स्वधर्म के साथ आगें बढ़ें और समाज के लिए बड़े लक्ष्य हासिल करें – संपादक, डॉ अजय प्रकाश सरोज

प्रयागराज: नया साल है ! वैसे तो यह हर बारह महीने के बाद आ जाता है । दिसम्बर की ठंठ जनवरी में ज्यों का त्यों बना रहता हैं । रात भर में कुछ भी नही बदल जाता । हर साल बस तारीख बदल जाती है इसके अलावा कुछ भी तो नहीं बदलता गरीबी ,भुखमरी बीमारी बस वैसे ही है । इस तरह क्रांतिकारी बात लिख देने मात्र से भी कुछ नही बदलेगा । लिखने को तो ढेरों साहित्यिक, दार्शनिक और निर्गुण बातें लिखी जा सकती है लेकिन उसमें स्वयतः सुखाय के अलावा कुछ हासिल नही होने वाला ।

लक्ष्य बिहीन लेखन और सामाजिक समस्याओं के निराकरण बिना लेखन मुझें बहुत आकर्षित नही करता । इसलिए मैं वहीं लिखने की कोशिश करता हूँ जिससे थोड़े ही सही मगर बदलाव की उम्मीद हो लेकिन पासी समाज के लिए तो बदलाव की बात बेईमानी ही लगती हैं । यह समाज थोपे गए विचार या उधार के विचार से संचालित होता हैं । इसका अपना वैचारिक राह नही है ।

पासी समाज में थोड़े बहुत लोगों के पद पैसा में बदलाव हो सकता है ,लेकिन इसके साथ अपनों के लिए उनका ब्यवहार भी बदला जाता हैं । वें पास आने के बजाय समाज से दूर हो जाते हैं । क्या यहीं है बदलाव ! तो मैं इसे बदलाव नही अलगाव की श्रेणी में रखना चाहूँगा ।

बदलाव जब तक परिवर्तनगामी न हो , परिवर्तन अपने साथ बड़े समूह के होने का बोध कराता हैं । समाज के बलबूते स्वधर्म के साथ आगे बढ़ना बड़े लक्ष्य को हासिल करता है । बडे लक्ष्य के लिए समाज में वैचारिक प्रतिमान औऱ स्वधर्म अपनाना होगा । स्वधर्म वहीं जो समाज के बड़े हितों पर केंद्रित हो ब्यक्तिगत लाभ के लिए तो समाज के चाटुकारों की कमी न रही है, न आगे होगी ।

नए साल में उधार के वैचारिकी को छोड़कर समाज के चारित्रिक सौंदर्यबोध के साथ स्वधर्म का पालन करते हुए बड़े लक्ष्य तय करने की समझ समाज में पैदा हो । छोटे मोटे स्वार्थों को त्यागकर बड़े लक्ष्य की ओर समाज अग्रसर हो ऐसी उम्मीद करता हूँ ।

आप सबसे नए वर्ष में नई ऊर्जा के साथ समाज में बदलाव के लिए निरंतर संघर्ष की ज्योति जलाए रखनें के लिए योगदान की अपेक्षा करता हूँ ।

जय संविधान… जय पासी समाज

स्वधर्म के साथ आगें बढ़ें और समाज के लिए बड़े लक्ष्य हासिल करें – संपादक, डॉ अजय प्रकाश सरोज

प्रयागराज: नया साल है ! वैसे तो यह हर बारह महीने के बाद आ जाता है । दिसम्बर की ठंठ जनवरी में ज्यों का त्यों बना रहता हैं । रात भर में कुछ भी नही बदल जाता । हर साल बस तारीख बदल जाती है इसके अलावा कुछ भी तो नहीं बदलता गरीबी ,भुखमरी बीमारी बस वैसे ही है । इस तरह क्रांतिकारी बात लिख देने मात्र से भी कुछ नही बदलेगा । लिखने को तो ढेरों साहित्यिक, दार्शनिक और निर्गुण बातें लिखी जा सकती है लेकिन उसमें स्वयतः सुखाय के अलावा कुछ हासिल नही होने वाला ।

लक्ष्य बिहीन लेखन और सामाजिक समस्याओं के निराकरण बिना लेखन मुझें बहुत आकर्षित नही करता । इसलिए मैं वहीं लिखने की कोशिश करता हूँ जिससे थोड़े ही सही मगर बदलाव की उम्मीद हो लेकिन पासी समाज के लिए तो बदलाव की बात बेईमानी ही लगती हैं । यह समाज थोपे गए विचार या उधार के विचार से संचालित होता हैं । इसका अपना वैचारिक राह नही है ।

पासी समाज में थोड़े बहुत लोगों के पद पैसा में बदलाव हो सकता है ,लेकिन इसके साथ अपनों के लिए उनका ब्यवहार भी बदला जाता हैं । वें पास आने के बजाय समाज से दूर हो जाते हैं । क्या यहीं है बदलाव ! तो मैं इसे बदलाव नही अलगाव की श्रेणी में रखना चाहूँगा ।

बदलाव जब तक परिवर्तनगामी न हो , परिवर्तन अपने साथ बड़े समूह के होने का बोध कराता हैं । समाज के बलबूते स्वधर्म के साथ आगे बढ़ना बड़े लक्ष्य को हासिल करता है । बडे लक्ष्य के लिए समाज में वैचारिक प्रतिमान औऱ स्वधर्म अपनाना होगा । स्वधर्म वहीं जो समाज के बड़े हितों पर केंद्रित हो ब्यक्तिगत लाभ के लिए तो समाज के चाटुकारों की कमी न रही है, न आगे होगी ।

नए साल में उधार के वैचारिकी को छोड़कर समाज के चारित्रिक सौंदर्यबोध के साथ स्वधर्म का पालन करते हुए बड़े लक्ष्य तय करने की समझ समाज में पैदा हो । छोटे मोटे स्वार्थों को त्यागकर बड़े लक्ष्य की ओर समाज अग्रसर हो ऐसी उम्मीद करता हूँ ।

आप सबसे नए वर्ष में नई ऊर्जा के साथ समाज में बदलाव के लिए निरंतर संघर्ष की ज्योति जलाए रखनें के लिए योगदान की अपेक्षा करता हूँ ।

जय संविधान… जय पासी समाज

धर्मवीर राजनीतिक सुचिता व सामाजिक सेवा के प्रकाश पुंज प्रतीक थे।

प्रयागराज: धर्मवीर समाजिक संस्थान के पदाधिकारियों व सदस्यों एवं विभिन राजनीतिक दलों के नेताओं ने आज 22/12/2020 को प्रयागराज में प्रदेश के भूतपूर्व गृहमंत्री व केंद्रीय श्रम मंत्री स्व० धर्मवीर जी की 36वी० पुण्यतिथि पर वैदिक रीति से हवन पूजन के पश्चात् ट्रांसपोर्ट नगर चौराहे स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार ने उनके दिखाए हुए मार्ग पर चल कर समतामूलक समाज के निर्माण का संकल्प लिया और उन्हें सेवा संघर्ष एवं शालीन राजनीति का प्रतीक बताया। सपा नेता ऋचा सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा की स्व० धर्मवीर जी ने इलाहाबाद कौशंभी के द्वाबा से निकल कर प्रदेश व देश में राजनीतिक पटल पर नाम रोशन किया।

पूर्व विधायक सत्यवीर मुन्ना ने कहा कि धर्मवीर जी स्वतंत्रत्रा आंदोलन की विरासत में पैदा हुए प्रखर देशभक्त थे। वे बड़े विद्वान तथा प्रबुद्ध विचारक थे। समाजिक विषमता की पीड़ा को उन्होंने अपने जीवन काल से ही झेला था। इस कारण वे जो भी काम करते थे, उसका चिंतन राष्ट्र की स्वतंत्रता के साथ साथ युगों से चली आ रही सामाजिक विषमताओं को दूर करने के संकल्प के रूप में रहता था। वरिष्ठ सपा नेता इसरार अहमद ने कहा कि धर्मवीर जी का देश के दबे कुचले मज़लूम लोगों के उत्थान के लिए योगदान सराहनीय रहा। वारिठ नेता मोईनउद्दिन ने कहा की उनके बताए आदर्शो व रास्ते पर चल कर समाज में समानता लाने के साथ-साथ राष्ट्र को तरक्की की ओर ले जाया जा सकता है। भाजपा नेता रामभजन त्रिपाठी ने कहा की उन्होंने सर्वसमज व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के हकों के लिए आजीवन संघर्ष किया और प्रत्येक मंत्रालय में उनके द्वारा समाज के सभी वर्गों के हित में किए गए कार्य आज भी याद किए जाते हैं। श्रीसत्ता पासी पत्रिका के संपादक अजय सरोज ने कहा कि धर्मवीर जी के आदर्शो को अपनाकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।

पुण्यतिथि श्रधांजलि माल्यार्पण सभा में धर्मवीर समाजिक संस्थान द्वारा सैकड़ों ग़रीबों व ज़रूरतमंदों को शीतलहरी से बचाव हेतु कंबल वितरण व माल्यार्पण किया गया जिसमें कांग्रेस भाजपा सपा जनसत्ता दल बसपा के सम्मानित नेताओं में मुख्य रूप से सुलेम सरांय मेला कमेटी अध्यक्ष दिनेश केसरवानी सुलेम सराय व्यापार मंडल अध्यक्ष अतुल केसरवानी पूर्व चेयरमैन भरवारी टाउन एरिया कैलाश केसरवानी इसरार अहमद मोईनउद्दिन चाचा बबलू यादव प्रधान बुद्धू लाल नेता जी प्रधान हटवा शिबली आनंद आर्य दिनेश आर्य ठाकुर रंजन सिंह नीलू चौरसिया विधि मौर्य अतुल मल्होत्रा आर्य समाज के प्रधान अजीत आर्य रामसुरेमन आर्य बद्रीप्रसाद पूर्व पार्षद महेंद्र सिंह बीएल सरोज गुलाब कोरी शाश्वत आर्य भैयाराम पासी सूर्यवीर चंदन पासी बोधराज पटेल लियाकत अली पंडित कमल शर्मा जनसत्ता दल अखिलेश गुप्ता डॉक्टर पंकज पांडे उदयवीर सिंह बांकेबिहारी तिवारी अभिषेक सिंह निसार अहमद रवि दुबे अमित पांडे कृष्णराज सिंह राणा रवि जी लेखक धर्मेंद्र कुमार पांडे मनीष पांडे विपिन पाल रावत अभिषेक सिंह संगम लाल निजी सचिव मनोज कुमार अफसर अहमद दिलीप सोनी रामखेलावन संगम लाल पांडे कमलेश सिंह सिंगरौर छात्र नेता सुनील सरोज राजकुमार राम संतोष कनौजिया एडवोकेट नमस्ते जी खेड़ा अंकुर केसरवानी अन्नू साहू दिलीप आर्य बहल चाचा आत्मप्रकाश बद्री प्रशाद रंजीत उर्फ़ धाकड़ पासी देवेन्द्र आर्य आदि ने माल्यार्पण कर धर्मवीर जी को श्रधांजलि अर्पित किया।

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प्रसिद्ध कथाकार बृजमोहन का असमयिक निधन होना साहित्य क्षेत्र में बड़ी क्षति है

प्रयागराज: झाँसी के प्रसिद्ध कथाकर बृज मोहन के असमयिक निधन हम सबको झकझोर दिया । आपके परिवार से मेरे बेहतर रिश्ते हैं पांच वर्ष पूर्व झाँसी गया तो उनके आवास की छत नसीब हुई और परिवार के साथ चर्चा में ऐसा मसगूल हो गया कि जैसे हम कई वर्षों के सम्बधी रहें ।

आंटी मनोरमा मोहन ,बेटी Medhavini Mohan जी बेहद संजीदा महिला हैं । दोनों साहित्य जगत में रुचि रखतीं हैं । मेधाविनी जी तो पत्रकारिता/लेखन क्षेत्र में पिता से भी आगें है ।

सूचना तो कल मिल गई थीं लेकिन आज सुबह तड़के ही चर्चित साहित्यकार सीबी भारती जी का फोन आया तो उन्होंने विस्तार से बताया ।

कथाकार बृज मोहन अंकल का जाना साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति है.आपका मदारी पासी के जीवन संघर्ष पर लिखा गया उपन्यास ‘क्रांतिकारी मदारी पासी’ सबाल्टर्न साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है.जिसे कुछ अध्याय को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने पाठ्यक्रम में शामिल किया है।

स्व.बृज मोहन जी अस्वस्थता के बावजूद 1857 की क्रांति की ” महानायिका वीरांगना ऊदा देवी पासी ” पर उपन्यास लिख रहें थें । कुछ दिन पूर्व बात चीत में उन्होंने बताया चार पांच अध्याय तक लिख चुका हुँ । अब यह काम बेटी मेधाविनी ही पूरा कर सकती हैं । उम्मीद है वह ऐसा करेंगी ..

इसके अलावा इनकी लिखित कहानियों में सबसे चर्चित ” नौ मुलाकातें तथा ‘ मोपेड वाली लड़की ‘ जैसे बेहतरीन कहानी सँग्रह आपके साहित्यिक खाते में दर्ज हैं ।

यह कम लोग जानतें है कि संजय लीला भंसाली को ‘ बाजीराव मस्तानी ‘ पर फ़िल्म बनाने का विचार और सुझाव उन्होंने ही दिया । बुंदेलखंड की ऐतिहासिक कहानी को उन्होंने बेहतरीन ढंग से लिखा है जो आहा ! जिंदगी में छपा । जिससे प्रेरणा लेकर फ़िल्म बाजीराव पर्दे पर आई ।

अंकल आपका जैविक शरीर भले ही न रहा लेकिन आप हम सबके स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगे । सादर नमन…

(अजय प्रकाश सरोज की फेसबुक वॉल से साभार )

कविता जिसने जीवन की दिशा बदलने का काम किया !!

लखनऊ: कवि और कवितायें हमेशा मानव जीवन को प्रभावित करते आए है । कवि जो कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कह देते है । मानव की हमेशा से यही प्रवृत्ति रही है कि हम अपने दुख से कभी दुखी नहीं होते, हम हमेशा पड़ोसी के सुख से दुखी होते हैं!

मित्र रामयश विक्रम जी की यह कविता है जो कम शब्दों में बहुत कुछ कहती है । रामयश विक्रम जी कहते है हमने कभी प्रेम और सद्भाव की बातें नहीं किया, हम सदैव ईर्ष्या और द्वेष में जीवन के सुख ढूंढते हैं! मानव मन की इन्हीं संक्रियाओ पर आधारित

यह कविता जिसने जीवन की दिशा बदलने का काम किया ,आज आपके साथ साझा कर चाहता हूं की सदैव

आपका स्नेह पात्र बना रहूं!!

मैंने उलझी गांठो को ,कभी नहीं सुलझाया!

इसीलिए अंबेडकर ,गांधी ,बुद्ध नहीं बन पाया !!

ईटों का उत्तर पत्थर से देना सीखा है ,

सत्य आहिंसा में घाटा ही घाटा दीखा है!!

गाली देने वालों का बढ़कर सिर फोड़ा है,

धैर्य क्षमा से हरदम ही मैंने मुख मोड़ा है!!

इतिहास अंगुलिमालों का हमने हीं दोहराया !

इसीलिए अंबेडकर गांधी बुद्ध नहीं बन पाया !!

मेरा सीमित आकाश उड़ाने भी सीमित हैं !

सांसो में स्वार्थ भरी सांसे ही जीवित हैं !!

फूल बिछाने वालों के पथ पर कांटे बोए!

देख पड़ोसी की खुशियां भीतर भीतर रोए !!

अपने सुख के लिए राह में दूजों की कूप खुदाया!!

इसीलिए अंबेडकर गांधी बुद्ध नहीं बन पाया!!

मैंने अहंकार के नाग विषैले पाले हैं!

पृष्ठंकित जीवन के सारे पृष्ठ तभी तो काले हैं !!

द्वेष दंभ ही मेरी नैया के खेवन हारे हैं

बर्फीले झंझाबातों में तारण हारे हैं !!

पापी मन को मैंने सत्कर्मों से दूर हटाया ।।

इसीलिए अंबेडकर गांधी बुद्ध नहीं बन पाया!!

जीवन अंतिम सांसों तक फंसा रहा भोगों में,

भौतिकता की अंधी दौडो में उद्योगों में!

चक्कर में माया मोह के हरदम फंसा रहा ,

काम क्रोध मद कीचड़ में ही हरदम धंसा रहा!

प्रेम भक्ति का कमल हृदय में कभी नहीं खिल पाया

इसीलिए अंबेडकर गांधी बुद्ध नहीं बन पाया!!

— रामयश विक्रम “प्रदीप”- 9918710118

कोरोना प्रभावित मरीजो का इलाज कर देश समाज नाम रोशन कर रहे है :डॉ रमेश चंद्रा रावत

लखनऊ: इस समय जिस बीमारी का नाम सुनकर लोग कांप उठ रहे हैं जिसके नाम का लोगो मे भय है कोई भी घर से निकलना नही चाहता है कोई भी आम आदमी या चिकित्सक जिन मरीजो के आसपास तक भी नही जाना चाहता है उस से प्रभावित पाजटिव एवम संदिग्ध मरीजो के इलाज के लिये आगे आये है , जनपद अमेठी के जगदीशपुर विधानसभा के बाजार शुक्ल ब्लॉक के पूरे नया (जैनबगंज)निवासी किसान परिवार मे जन्मे डॉ रमेश चंद्रा ।।डॉ चंद्रा वर्तमान समय मे किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ मे चिकितस्क पद पर कार्यरत हैं और उस चिकत्सक पैनल के अहम सद्स्य है जो कोरोना पाजिटिव मरिजो का इलाज कर रही है। साथ ही पहली कोरोना पाजिटिव मरीज डॉ नाजिया को भी ठीक करने मे सफल हुए है।।।


जिस समर्पण से उन्होने अपने चिकित्सक धर्म को निभाया है इस कार्य के लिए ना केवल चिकित्सक समुदाय,उनके ,क्षेत्र की जनता ईष्ट मित्र ,सराहना कर रहे है,उनकी देश विदेश से भी लोग तारीफ कर रहे है ।। देश के प्रधान-मंत्री कार्यालय से भी फोन कर उन् के कार्यो की सराहना की गई है ।।।।

पूर्व मे भी गरिबो की मदद के लिये कई जगह हो चुके है सम्मानित :
बताते चले की डॉ रमेश चंद्रा पहले भी कई सामजिक संगठनो एवं एनजीओ के माध्यम से गरीब एवं जरुरतमन्दो के इलाज एवं उन् के शिक्षा पर काम करते रहे है जिसके लिये उनको कई बार सम्मानित किया जा चुका है जिसमे प्रमुख रुप से पिछ्ले वर्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सम्मान ,उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष से सम्मान ,एवं विहार के मुख्यमंत्री के हाथो सम्मानित किया जा चुका है ।।।।


एक विशेष बातचीत मे डॉ रमेश चंद्रा ने बताया की मै अपने चिकत्सक धर्म का पालन कर रहा हूं ।जीवन मे बहुत कम समय ऐसा आता है जब आप काम की सराहना पूरे देश मे होती है पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है ,आप के लिये दुआये करता है आप को आशीर्वाद देता है ।।इसी का परिणाम है की हम सभी निडर हो करके अपना काम कर पा रहे है ।।और हम अपनी पहली कोरोना पाजिटिव मरीज को ठीक करने मे सफल हुए हैं ,आशा करते है की सभी मरीज जल्द ही सही हो करके घर जाएंगे।।

जहाँ आज बहुत से लोग डर कर अपनी ज़िम्मेदारी से दूर रहने की कोशिश कर रहे है, छुट्टी लेकर पर घर बैठे वहीं डा० रमेश चंद्रा जैसे साथी १२-१५ घंटे लगातार अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे है ।

पासी राजा महाराजा बौद्ध थे ? हिंदू थे ? या दोनो नहि थे ? – एक चर्चा !!

पासी समाज के इतिहासकारों ने पासी समाज के राजा महाराजाओ पर इतनी खोजे की है, इतना कुछ लिखा है इतने साक्ष्य दिए है की जिससे बहुत कुछ पता चल जाता है । तक़रीबन सभी पासी प्रमुख इतिहासकार , चाहे वह राजकुमार जी हो ,रामदयाल वर्मा जी हो , के पी राहुल जी हो , आर ए प्रसाद जी हो या बाक़ी के इतिहासकार सभी ने पासी समाज के बारे बहुत कुछ लिखा है और सब के सब एक ही दिशा दिखाते है राजा महरजाओं की ।

पर सोशल मेडिया पर लोग अपना ही ज्ञान देने में यक़ीन रखते है कुछ पढ़ना -लिखना या सुनना नहि चाहते है । वह जो मानते है बस वही सही है बाक़ी सब ग़लत ।

पासी इतिहासकारो ने इसके बारे में क्या लिखा है यह आपको ख़ुद ही पढ़ना पड़ेगा । इन माननिय लोगों इतना कुछ लिखा है की मेरा कुछ कहना बहुत मायने नहि रखता पर सोशल मीडिया में रायता फैला रखा है । इसलिए इस पर एक चर्चा –

पासी राजाओं को हिंदू बताने का सबसे बड़ा कारण लोग यह बताते है की राजा महाराजाओ के महल में देवी का मंदिर मिला है ? पर किस देवी का मंदिर मिला है ? वह मंदिर कितना पुराना है ? अरे भाई नीचे कुछ तस्वीरों को देखिए बुद्ध की मूर्तियों को देवता में बदल करके मंदिर में बदल दिया तो राजाओं के महल में पूजा स्थल को मंदिर बनाने में कितना समय लगेगा ?

उसके अलावा देवी या देई शब्दों के रहस्य को समझिए ,देवी का मंदिर है या देई का मंदिर है ? पासी समाज में २-३ पुरानी पीढ़ियों के महिलाओं के नाम देखिए नाम को देखिए देवी नहि देई नाम से मिल जायेंगी जैसे की राददेई या राजदेई उसके बाद देई शब्द के इतिहास को देखिए।देई नाम हमारे सामज के पुराने बहुत से लोग क्यों उपयोग करते थे।

अभी कुछ पीढ़ी के पहले जा कर देखिए पासी समाज के पुराने लोग मंदिर वैग्रह के भगवानो से जयदा महत्वपूर्ण उनके ख़ुद के देवता होते थे जो की उनके घरों के किसी कोने में रहते थे । हर दुःख सुख में उन्हीं घर में रहने वाले देवताओ के सामने ही पूजा अर्चना करता थे ना की किसी मंदिर वैग्रह के भगवानो के यहाँ जाते थे ।

वैसे भी पासी राजा महरजाओं के समय हिंदू शब्द जयदा प्रचलित भी नहि था तो वैसे भी इस शब्दों का उनसे कोई लेना देना शायद नहि था ।

तो क्या वह बौद्ध थे ??

उसके पहले यह समझना होगा की बौद्ध धर्म और बौद्ध सभ्यता दोनो अलग अलग है । बौद्ध सभ्यता महात्मा गौतम बुद्ध के बहुत पहले से भारत में प्रचलित थी । हड़पा की खुदाई में स्तूप और बौद्ध सभ्यताओं का मिलना इसकी पुष्टि करते है । गौतम बुद्ध तो बहुत बाद में जन्म लिए थे बौद्ध सभ्यता जो बुद्ध से पहले ही थी गौतम बुद्ध ने उसे आगे बढ़ाया और बाद में उन्होंने धम्म का प्रसार किया जिसे आज लोग धर्म से जोड़ देते है ।बौद्ध सभ्यता भारत इसी भूभाग की सभ्यता थी ।कोई बाहरी चीज़ नहि है इसी धरती की उपज है ।

पासी राजा महाराजा बौद्ध धर्म को मानते थे यह नहि कह सकता पर हिंदू धर्म को नहि मानते थे यह यक़ीन से कह सकते है क्योंकि उससे इन लोगों का कोई लेना देना नहि है ।

हाँ इन लोगों ने बौद्ध सभ्यताओं को आगे बढ़ाया यह कहा जा सकता है पर वह बुद्ध या बुद्ध के धर्म से अलग रहा हो सकता है ।

बौद्ध सभ्यता और पासी के लिंक को इतिहासकार राम दयाल वर्मा के एक लेख “ नाग, असुर और पासी के संबंध”से समझा जा सकता है ।

जो जानकरियाँ अभी तक मिली है उससे पता चलता है वह लोग किसी भी देवी ,देवता या बुद्ध को नहि पूजते थे यह कहा जा सकता है । वह लोग भी अपने कुल देवताओं को ही पूजते रहे होंगे । ।हमारे घरों के जो देवता होते थे उसमें किसी की मूर्ति नहि होती थी । वह बस पूर्वजों को पूजते थे । क्या यह बौद्ध सभ्यता से नहि मिलता जुलता ? बौद्ध सभ्यता में भी मूर्तियों को पूजने का रिवाज नहि था यह तो महात्मा गौतम बुद्ध के बाद कुछ लोगों ने मूर्तियों को पूजन शुरू किया जो आज भी जारी है ।

हम सबको एक ही में मिक्स कर देते है इसलिए हम धर्म से ऊपर जा ही नहि आ पाते और बहुत लोग बुद्ध से बड़ा विरोध है तो बौद्ध से जुड़ी हर चीज़ को गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से जोड़ देते है ।

मुझे लगता है पासी राजा महाराजाओं का हिंदू धर्म से जयदा लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म या धर्म से भी शायद जयदा लेना देना ना रहा हो । पर बौद्ध सभ्यताओं से यह लोग जुड़े थे या पासी के पूर्वज बौद्ध सभ्यताओं से थे यह कहा जा सकता है भले ही गौतम बुद्ध को ना पूजते रहे हो ।

एक और बात जो महत्वपूर्ण लगती है इस दिशा में जब पासी राजा महाराजाओं का राज था इस भारत देश पर तो उस समय देश के राजाओं में मंदिर बनाने का बड़ा चलन था । पासी समाज के इतने बड़े राजा महाराजा हूये है , सम्राट और चक्रवर्ती राजा भी थे क्या उन पासी राजाओं ने एक भी भव्य मंदिर बनाया ?? किसी भी पासी राजा ने बनवाया ? इतने बड़े राजा और महाराजा जिनका एक बड़े भूभाग पर शासन था क्या ऐसा पोस्सिबल है कोई एक भी भव्य मंदिर ना बनवाए ?

एक भी बुद्ध विहार भी नहि बनवाए !

इसलिए मेरा यह कहना है की हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहि था और शायद गौतम बुद्ध के धम्म से भी , क्योंकि तब तक बुद्ध धम्म को देश से बाहर किया जा चुका था ,पर बौद्ध सभ्यता से जुड़े थे क्योंकि यह भारत की प्राचीन सभ्यता है जो हड़प्पा और मोहन जोदडो के समय से चली आ रही है ।

मुझे लगता है पासी इतिहासकार बहुत आसानी से यह साबित कर सकते है की वह क्या थे ? पर इससे विवाद जन्म लेगा और पासी समाज में ऐसे ही इतनी समस्याएँ है ,आपस में मत भेद है एक और विवाद ठीक नहि होगा । इसलिए जिसे जो मानना है माने चाहे हिंदू माने या बौद्ध पर आपस में लड़ाई ना करे अपनी मान्यताओ को दूसरे पर ना थोपे ,दूसरों को नीचे दिखाने की कोशिश ना करे । अपने अपने साक्ष्यों और जानकारियों के हिसाब से अपनी बातों पर क़ायम रहिए पर दूसरों पर थोपिए नहि । बस तर्क शील और प्रूफ़ साथ अपनी बातें संयम से रखते रहिए ।

इस समय बौद्ध या हिंदू की बजाय एकता की ज़रूरत है और अलग अलग मान्यताओ के बावजूद हम एक साथ रह सकते है और पासी समाज की समस्याओं से लड़ सकते है ।

(यह लेख मेरे निजी बिचार है और इसका किसी भी तरह के संगठन या संस्थाओं से लेना देना नहि है । यह लेख पासी इतिहासकारों, पासी इतिहास और भाषा वैज्ञानिक डा० राजेंद्र प्रसाद द्वारा खोजी गई जानकरियों के आधार पर लिखा है )

*राजेश पासी,मुंबई*

देश ठेके पर चलेगा और हम कब गुलाम हो जायँगे पता भी न चलेगा- संपादक अजय प्रकाश

प्रयागराज : आज इलाहाबाद के अल्लापुर इलाके में किसानों – नौजवानों से सम्बंधित एक सामाजिक बैठक को सम्बोधित करतें हुए संपादक अजय प्रकाश जी ने अपनी राय रखी और कहा कि – किसानों की फसल का डेढ़ गुना दाम का दावा करने वाली सरकार किसानों की फसलों को नष्ट करवा रही हैं ।

खेती किसानी को आवारा पशुओं से बचाने में किसानों की नींद हराम हुई हैं, मॉब लॉन्चिंग की डर से किसानों का पशु ब्यापार ठप हो गया हैं । उसके जेब मे पैसे नही आ रहें हैं । देश में नौजवानों के हाथ मे रोजगार नही हैं करोंड़ों नौजवान बिना काम के घर बैठें है, परिवार और समाज में ईर्ष्या का दंश सह रहें है।सरकारी संस्थाओं को निजी कम्पनियों के हाथों बेचा जा रहा है । नौजवानों से मोटी रकम वसूलकर ठेके पर अस्थायी नौकरी दीं जा रही हैं।

देश की बिगड़ी हालात का जिम्मेदार देश का जवान और किसान है जो चुप है । अब इसे अपने हक़ के लिए इंकलाब करना होगा । वरना मोदी देश को भी प्राइवेट कम्पनियों के हाथों बेच देगा , हम आप देखते रह जाएंगे । देश ठेके पर चलेगा और हम कब गुलाम हो जाएंगे यह भी पता नही चलेगा ।

जय जवान ..जय किसान.. जय संविधान

देश में पहली बार हुआ मुंबई पासी प्रीमियर लीग (MPPL) –

मुंबई : देश में पहली बार पासी प्रीमियर लीग की शुरुआत मुंबई से हुई है । क्रिकेट हमेशा से ही युवाओं की पहली पसंद रहा है । इसी को ध्यान में रखते हुए युवाओं को समाज से जोड़ने के लिए पासी प्रीमियर लीग (MPPL) की शुरुआत अखिल भारतीय पासी विकास मंडल (रजी.) (ABPVM®️) ने मुंबई से की है ।

देश में पहली बार MPPL की शुरुआत महाराजा बिजली पासी की जयंती के अवसर पर 25 दिसम्बर 2019 को मुंबई वर्ली स्पोर्ट क्लब में हुई ।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था युवाओं को जोड़ने का वह बहुत अच्छी तरह से सफल हुआ है । आयोजन में पूरी मुंबई से बहुत से युवाओं ने भाग लिया । यूथ की खोज के लिए जिन साथियों के ऊपर ज़िम्मेदारी दी गई थी उन लोगों ने कई नए पासी युवाओं को पूरी मुंबई से खोजा था ।

इस मुंबई पासी प्रीमियर लीग में कुल 16 टीमों ने भाग लिया था । सभी टीमों के नाम हमारे पूर्वज पासी राजा महाराजाओं के नाम पर थे । अंतिम दौर में महाराजा टीकन नाथ पासी (वसई -विरार ) और महाराजा छीता पासी ( शिवड़ी) टीम के बीच रोमांचक मुक़ाबला हुआ । इस अंतिम रोमांचक मैच को महाराजा टीकन नाथ पासी टीम ने महाराजा छीता पासी टीम पर 9 विकेट से बढ़त बनाते हुए पहले MPPL कप पर क़ब्ज़ा किया । मैन ओफ द मैच महाराजा टीकन नाथ पासी टीम के संतलाल जी रहे ।

MPPL 2019 मैन ओफ द मैच ट्रोफ़ी प्राप्त करते हुए संतलाल जी
MPPL 2019 की टीमें

पूरे मुंबई के सैकड़ों साथी इस आयोजन के गवाह बने । मौजूद सभी स्वजातीय साथियों के लिए सुबह का नाश्ता ,दोपहर का लंच और शाम के नाश्ते की भी वयस्था की गई थी ।

मुंबई के कई साथियों ने इसे स्पोन्सर किया था । मुख्य स्पोन्सर श्री सी पी सरोज जी और श्रीमती सुशीला सरोज जी थे ।

पासी समाज के लिए यह आयोजन बहुत ही दूरंदेशी वाला निर्णय है जिसके दूरगामी फ़ायदे होंगे ।आशा है आने वाले समय में ऐसे और भी आयोजन देश भर में होंगे जिससे युवाओं को समाज से जुड़ने का मौक़ा मिलेगा ।

विजयी महाराजा टिकन नाथ पासी टीम , टीम मेंटर हरेंद्र पासी जी कैप्टन वीजेंद्र सरोज जी और साथी!
विनर टीम के साथ टीम स्पॉन्सर S P वर्मा जी , इवेंट स्पॉन्सर C P सरोज जी और संयोजक डा० रमाशंकर भारती जी

वीरा पासी की बहादुरी का अंग्रेज भी लोहा मानते थे – सुशील पासी

अमर शहीद वीरा पासी की स्मृति मे वीरवर बीरा पासी ट्रस्ट द्वारा लालगंज नगर पंचायत में मनाया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रुप में *राष्ट्रीय भागीदारी मिशन के मुख्य संयोजक माननीय सुशील पासी जी* उपस्थित रहे । श्री पासी ने कहा कि वीरा पासी देश के लिए शहीद हुए थे वे किसी एक जाति या किसी एक धर्म के नही लड़े थे ।भारत के समस्त नागरिकों को जब तक समस्त क्षेत्रों में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा या भागीदारी नहीं मिलेगी तब तक हम वीरा पासी के सपनों का भारत नहीं बना सकते हैं। देश की आजादी में हम जाति और धर्म के लोगों ने अपना खून बहाया है।

1857 की क्रांति में शहीद हुए शहीदों का चित्रण करते हुए कहा कि आज के युवाओं को देश के लिए शहीद हुए वीरों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सियासत करने वालों ने हमें आपस में लड़ आया जिससे देश कमजोर हुआ यह देश भाईचारे और बंधुत्व से चलेगा। हमारी वसुधैव कुटुंबकम हमारे विश्व गुरु बनने की ओर एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि हमारा समाज सामाजिक रूप से संगठित होता है, हम सब मिलकर सामाजिक सम्मेलन तो करते हैं परंतु अब हमें जरूरत है अब हम राजनीतिक रूप से संगठित हो और प्रदेश में अपनी भूमिका तय करें। इस मौके पर मुख्य अतिथि ने विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा वीरवार वीरा पासी ट्रस्ट के सदस्यों को उक्त कार्यक्रम के लिए धन्यवाद दिया।

इस मौके पर राष्ट्रीय भागीदारी मिशन के जिला प्रभारी सुरेन्द्र मौर्य जी, जिला अध्यक्ष यशपाल एडवोकेट जी , जिला महासचिव शिवप्रसाद जी विजय कुमार जी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर योगेश जी , राजेश वर्मा जी समेत हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।