शुद्ध भारतीय मदर्स डे पर स्पेशल 


मदर्स डे वाला फीवर सबका उतर गया हो तो हमहुँ कुछ बोलें…

क्या है कि ई मदर्स डे जो है ऊ उन देशों के लिये ज्यादा सटीक त्यौहार है जहाँ अठारह बीस का होते ही लौंडे लौंडिया अपना घर दुआर छोड़कर लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगते हैं…… अउर साल में एक दिन अपनी महतारी को चॉकलेट अउर फूल लेकर मिलने जाते हैं….. महतारी भी उस दिन केक बनाकर अपने लायक पूत का इन्तेजार करती है…।

लेकिन ई भारत देस जो कि अभी इण्डिया बनने से काफी दूर है , इहाँ अभी तीस – तीस साल के नखादे लौंडे महतारी बाप की रोटी तोड़ते हैं ..और दारु पीकर आते हैं तो बाप से बचने के लिए माँ के ही पीछे छिपते हैं….. नौकरी लग जाये तो बच्चों के भविष्य की खातिर माँ को अपने पास बुला लेते हैं… परिवार छोड़कर अगर अकेले बाहर रहते हैं तो दिन में सात बार अपनी महतारी को बतलाते हैं कि क्या खाया-क्या पीया… दिल्ली में दोस्तों के साथ दारु पी रहे हों और गाजीपुर से महतारी का फोन आ जाये तो सारा नशा उतर जाता है… प्रेमिका के साथ पिक्चर देख रहे हों अउर माँ का फोन आ जाये तो हिरन की तरह सिनेमाहाल के टोइलेट में घुसकर ऐसे बतियाने लगते हैं जैसे नौकरी का इंटरव्यू चल रहा हो….। और तो और गाय के बारे में एक शब्द नही सुन सकते काहें कि बचपन में सुना था कि गाय माता होती है..।

हम भारतीय अम्मा के पूत होते हैं मॉम के सन्स नहीं… । अम्मा को याद करने के लिये हमको किसी दिन की जरूरत नही.. ऊ तो हाथ में दाल भात का कौर और आँखों में गुस्सा लिये पूरी जिंदगी चौबीसो घण्टे हमारे पीछे पीछे ही घूमती है…  – साभार सोशल मीडिया

मुंबई में भ्रष्टाचारी ब्यवस्था के ख़िलाफ़ रामशंकर सरोज ने छेड़ी एक साहसिक जंग…

800 आरटीआई दर्ज कराने वाले रिक्शा चालक !

रामशंकर अयोध्याप्रसाद सरोज मुंबई के धारावी में रहने वाला एक आम रिक्शाचालक I रोज़ मेहनत करना और स्वाभिमान से रहता है । रामशंकर सरोज जी के जागरूक होने की कहानी शुरू होती है साल 2००3-०4 के आसपास जब मुंबई में पुनर्विकासन अधिनियम के तहत रामशंकर सरोज की सोसायटी को एसआरए के अंतर्गत एक बिल्डर को विकास करने के लिए दी गई । जब रामशंकर सरोज को यह पता चला कि बिल्डर ग़रीब निवासियों को धोखा दे रहा है तो रामशंकर के अंदर का स्वाभिमानी कार्यकर्ता भ्रष्ट बिल्डर के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ । 
रामशंकर सरोज जी ने महाडा ( महाराष्ट्र सरकार की हाउज़िंग डिवेलपिंग अथॉरिटी) और बिल्डर के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करना शुरू किया ।

बिल्डर के अनेक अनिधकृत निर्माण कार्य के ख़िलाफ़ सबूत देकर और आरटीआई का उपयोग कर सलंगन अधिकारियों और पोलिस की मदद से किए जा रहे अनिधकृत कार्यों की जानकारी उजागर हुई ।

सरकारी ब्यवस्था केवल काग़ज़ों पर हवाई घोड़े दौड़ाते है और यही ब्यवस्था भ्रष्ट मंडलीयो का पालन पोषण करते है। यह बात रामशंकर जी को समझ में आ गई ।परंतु उन्होंने प्रण किया इस ब्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ते हुए अगर मै मर तो भी गया तो चलेगा पर अपने जीते जी इस लड़ाई से पीछे नही हटूँगा ।और यही मंत्र रामशंकर सरोज जी के जागरूक हो कर लड़ाई लड़ने का सहारा बना ।
एक सीधा सादा केवल दसवीं पढ़ा रिक्शा ड्राइवर रामशंकर सरोज ने पिछले 6 सालों में आरटीआई के ज़रिए मुंबई में महडा, महानगरपालिका ,मंत्रालय , पोलिस टेशन और दूसरे सरकारी दफ़्तरों के अनाधारिक कार्यों को उजागर किया है ।
कई बार इन्हें जानकारी देने से टालने की कोशिश की जाती थी बहाने बनाए जाते थे क्योंकि अगर जानकारी दी तो बड़े अधिकारियों की पोल खुल जाएगी।

जानकारीं पाने के लिए रामशंकर जी कई कई बार आरटीआई के स्टेटलेवल कमिश्नर के कार्यालय पर जा कर अपील करते थे । पर अनेक जायज – नाजायज़ कारण बता कर काग़ज़ों के खेल – खेलकर जानकारी देने से महरूम कर देते थे ।

इस दौरान रामशंकर सरोज RTI न डाले इसके लिए अनेक प्रलोभन दिए जाते थे कुछ अधिकार्यो ने नए रिक्शे दिलाने की पेशकश की और RTI का पीछा छोड़नेके लिए कहा ।

कुछ बिल्डरो ने मुंबई जैसे शहरमें २-२ फ़्लैट्स तक देने का वादा किया ।

पर इस स्वाभिमानी आरटीआई कार्यकर्ता को इतने बड़े बड़े लालच भी उसके ईमान से डिगा नही पाए ।

भ्रष्टाचार का काला चेहरा सबके सामने लाना ही सरोज जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य है । इसलिए रामशंकर जी कोई ख़रीद नही सका । और नही ये बिकने वाले । सच के लिए लड़ना ही पासियो की असली पहचान है। 

ईमानदारी और निडरता रामशंकर का उदाहरण RTI कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श उदाहरण है । 

RTI का उपयोग कर प्रशासन व्यवस्था को स्वच्छ करना और जागरूक नागरिकों का प्रशासन व्यवस्था पर पर पैनी नज़र रखने के लिए हज़ारों हज़ार रामशंकर सरोज का जन्म लेना आज समय की माँग है 

रामशंकर जी के बारे में मुंबई के कुछ मराठी और अंग्रेज़ी अख़बरो में कई बार छप चुका है । पर हिंदी अखबारो में इनके बारे में कुछ नहि छपा है( क्यों नहि छपा है यह जानना मुश्किल नहि है जब हम जानते है की हिंदी अखबारो में कौन लोग मुख्य पद पर है ) ईसिलिए अपने पासी समाज के लोगों को भी इनके बारे में कम ही जानकारी है । इनकी बहादुरी का पूरे पासी समाज के लिए गर्व की बात है ।अगर यही काम किसी साधन संप्पन या नेता ने किया होता तो पासी समाज के लोगों की जबान पर उनका नाम होता पर वह एक साधारण इंसान है इसलिए शायद वह पासी समाज के लिए आज भी अनजान है ।और उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ भी नहि पड़ता वह सिर्फ़ ईमानदारी से अपना कम करने में विश्वास करते है न की नाम के प्रचार का । नहि तो कोई कारण नहि था की कई बार ख़बरों में आने के बाद भी , जिसने मुंबई के सरकारी तंत्र में , जिसने प्राइवट बिल्डरो में अकेले ही खलबली मचा रखी है पासी समाज की गतिविधियों से दूर है ।
रामशंकर जी का मानना है की सेवा के लिए उठा एक हाथ प्रार्थना के लिए उठे दो हाथो से ज़्यादा महत्वपूर्ण है । – सुधीर सरोज, मुंबई 

पासी समाज इन मुंबई यूनिवर्सिटी – RCP का एक प्रयास समाज के लिए !

 


बाबा साहेब और फूले की विचार धारा शिक्षित बनो , संगठिति बनो , संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए इस क्षेत्र में प्रैक्टिकल रूप में कार्य करने का क़दम RCP ने बढ़ाया है ।
इस अप्रेल माह में बाबा साहेब और महात्मा फुले साहेब दोनो की जयंती है । दोनो ही महापुरुषों ने शिक्षा के जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । और इनकी जयंती मनाने के लिए RCP ने कल यानि ९ अप्रेल २०१७ को समाज के बच्चों और पेरेंट के लिए एक दिवसीय शैक्षणिक और कैरीयर गाइडेन्स शिविर का आयोजन किया था मुंबई यूनिवर्सिटी में । 
इन महापुरुषों की जयंती मनाने का इससे अच्छा तरीक़ा नहि हो सकता ।
इस कार्यक्रम की सफलता के बारे में मैं कुछ नहि कहूँगा आप लोग ख़ुद ही तस्वीरें देख लीजिए क्योंकि तस्वीरें ख़ुद ही बोलती है । 

जैसा कि हमने पहले ही कहा था ऐसे परिवेश में ऐसा कार्यक्रम पासी समाज में इसका संदेश दूर तक जाएगा । 

ऐसा कार्यक्रम करने का अगला प्लान उत्तर प्रदेश में आयोजित करने का है । जिसके लिए उत्तर प्रदेश के सभी साथी कंधे से कंधा मिला कर खड़े होंगे ।


इसके अलावा मुंबई यूनिवर्सिटी में पासी समाज का के इस तरह के आयोजन ने काफ़ी लोगों को आकर्षित किया । बैनर देखकर यूनिवर्सिटी के काफ़ी प्रोफ़ेसर हमसे मिलने के लिए आए और टीम को प्रोत्साहित किया साथ ही समाज के लोगों को किसी भी तरह की सहायता के लिए आश्वासन दिया ।

मुंबई यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह की संस्था को बैनर लगाने की अनुमति नहि मिलती पर हमारे प्रोग्राम से यूनिवर्सिटी के एक डाईरेक्टर काफ़ी ख़ुश हुए और जो बाहर बैनर लगा था ख़ुद फ़ोन करके बोले की बैनर इस पूरे महीने लगा रहने दो ताकि समाज में संदेश जाए । आ यूनिवर्सिटी जाएँगे तो आपको पासी समाज का RCP बैनर ज़रूर दिखाई देगा । जिसकी वजह से काफ़ी लोग न सिर्फ़ पासी समाज के बारे में जानने की कोशिश करेंगे बल्कि नेट पर भी खोजेंगे .

 मैं बहुत संक्षिप्त में कार्य्य्र्म के बारे में बताऊँगा जिससे आपको कार्यक्रम के बारे में और RCP के कार्य करने और उसकी विचारधारा के बारे में जानकारी मिलेगी ।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी ने संविधान उद्देशिका पढ़ कर की । उसके बाद सीन्यर साथियों ने बाबा साहेब , महात्मा फूले, और शाहू महाराज पर माल्यार्पण किया ।

बाबा साहेब की १२६ जयंती थी हमने बच्चों के हाथ केक कटवा कर बाबा साहेब की १२६ जयंती मनाई।

उसके बाद प्रमुख मार्गदर्शको ने अपने प्रेज़ेंटेशन दिए उनके नाम और डिग्री आपने हैंड्बिल में देखा ही था नीचे भी बैनर में नाम दिए है । इसके अलावा हमारे 
कार्यक्रम दो सेशन में था पहला १०:३० से १ :३० बजे तक फिर १:३० २:०० बजे तक ब्रेक और लंच था ताकि लोग रेफ़्रेश हो जाए दूसरा सेशन २-४ बजे तक था और फिर ४-५ बजे तक सीन्यर साथियों और उपस्थिति लोगों ने अपने विचार रखे । 
गाइड करने वालों में C A प्रभावती जी , ब्रिजेश जी , संजय वैराल जी , सी पी सरोज जी , डा० रमाशंकर भारत जी , और राजेश जी ने बहुत अच्छी तरह से पेरेंट और बच्चों को गाइड किया । RCP की तरफ़ से इन सभी को फुले और सावित्री बाई की फ़ोटो लगी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । 
इसके अलावा १५ सेट के एक प्रशंन बच्चों को दिए गए थे नीचे आप इमेज में देख सकते है उन प्रश्नो को । यह प्रश्न बुद्ध, अम्बेडकर , फुले और पासी समाज से जुड़े थे । सबसे जयदा उत्तर देने वाले तीन विद्यार्थियों को पुरस्कार दिया गया । इसी बहाने कम से कम इन लोगों ने नेट पर से समाज के बारे में जानने की कोशिश की । 
RCP पूरी तरह से युवाओं द्वारा संचालित है जिसके बेस में बहुत से सीन्यर साथी सहयोग दिए है जिसके कारण यह ग्रुप खड़ा है ।RCP ग्रुप पर न सिर्फ़ सीन्यर साथियों ने बल्कि समाज के लोगों ने भी भरोसा किया यह RCP के लिए गर्व की बात है ।
धन्यवाद , जय भीम 
           -RCP टीम , मुंबई