पासी राजा महाराजा बौद्ध थे ? हिंदू थे ? या दोनो नहि थे ? – एक चर्चा !!

पासी समाज के इतिहासकारों ने पासी समाज के राजा महाराजाओ पर इतनी खोजे की है, इतना कुछ लिखा है इतने साक्ष्य दिए है की जिससे बहुत कुछ पता चल जाता है । तक़रीबन सभी पासी प्रमुख इतिहासकार , चाहे वह राजकुमार जी हो ,रामदयाल वर्मा जी हो , के पी राहुल जी हो , आर ए प्रसाद जी हो या बाक़ी के इतिहासकार सभी ने पासी समाज के बारे बहुत कुछ लिखा है और सब के सब एक ही दिशा दिखाते है राजा महरजाओं की ।

पर सोशल मेडिया पर लोग अपना ही ज्ञान देने में यक़ीन रखते है कुछ पढ़ना -लिखना या सुनना नहि चाहते है । वह जो मानते है बस वही सही है बाक़ी सब ग़लत ।

पासी इतिहासकारो ने इसके बारे में क्या लिखा है यह आपको ख़ुद ही पढ़ना पड़ेगा । इन माननिय लोगों इतना कुछ लिखा है की मेरा कुछ कहना बहुत मायने नहि रखता पर सोशल मीडिया में रायता फैला रखा है । इसलिए इस पर एक चर्चा –

पासी राजाओं को हिंदू बताने का सबसे बड़ा कारण लोग यह बताते है की राजा महाराजाओ के महल में देवी का मंदिर मिला है ? पर किस देवी का मंदिर मिला है ? वह मंदिर कितना पुराना है ? अरे भाई नीचे कुछ तस्वीरों को देखिए बुद्ध की मूर्तियों को देवता में बदल करके मंदिर में बदल दिया तो राजाओं के महल में पूजा स्थल को मंदिर बनाने में कितना समय लगेगा ?

उसके अलावा देवी या देई शब्दों के रहस्य को समझिए ,देवी का मंदिर है या देई का मंदिर है ? पासी समाज में २-३ पुरानी पीढ़ियों के महिलाओं के नाम देखिए नाम को देखिए देवी नहि देई नाम से मिल जायेंगी जैसे की राददेई या राजदेई उसके बाद देई शब्द के इतिहास को देखिए।देई नाम हमारे सामज के पुराने बहुत से लोग क्यों उपयोग करते थे।

अभी कुछ पीढ़ी के पहले जा कर देखिए पासी समाज के पुराने लोग मंदिर वैग्रह के भगवानो से जयदा महत्वपूर्ण उनके ख़ुद के देवता होते थे जो की उनके घरों के किसी कोने में रहते थे । हर दुःख सुख में उन्हीं घर में रहने वाले देवताओ के सामने ही पूजा अर्चना करता थे ना की किसी मंदिर वैग्रह के भगवानो के यहाँ जाते थे ।

वैसे भी पासी राजा महरजाओं के समय हिंदू शब्द जयदा प्रचलित भी नहि था तो वैसे भी इस शब्दों का उनसे कोई लेना देना शायद नहि था ।

तो क्या वह बौद्ध थे ??

उसके पहले यह समझना होगा की बौद्ध धर्म और बौद्ध सभ्यता दोनो अलग अलग है । बौद्ध सभ्यता महात्मा गौतम बुद्ध के बहुत पहले से भारत में प्रचलित थी । हड़पा की खुदाई में स्तूप और बौद्ध सभ्यताओं का मिलना इसकी पुष्टि करते है । गौतम बुद्ध तो बहुत बाद में जन्म लिए थे बौद्ध सभ्यता जो बुद्ध से पहले ही थी गौतम बुद्ध ने उसे आगे बढ़ाया और बाद में उन्होंने धम्म का प्रसार किया जिसे आज लोग धर्म से जोड़ देते है ।बौद्ध सभ्यता भारत इसी भूभाग की सभ्यता थी ।कोई बाहरी चीज़ नहि है इसी धरती की उपज है ।

पासी राजा महाराजा बौद्ध धर्म को मानते थे यह नहि कह सकता पर हिंदू धर्म को नहि मानते थे यह यक़ीन से कह सकते है क्योंकि उससे इन लोगों का कोई लेना देना नहि है ।

हाँ इन लोगों ने बौद्ध सभ्यताओं को आगे बढ़ाया यह कहा जा सकता है पर वह बुद्ध या बुद्ध के धर्म से अलग रहा हो सकता है ।

बौद्ध सभ्यता और पासी के लिंक को इतिहासकार राम दयाल वर्मा के एक लेख “ नाग, असुर और पासी के संबंध”से समझा जा सकता है ।

जो जानकरियाँ अभी तक मिली है उससे पता चलता है वह लोग किसी भी देवी ,देवता या बुद्ध को नहि पूजते थे यह कहा जा सकता है । वह लोग भी अपने कुल देवताओं को ही पूजते रहे होंगे । ।हमारे घरों के जो देवता होते थे उसमें किसी की मूर्ति नहि होती थी । वह बस पूर्वजों को पूजते थे । क्या यह बौद्ध सभ्यता से नहि मिलता जुलता ? बौद्ध सभ्यता में भी मूर्तियों को पूजने का रिवाज नहि था यह तो महात्मा गौतम बुद्ध के बाद कुछ लोगों ने मूर्तियों को पूजन शुरू किया जो आज भी जारी है ।

हम सबको एक ही में मिक्स कर देते है इसलिए हम धर्म से ऊपर जा ही नहि आ पाते और बहुत लोग बुद्ध से बड़ा विरोध है तो बौद्ध से जुड़ी हर चीज़ को गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से जोड़ देते है ।

मुझे लगता है पासी राजा महाराजाओं का हिंदू धर्म से जयदा लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से भी शायद जयदा लेना देना ना रहा हो । पर बौद्ध सभ्यताओं से यह लोग जुड़े थे या पासी के पूर्वज बौद्ध सभ्यताओं से थे यह कहा जा सकता है भले ही गौतम बुद्ध को ना पूजते रहे हो ।

एक और बात जो महत्वपूर्ण लगती है इस दिशा में जब पासी राजा महाराजाओं का राज था इस भारत देश पर तो उस समय देश के राजाओं में मंदिर बनाने का बड़ा चलन था । पासी समाज के इतने बड़े राजा महाराजा हूये है , सम्राट और चक्रवर्ती राजा भी थे क्या उन पासी राजाओं ने एक भी भव्य मंदिर बनाया ?? किसी भी पासी राजा ने बनवाया ? इतने बड़े राजा और महाराजा जिनका एक बड़े भूभाग पर शासन था क्या ऐसा पोस्सिबल है कोई एक भी भव्य मंदिर ना बनवाए ?

एक भी बुद्ध विहार भी नहि बनवाए !

इसलिए मेरा यह कहना है की हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म से भी , क्योंकि तब तक बुद्ध धम्म को देश से बाहर किया जा चुका था ,पर बौद्ध सभ्यता से जुड़े थे क्योंकि यह भारत की प्राचीन सभ्यता है जो हड़प्पा और मोहन जोदडो के समय से चली आ रही है ।

मुझे लगता है पासी इतिहासकार बहुत आसानी से यह साबित कर सकते है की वह क्या थे ? पर इससे विवाद जन्म लेगा और पासी समाज में ऐसे ही इतनी समस्याएँ है ,आपस में मत भेद है एक और विवाद ठीक नहि होगा । इसलिए जिसे जो मानना है माने चाहे हिंदू माने या बौद्ध पर आपस में लड़ाई ना करे अपनी मान्यताओ को दूसरे पर ना थोपे ,दूसरों को नीचे दिखाने की कोशिश ना करे । अपने अपने साक्ष्यों और जानकारियों के हिसाब से अपनी बातों पर क़ायम रहिए पर दूसरों पर थोपिए नहि । बस तर्क शील और प्रूफ़ साथ अपनी बातें संयम से रखते रहिए ।

इस समय बौद्ध या हिंदू की बजाय एकता की ज़रूरत है और अलग अलग मान्यताओ के बावजूद हम एक साथ रह सकते है और पासी समाज की समस्याओं से लड़ सकते है ।

(यह लेख मेरे निजी बिचार है और इसका किसी भी तरह के संगठन या संस्थाओं से लेना देना नहि है । यह लेख पासी इतिहासकारों, पासी इतिहास और भाषा वैज्ञानिक डा० राजेंद्र प्रसाद द्वारा खोजी गई जानकरियों के आधार पर लिखा है )

*राजेश पासी,मुंबई*

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