स्वधर्म के साथ आगें बढ़ें और समाज के लिए बड़े लक्ष्य हासिल करें – संपादक, डॉ अजय प्रकाश सरोज

प्रयागराज: नया साल है ! वैसे तो यह हर बारह महीने के बाद आ जाता है । दिसम्बर की ठंठ जनवरी में ज्यों का त्यों बना रहता हैं । रात भर में कुछ भी नही बदल जाता । हर साल बस तारीख बदल जाती है इसके अलावा कुछ भी तो नहीं बदलता गरीबी ,भुखमरी बीमारी बस वैसे ही है । इस तरह क्रांतिकारी बात लिख देने मात्र से भी कुछ नही बदलेगा । लिखने को तो ढेरों साहित्यिक, दार्शनिक और निर्गुण बातें लिखी जा सकती है लेकिन उसमें स्वयतः सुखाय के अलावा कुछ हासिल नही होने वाला ।

लक्ष्य बिहीन लेखन और सामाजिक समस्याओं के निराकरण बिना लेखन मुझें बहुत आकर्षित नही करता । इसलिए मैं वहीं लिखने की कोशिश करता हूँ जिससे थोड़े ही सही मगर बदलाव की उम्मीद हो लेकिन पासी समाज के लिए तो बदलाव की बात बेईमानी ही लगती हैं । यह समाज थोपे गए विचार या उधार के विचार से संचालित होता हैं । इसका अपना वैचारिक राह नही है ।

पासी समाज में थोड़े बहुत लोगों के पद पैसा में बदलाव हो सकता है ,लेकिन इसके साथ अपनों के लिए उनका ब्यवहार भी बदला जाता हैं । वें पास आने के बजाय समाज से दूर हो जाते हैं । क्या यहीं है बदलाव ! तो मैं इसे बदलाव नही अलगाव की श्रेणी में रखना चाहूँगा ।

बदलाव जब तक परिवर्तनगामी न हो , परिवर्तन अपने साथ बड़े समूह के होने का बोध कराता हैं । समाज के बलबूते स्वधर्म के साथ आगे बढ़ना बड़े लक्ष्य को हासिल करता है । बडे लक्ष्य के लिए समाज में वैचारिक प्रतिमान औऱ स्वधर्म अपनाना होगा । स्वधर्म वहीं जो समाज के बड़े हितों पर केंद्रित हो ब्यक्तिगत लाभ के लिए तो समाज के चाटुकारों की कमी न रही है, न आगे होगी ।

नए साल में उधार के वैचारिकी को छोड़कर समाज के चारित्रिक सौंदर्यबोध के साथ स्वधर्म का पालन करते हुए बड़े लक्ष्य तय करने की समझ समाज में पैदा हो । छोटे मोटे स्वार्थों को त्यागकर बड़े लक्ष्य की ओर समाज अग्रसर हो ऐसी उम्मीद करता हूँ ।

आप सबसे नए वर्ष में नई ऊर्जा के साथ समाज में बदलाव के लिए निरंतर संघर्ष की ज्योति जलाए रखनें के लिए योगदान की अपेक्षा करता हूँ ।

जय संविधान… जय पासी समाज

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