्सी में प्रवेश कर पाना उतना ही कठिन था जितना गोमती की धारा को उल्टा बहाना। चारों ओर से रेजीडेन्सी पर तोपें लगी थीं। अंग्रेज सैनिक मुस्तैदी से किसी भी आक्रमण को विफल करने के लिए तैयार थे।
हमारे पासी जाति के पुरखे सुरंग उड़ाने में बड़े पटू थे। अक्सर बेलीगारद वालों को उनसे नुकमान पहुंचता रहता था। 10 अगस्त 1857 को जनरल बरकत अहमद के नेतृत्व में पासी जाति के लोगों को साथ लेकर फौज ने बेलीगारद पर आक्रमण कर दिया। तीन दिन तक घमासान युद्ध होता रहा-बेलीगारद की सुंरगें उडऩे लगीं। रेजीडेन्सी में फंसे अंग्रेज भयभीत हो गये। लेकिन कानपुर से मि. हेवलक की सेनायों लखनऊ सीमा पर आ पहुंची तथा दूसरी ओर फैजाबाद से चिनहट तक आ गयीं। बंथरा मे उनका मुकाबला स्वयं बेगम हजरत महल ने किया लेकिन जख्मी हो गयीं और उनके वफादार सेनापति मानसिंह तथा कुंवर जियालाल सिंह उन्हें शहर ले आये।
सिकन्दर बाग के पास घमासान लड़ाई हो रही थी। कम प्रतिष्ठित पंक्तियों की स्त्रियां (अछूत) नगर की रक्षा के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर कर रही थीं, वे स्त्रियां जंगली बिल्लियों की तरह लड़ रही थीं, और उनके मरने के पहले यह पता नहीं चलता था कि वह स्त्रियां है या पुरुष। सिकन्दर बाग में सेमर के वृक्ष के नीचे जिसने अनेक अंग्रेजों को मार गिराया, वह महिला उजरियांव की थी जिसका नाम जगरानी था और जाति की पासी थी। अन्त में यह महिला भी गोली से घायल होकर वीरगति को प्राप्त हुई। दुर्भाग्यवश बेलीगारद की क्रान्ति विफल हो गयी और उसमें 220 देशभक्त शहीद हुए तथा 150 घायल हुए जिसमें अधिकांश पासी जाति के अज्ञात अमर शहीद थे।
सभार -डी.सी. डीन्कर
(स्वतंत्रता संग्राम में अछूतों का योगदान पुस्तक से धन्यावाद सहित)

राजवंती देवी नर्सिंग होम- एक प्रयास राष्ट्रीय पासी समाज मुंबई द्वारा

पासी समाज !!!
पासी समाज में बहुत से लोगों ने बहुत पहले से अथक मेहनत और प्रयास जारी रखा उसी का परिणाम है कि आज हम काफ़ी बदलाव देख रहे है पासी समाज में ।
काफ़ी कुछ हो रहा है समाज में काफ़ी लोग समाज के नाम पर आगे आ रहे है ।

डॉक्टर की ज़रूरत सभी इंसानों को पड़ती है और अक्सर आज हम देखते है की सही सलाह न मिल पाने के कारण समाज के लोगों को भारी जान – माल का नुक़सान उठाना पड़ता है । इस दिशा में पहल की ज़रूरत काफ़ी दीनो से पड़ रही थी । अब जबकि हमारे समाज में भी डॉक्टर की संख्या बढ़ रही है तो आशा और भी बढ़ गई थी ।

……आपको बताते हुए बेहद गर्व का अनुभव हो रहा है साथियों की इस की शुरुआत हो चुकी है मुंबई से * राजवंती देवी नर्सिंग होम * से जहाँ पासी समाज के लोगों को मुफ़्त और लाभदायक कन्सल्टिंग सर्विस दी जाएगी । अब पासी समाज का भी अपना नर्सिंग होम है जो पासी समाज के लोगों को मुफ़्त कन्सल्टिंग सर्विस देगा ।
यह शुरुआत की है राष्ट्रीय पासी समाज , मुंबई के अध्यक्ष *डॉक्टर रमाशंकर भारती* साहेब द्वारा ( मुझे नहि लगता इनके बारे में पासी समाज के लोगों को परिचय देने की ज़रूरत है ) इस कार्य में विशेष सहयोग दिया है श्री सी पी सरोज साहेब द्वारा ( विडियोकॉन के उपाध्यक्ष , बाक़ी तो और उनका नाम ख़ुद ही अपने आप में एक परिचय है ) और साथ ही सहयोगी है मिस्टर अशोक कुमार जी , आईआरएस, कमिश्नर इंकम टैक्स , दिल्ली ।
भारती साहब ख़ुद भी डॉक्टर है , साहब के सुपुत्र डॉक्टर अमित जी भी डॉक्टर है । और आप जिस पेशे में है उस पेशे का समाज के उपयोग के लिए इससे अच्छा उपयोग और क्या हो सकता है ।

कहने की ज़रूरत नहि है की आज ऐसे डॉक्टरो की कमी नहि है जो आपको डरा कर हज़ारों के टेस्ट और अस्पताल में भर्ती कर लाखों तक बिल बना देते है जहाँ सिर्फ़ ख़र्च २-४ सौ का होता है । मलेरिया , डेंगू , टाईफ़ईड में साधारण इलाज की ज़रूरत होती है पर डॉक्टर भारती सर ने काफ़ी कुछ ऐसा देखा है जिसकी वजह से लोगों की ख़ून पसीने की कमाई बिना मतलब पानी की तरह बह जाती है सिर्फ़ एक डर की वजह से। डॉक्टर भारती साहेब ने बताया कि उनके क्लीनिक में बहुत से पेशंट जिनके प्लेटलेट १० हज़ार तक गिर चुके थे उन का इलाज सिर्फ़ २-४ हज़ार रुपयों तक सीमित कर दिया जबकि आपने अपने आसपास आपने ऐसे कई उदाहरण देखे होंगे जहाँ ५०-६० हज़ार के प्लेटलेट वालों को भी सीरीयस बता कर कई हज़ार तक बिल बनाते है । सिर्फ़ डर की वजह से । डॉक्टर साहब कहते है की वह , उनके पुत्र अमित जी और उनके अनुभवी सहयोगी डॉक्टर अपने समाज के लोगों को मुफ़्त सलाह और ज़रूरी सेवाये देंगे। अगर लोगों को समय पर सही सहयोग मिल जाएगा तो हमारे लोगों के लिए एक बड़ी हेल्प होगी लोग डर की वजह से पैसे बर्बाद करने से बच जाएँगे ।

यह शुरुआत भले ही मुंबई ( भायंदर ) में हुई है पर डॉक्टर भारती साहेब सपना देखते है की ऐसी शुरुआत देश के दूसरे शहरों में भी हो । भारती सर के संपर्क काफ़ी अच्छे है दूसरे शहरों के डॉक्टर और सामाजिक लोगों से जैसे दिल्ली और लखनऊ में यह शुरुआत हो सकती है जो की बहुत ज़रूरी है । अगर इन शहरों से जुड़े लोग और संस्थाएँ चाहे तो भारती सर इन ज़ग़हो पर शुरुआत करने के लिए सहयोग कर सकते है ।

इस नर्सिंग होम के अलावा डॉक्टर भारती साहेब द्वारा PRB नर्सिंग इन्स्टिटूट जो केंद्र से मान्यता प्राप्त है पिछले कई सालों से मुंबई में चल रहा है । इस इन्स्टिटूट में उन बच्चियों को जिनकी पढ़ाई आर्थिक स्थिति की वजह से पूरी नहि हो पाती और किसी सामाजिक कारणो के कारण उच्च शिक्षा नहि मिल पाती । ऐसे बच्चियों को यह इन्स्टिटूट नर्सिंग ट्रेनिंग देकर स्वावलंबि बनता है उन्हें दुनिया में ख़ुद के पैर पर खड़े होने के लायक बनता है , उन्मे वह आत्मविश्वास दिलाता है की वह भी बहुत कुछ कर सकती है । हमारे पासी समाज के लोग इस नर्सिंग होम की सेवाए लें सकते है जिसने सभी समाज के बहुत से बच्चों को अपने पैर पर खड़ा किया है जाहीर है पासी समाज के लोगों को ख़ास सुविधाएँ मिलेंगी इस इन्स्टिटूट से ।
तो साथियों इस मैसेज को इतना डिस्ट्रिब्यूट कीजिए की ज़रूरत मंद लोगों तक यह मैसेज पहुँचे और ऐसी सुविधाओं का लाभ ले सके ।
सम्पर्क – डॉक्टर रमाशंकर भारती , भायंदर , मुंबई 


मोबाइल – 093244 93939
धन्यवाद –
राजेश पासी ,मुंबई

श्री पासीसत्ता – प्रभारी मुंबई

अखिल भारतीय पासी समाज

पासी अखिल भारतीय पासी समाज,मुंबई ने जिस तरह से २६ जनवरी गणतंत्र दिवस का उत्सव मुंबई पासी परिवार के साथ मनाया अपने आप में अनोखा और अविस्मरणीय है ।मुंबई जैसे शहर में ७००-८०० पासी समाज के लोगों के साथ सामाजिक उत्सव मनाना कोई साधारण बात नहि है । शायद कई वर्षों के बाद मुंबई में ऐसा संयोग बना था । ६०० से ज़्यादाकुर्सियाँ पूरी पैक थी २०० से ज़्यादा लोग मैदान में चारों तरफ़ फैले थे । आप महिलाओं और बच्चों की संख्या देखिए अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में इनकी उपस्थिति कम होती है ,आप तस्वीरों में देख सकते है । यह फेंक तस्वीरें नहि है ।
कार्यक्रम की शुरुआत महाराज शिवाजी , महात्मा फुले , बाबा साहेब,वीरांगना उदा देवी और महाराजा बिजली पासी की तस्वीरों पर दीप प्रज्वलित करके की किया गया ।

मैदान बहुत भव्य और ख़ूबरती से सजाया गया था । मंच का संचालन मानननिय राम नारायण सरोज जी और युवा टीम नीतू सरोज , ज्योति सरोज और डॉक्टर अखिलेश सरोज ने नए तरीक़ों से बहुत प्रभावशाली ढंग से किया ।
कार्यक्रम को इस तरह से मैनेज किया गया था कि ५-६ घंटो को प्रोग्राम में कही भी बोरियत महसूस नहि हुई । लोग अंत तक कुर्सियों से उठ नहि पा रहे थे । मुख्य वक्ताओ के साथ बच्चों के सान्स्कृत प्रोग्राम ने सबका मोहित किया । देख कर आस्च्र्य लगा की अपने समाज के बच्चों में भी कितनी प्रतिभा छुपी हुई है । बसंत लाल जी के पासी समाज के ऊपर गायन ने ऐसा शमा बाँध था कि सारा मैदान झूमने लगा था । इसके अलावा अंधविश्वास पर रामदास जी और डॉक्टर अखिलेश द्वारा मंचित नाटक जो श्राद् जैसे अंधविश्वास के ऊपर था लोगों ने काफ़ी सराहा ।
मुख्य अतिथियों की लिस्ट इस तरह से डिज़ाइन की गई थी की महिलाओं , विधार्थियो और बच्चे पूरे कार्यक्रम में केंद्र में रहे इसलिए पद्मश्री कल्पना सरोज ( जैसा कि आप जानते है परिवार में एक हादसे की वजहसे वह उपस्थित नहि हो पाई थी ) C A प्रभावती सरोज , नीतू सरोज और समाज के आइकॉन ब्रिजेश सरोज का समावेश था साथ ही समाज में वैचारिक बदलाव का संदेश जाए इसलिए रमेश जी , रामसमूझ जी , राम प्रसाद जी ,रामनारायण जी और सुधीर सरोज जी का समावेश था ।
इस मैदान में एक कोने में वर वधू पहचान के लिए टेबल लगे हुए थे ।जहाँ लोग वर वधू की जानकारिया शेयर कर रहे थे और दूसरे कोने में फ़्री हेल्थ चेकअप का स्टाल लगा हुआ था । जहाँ लोग फ़्री ब्लड टेस्ट करा रहे थे जिसकी रिपोर्ट उनके घरों या मोबाइल में भेजी जाने वाली थी ।
मुख्य वक्ताओ में रामसमूझ जी ने समाज में वैचारिक बदलाव लाने का संदेश दिया मंदिरो में दिए जाने वाले दान के बारे में विचार करने को कहा की हमारा पैसा हम पर ही राज करने के लिए उपयोग किया जा रहा है । रामनारायण जी ने कहा मुंबई में अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा । ब्रिजेश सरोज ने पढ़ाई पर ध्यान देने के टिप्स शेयर किए । C A प्रभावती सरोज ने अपने अंदर की ताक़त को पहचानने के तरीक़े बताए उन्होंने कहा की अपने अंदर की ताक़त को खोजे और समाज को लीड करे ।
इस कार्यक्रम में श्री पासी सत्ता पत्रिका जो की इलाहाबाद से निकलती है और देश के कई राज्यों में इसकी पहुँच है । कई राज्यों में सभी संस्थाओ द्वारा पत्रिका का अधिकारिक उद्घाटन हुआ है । हालाँकि मुंबई और महाराष्ट्र में श्री पासी सत्ता पहुँच चुकी थी पर मुंबई में इसका अधिकारिक उद्घाटन नहि हुआ था । इसलिए २६ जनवरी २०१७ को श्री पासी सत्ता पत्रिका और कलेंडर का अधिकारिक उद्घाटन अखिल भारतीय पासी समाज , RCP टीम मेम्बर और मुख्य अतिथियों उधयोगपति रतनलाल सरोज , उद्योगपति जीतलाल सरोज , C A प्रभावती सरोज और ब्रिजेश सरोज के हाथो में किया गया ।श्री पासी सत्ता का कैलेंडर लोगों को इतना पसंद आया की पूरा स्टॉक सिर्फ़ ५ मिनट में ख़त्म हो गया लोग अंत तक कलेंडर के बारे में पूछ रहे थे ।
इतने विविधता भरे कार्यक्रम को इतने विस्तृत रूप से इतनी सफलता से आयोजन करने का श्रेय वहाँ के सदस्यों को जाता है ।
राजेश पासी ,मुंबई

श्री पासी सत्ता ( प्रभारी मुंबई )

RCP टीम (टीम मेम्बर )

अखिल भारतीय पासी समज ,मुंबई ( सदस्य)

राष्ट्रीय पासी समाज ,मुंबई ( सदस्य)

​ महाराजा बिजली पासी जयंती

हम हमेशा से कहते आए है सोशल मीडिया बहूजनो के लिए वरदान है । महाराजा बिजली पासी की जयंती इस बार पूरे देश में मनाई गई । ज़ाहिर है पिछली बार से ज़्यादा जगहों पर मनाई गई ।अगर ५ साल पहले देखे तो कितने लोग मनाते थे । अब घर में परिवार के साथ भी मनाया जाने लगा है । इसमें सोशल मीडिया के प्रचार के महत्वपूर्ण सहयोग है ।
यह जयंती मनाना शुरू हुई थी लखनऊ से । वहाँ के इतिहासकार , साहित्यकारों और सामाजिक कार्य करने वालों की मेहनत का नतीजा है । राजकुमार इतिहास कार , रामदयाल वर्मा , आर ए प्रसाद , रामकृपाल , राम लखन , आर के सरोज , जैसे बहुत से नाम है लखनऊ से जिन्होंने बहुत पहले शुरुआत की थी । ज़ाहिर है शुरुआत में बहुत कम सहयोग मिला होगा इन्हें पर इनहिनो हिम्मत नहि हारी ।
आर ए प्रसाद की अखिल भारतीय पासी समाज जो सबसे पुरानी संस्थाओ में से है कई वर्षों से मना रहे है , राम लखन साहब है काफ़ी पहले शुरू किए थे ।
पिछले कुछ सालों से अल्लाहाबद में पासी परिवार ( सुपर ५०) ने भी बड़े पैमाने पर यह मनाया जाता है । मित्र नरेंद्र और उनकी टीम के सहयोग से अल्लाहाबद की सड़कों पर महाराजा बिजली के बड़े बड़े होर्डिंग दिखाई देती है ।
बिहार में पहली बार पासी सेना द्वारा महाराजा बिजली पासी जयंती मनाई गई । जिसमें बड़े भाई सूजीत कुमार , मित्र वेद , मित्र निशान्त और मित्र अमित जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
दिल्ली में मित्र हेमंत हमेशा से सेलेब्रेट करते है वह और उनकी पूरी टीम हमेशा ऐसे कार्यों में आगे रहते है ।
हमारे प्रतापगढ़ में लगातार दूसरी बार तेज़ तरार युवा वेदप्रकाश ने सफल आयोजन कर लोगों को जागरूक किया ।
आप तस्वीरों में देखिए देश के कई स्थानो की तस्वीरें है ।
आयोजन की भव्यता देखिए आज इसे मनाने के लिए हमारे समाज के सांसद औरकेंद्रीय मंत्री भी पूरा सहयोग देते है । माननीय सांसद कौशल कुमार साहेब , माननिय सांसद प्रियंका रावत जी और माननिय मंत्री कृष्णाराज जी का बहुत बहुत धन्यवाद ।
राजेश पासी ,
RCP टीम मुंबई