मशहूर हैं पासी समाज के बीजेपी विधायक ,पूर्व मंत्री की सादगी के किस्से, (बैजनाथ रावत जी  )

बैजनाथ जी भैंसों के लिए चारा बनाते हुए और उनका आम निवास

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व ऊर्जा मंत्री । भारत देश के बाराबंकी से पूर्व सांसद । क्या यह मामूली उपलब्धि है।
आज के ज़माने जहाँ एक गाँव का प्रधान भी इतने रुआब और घमंड से रहता है कोई एकाध बार कोई विधायक बन जाय तो पैर ही ज़मीन पर नहीं रहते आम आदमी उन्हें दिखते ही नहीं । बिना लाव लश्कर के चलते ही नहीं। 
यूपी के बाराबंकी जिले के भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक बैजनाथ रावत, जो पूर्व में विधायक, सांसद और सूबे के ऊर्जा राज्यमंत्री जैसे ऊंचे ओहदों पर पदासीन रह चुके हैं. लेकिन इनकी सादगी और ईमानदारी का पूरा जिला कायल है.

14 वर्षों बाद भाजपा के लिए वनवास काट रहे हैदरगढ़ विधानसभा क्षेत्र ने इस बार एक ईमानदार नेता बैजनाथ रावत को भारी बहुमत से जिताकर हैदरगढ़ का विधायक बनाया है. बैजनाथ रावत हैदरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के भूलभुलैया गांव के रहने वाले हैं, जिन्होंने सपा से दो बार के विधायक रहे राममगन रावत को भारी मतों से हराकर जीत हासिल की है. बीजेपी के इस विधायक की सादगी और ईमानदारी के किस्से जिले भर में मशहूर हैं.

चाहे कोई भी उम्र हो, कोई भी जाति हो, कोई भी वर्ग हो बैजनाथ रावत के लोगों से मिलने का अंदाज नहीं बदला. वहीं बैजनाथ रावत की पहचान हमेशा से जमीनी नेता के तौर पर रही है. आज भी बैजनाथ रावत अपने पक्के लेकिन प्लास्टर और फर्श के बगैर बदसूरत से लगने वाले मकान में अपने परिवार सहित रहते हैं.

खास बात ये है कि ये बीजेपी विधायक अपने जानवरों के लिए मशीन में चारा काटकर अपने हाथों से खिलाते हैं और यही नहीं वो अपने खेतों में फसल बोने से लेकर फसल काटने तक का काम एक आम किसान की तरह खुद ही करते हैं.
हम Reachout countrywide Pasi ( RCP) टीम के साथ ४ जुलाई २०१६ को हम मिले बैजनाथ रावत जी और रामयश विक्रम जी से मिले मुंबई में । 

बायें से सुधीर , राजेश , बैजनाथ जी , मित्र रामयशजी और अशोक सरोज

वह आज भी इतनी सादगी से रहते है की विश्वास नहि होता की वह प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और सांसद भी रह चुके है । 

जब वह पहली बार मंत्री पद की शपथ लेने गए थे तब भी बिना किसी लाव लावशकर के सिर्फ़ बैजनाथ जी और उनके साथ रामयश जी केवल दो ही लोग राजभवन में पैदल चल कर गए थे । दूसरे दिन अखबारो में काफ़ी चर्चा थी बैजनाथ जी की । आज भी वह उसी सादगी से रहते है और कोई भी आम जन कभी भी कहीं भी मील सकते है ।

उनके साथ ही हम मिले हमारे लखनऊ के मित्र रामयश विक्रम जी से । जो कल तक सिर्फ़ मित्र की सूची में थे जो अब घनिश्ठ मित्रों की सूची में शामिल हो गए है । 

RCP और श्री पासी सत्ता की तरफ़ से मैं राजेश पासी , सुधीर सरोज और अशोक सरोज जी ने बैजनाथ रावत जी और रामयश विक्रम जी का मुंबई में स्वागत किया था और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दी थी । उनकी वह मुलाक़ात हमेशा याद रहेगी । समय कम होने की वजह से सिर्फ़ २-३ घंटे ही साथ में बिता सके । सचमुच काफ़ी अच्छा लगता है जब अपने लोगों से निस्वार्थ भावना से मिलते है । और जब ऐसे लोगों की सादगी को दुनिया सलाम करती है 

बहुत बहुत धन्यवाद रामयश विक्रम जी और बैजनाथ रावत जी । -राजेश पासी,मुंबई 

बसपा समर्थक पासी को परिवार सहित दबंगों ने पीटकर किया लहूलुहान

इलाहाबाद : इसे सत्ता की हनक ही कह सकते हैं कि भाजपा नेताओ की सह पर बसपा कार्यकर्ता के साथ गुंडागर्दी की गई ।  हद तब पार हो गयी जब भाजपा नेताओं ने खुलेआम एसओ कैंट को पीड़ित पक्ष का मुकदमा पंजीकृत न करने धमकी दी । कैंट थानांतर्गत राजपुर निवासी प्रमोद पासी बसपा समर्थ है। रंजिश बस प्रमोद सहित उसके छोटे भाई और माँ को मार पीटकर दंबंगो ने लहूलुहान कर दिया। पुलिस कार्यवाही में जुटी है लेकिन दबंगो पर भाजपाई नेताओ का संरक्षण प्राप्त है। -अजय प्रकाश सरोज 

विविध रंगो का त्योहार है होली,होलिका की अवधारण भ्रामक –अजय प्रकाश सरोज

देश के हर त्यौहार का कुछ न कुछ कहानी आप लोगो ने जरूर सुनी होंगी । भारत में लगभग सभी त्योहारों का अपना अपना कारण है। जरा सोचिए क़ि प्राचीन काल से ही भोले भाली जनता क्या सांस्कृतिक तौर पर इतनी हिंसक रही होगी क़ि अपनी महिलाओ को जलाकर उत्सव मनाते होंगे ? लेकिन आर्यो के आगमन के बाद कुछ ऐसा ही भारत की संस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होना पाया जाता है।
होली के त्यौहार से जुडी जो घटना बताई जाती है मुझे ब्यक्तिगत तौर पर इसमें भी साज़िश लगती है । एक तो हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का अपने भतीजे विष्णु भक्त प्रह्लाद के साथ आग में बैठना और दूसरा प्रह्लाद की खोज में गई होलिका का ब्राह्मण -आर्यो द्वरा बलात्कार करके जला देना । फिर उस अपराध को छुपाने के लिए रंगों के साथ उत्सव मनाने का षणयंत्र रचना ।

इस त्यौहार को लेकर दो विचारधरा पढ़ने और सुनने को मिलती है।
यह तो कई विद्वानों ने सिध्द किया क़ि सभ्यता के शुरुआती दौर में भारत प्रकृति पूजक समाज रहा है। हमारे त्यौहार अधिकांश प्रकृति के साथ जुड़े हुए है। होली का त्यौहार भी ग्रामीण किसानों की लहराती खेती के समय से जुड़ा हुआ है। ऐसा लगता है यह परंपरा भारत में आर्यो के आगमन से पहले कि रही होगी। जिसको आज कई प्रान्तों में अलग अलग नाम से मनाते है।
बाद में इन त्योहारों में आर्यो ने अपनी  ईश्वरी अवधरणा के सिद्धांत को जोड़कर दैवीय सिद्धन्तो को मजबूत किया । ताकि यहाँ  के प्रकृति पूजक समाज को प्रकृति के मूल सौंदर्य और महत्व से अलग किया जा सकें।
फिर  इन्ही के मायाजाल में फंसे लेखकों ने इस प्रकरण के जवाब में  होलिका को बहादुर व साहसी महिला बताने के साथ ही प्रह्लाद को निकम्मा और बिगड़ा हुआ लड़का बताया ।  जिसके कारण होलिका की हत्या की गई। जरा सोचिए कि इस घटना को सर्वप्रथम किसने कहा होगा ? और क्यों ?
लेकिन इस विवाद में उन ग्रामीणों और खेतिहर मजदूरों वाला होली के त्यौहार कहीं गुम होता जा रहा है। जिसमे प्रेम ,भाईचारा ,सौहार्दय की मिठास थीं । जाति -पाति , लिंग -भेद  आपसी मनमुटाव दरकिनार कर एक दूसरे से गले मिलते थे। लेकिन अब विविध रंगों और विभिन्न प्रकार के पकवानों से सजे रसोइयों की महक कम होती जा रही। ऐसे कई बहुजनों को अक्सर होली के त्यौहार से दूरी बनाते हुए देंखा जा सकता है।
मेरा मानना हैं किअगर मन करें तों  विविध जातियों ,विविध धर्मो, विविध संस्कृतियों के देश भारत में विविध रंगों का त्यौहार होली जरूर मनाएं लेकिन होलिका के  विवादित प्रकरण को इससे न जोड़ के देंखे। ध्यान रहें विविध रंगों का प्रयोग करें। न कि एक रंग जिसे आजकल  एक पार्टी के लोग कह रहे है। अपनी विविधता के इस सौंदर्य को हमे  बरक़रार रखना होगा।

पत्रकार रवीश कुमार के जातीय आंकड़े का विरोध – अजय प्रकाश सरोज

10 मार्च को एनडी टीवी के वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने प्राइम टाइम के कार्यक्रम में पासी जाति की संख्या 14 प्रतिशत बताया है जो बिलकुल गलत है। जाटवों की संख्या को उन्होंने 56 ℅ बताया यह आंकड़ा भी झूठ है । 
रवीश जी को मैं अक्सर आंकड़े के साथ ही बोलते देखा है लेकिन यह आंकड़ा जहां से उन्होंने लिया है यह सही नहीं है। यह प्रश्न उस वेबसाइट पर तो खड़ा होता ही है जहाँ से उन्होंने यह आंकड़ा निकाला है। साथ में रविश कुमार पर भी है कि इतने जागरूक पत्रकार होंते हुए उन्होंने जल्दबाजी में बिना पड़ताल के यह आंकड़ा प्रस्तुत किया ? 
उत्तर प्रदेश में 66 जातियों का समूह अनुसूचित जातियों का है । जिसमें जाटवों की संख्या कम है। लेकिन सत्र 1981में कांग्रेसी नेता जग जीवनराम सहित उत्तर प्रदेश में राजनीति की फ़सल उगाने को उत्सुक जाटव नेताओ ने बड़ी चालाकी से उत्तर प्रदेश की धुसिया,झुसिया,चमार ,और अधिकांश मात्रा में पाये जाने वाली मोची जाति को मिलवा लिया । यह सभी जातियां 1971 तक अलग अलग थीं।
 जिसे बाद कांशीराम के रहते मायावती अपने मुख्यमंत्रित्व काल और मज़बूत किया । जाटवों ने यह सब काम दूरदृष्टि रखते हुए सत्ता की हनक से की थीं। यहीं नहीं बसपा के सरकार में कोरी जाति का प्रमाण देना बंद करा दिया । लेखपाल कोरी से बोलता था कि चमार का सर्टिफिकेट बनेगा ? 

मायावती ने सत्ता का दुर्योपयोग करते हुए जाटवों के साथ अन्य पाँच जातियों को मिलाकर अपनी संख्या बढ़ा ली। जिसकी सही आंकड़ा 52% है । लेकिन पासी समाज की संख्या उपजातियों सहित लगभग 25% है। 

मायावती अपनी बसपा सरकार में इन्हें अलग रखने का षड़यंत्र करती रही। पासी जाति की संख्या को तोड़ दिया गया। जिसकी संख्या 16 प्रतिशत बची है। लेकिन आज भी पासी की रावत जाति सहित कई उपजातियों को पासी का प्रमाण पत्र मिलता है । 

लेकिन इनकी संख्या पासी के साथ नहीं जोड़ी जाती है। यह पासी जाति की जातीय संख्या पर गंभीर हमला है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, 1881 में जनगणना आयुक्त नेस्फील्ड के आंकड़े के अनुसार पासी जाति की संख्या चमारों से 26 गुना ज्यादा थीं। 
रविश कुमार के इस तरह गैर जिम्मेदार ख़बर पर श्रीपासी सत्ता अपना आपत्ति दर्ज करवाता है। और सलाह देता है कि एक जिम्मेदार पत्रकार की विश्वनियता बनाये रखने के लिए अपनी इस गलती के लिए पासी समाज से माफ़ी मांगना चाहिए । – अजय  सरोज ( सम्पादक श्री पासी सत्ता )

इंटरनेशनल महिला दिवस पर देश की सबसे ताकतवर बहुजन महिलाओ को जानिये !

इंटरनेशनल लेवल पर महिला दिवस मनाया जा रहा है। भारत में भी चारों ओर महिला दिवस की बधाईयां दी जा रही हैं। कुछ महिलाओं को आज सम्मानित किया जाएगा और उनके संघर्षों की बात की जाएगी। लेकिन इस पूरे विमर्श से बहुजन महिलाओं का संघर्ष गायब है। सैंकड़ों बहुजन महिलाएं देश को मजबूत बनाने और देश की तरक्की के लिए संघर्ष कर रही हैं। लेकिन उनको मुख्य धारा के विमर्श से बाहर रखा गया है।
सावित्री बाई फुले
सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका थी। सावित्री बाई फुले ने ही ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए पहला स्कूल खोला। महिलाओं के अधिकार और समानता के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया। इस संघर्ष के चलते उनको घर भी छोड़ना पड़ा था। देश की बहुत सारी कुप्रथाओं के खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया।
फातिमा शेख

फातिमा शेख पहली मुस्लिम शिक्षिका थी। फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ने ज्यातिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले को स्कूल खोलने के लिए अपना घर दिया था। और उसी स्कूल में फातिमा शेख ने पढ़ाना शुरू किया था।

उदा देवी पासी 

ऊदा देवी ने वर्ष 1857 के ‘प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था ।इस लड़ाई के दौरान ऊदा देवी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था। लड़ाई के समय वे अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला-बारूद लेकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग़ में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया, जब तक कि उनका गोला बारूद समाप्त नहीं हो गया। ऊदा देवी 16 नवम्बर, 1857 को 32 अंग्रेज़ सैनिकों को मौत के घाट उतारकर वीरगति को प्राप्त हुईं। ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें उस समय गोली मारी, जब वे पेड़ से उतर रही थीं। उसके बाद जब ब्रिटिश लोगों ने जब बाग़ में प्रवेश किया, तो उन्होने ऊदा देवी का पूरा शरीर गोलियों से छलनी कर दिया। इस लड़ाई का स्मरण कराती ऊदा देवी की एक मूर्ति सिकन्दर बाग़ परिसर में कुछ ही वर्ष पूर्व स्थापित की गयी है।लंदन टाइम्स’ के संवाददाता विलियम हावर्ड रसेल ने लड़ाई के समाचार में उदा देवी का विशेष उल्लेख किया था ।
फूलनदेवी
विद्रोह की प्रतीक वंचित तबके से आने वाली फूलन देवी जिन्होंने सामंती वर्चस्व को चुनौती दी। और खुद के उपर हुए जुर्म के ख़िलाफ़ डटकर संघर्ष किया। वह खुद को बागी कहती थी, उनका कहना था ‘मैं कोई अपराधी नहीं हुं, मैंने तो अपने ऊपर हुए जुर्म का प्रतिकार किया है।’ मशहूर टाइम मैगज़ीन ने विश्व की 16 विद्रोही महिलाओं में चौथे पायदान पर फूलन देवी को जगह दी है। लेकिन भारत में उनको उचित सम्मान नहीं मिला।

कल्पना सरोज
कल्पना सरोज बड़ी बहुजन उद्यमी महिला हैं। कमानी ट्यूब्स, कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डैवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसे दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं। इन कंपनियों का रोज का टर्नओवर करोड़ों का है। समाजसेवा और उद्यमिता के लिए कल्पना को पद्मश्री और राजीव गांधी रत्न के अलावा देश विदेश में दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं। 12 साल की उम्र में बाल विवाह, घरेलू हिंसा और अमानवीय सामाजिक दंश झेल चुकी कल्पना आज कमानी ट्यूब्स के साथ साथ रियल्टी, फिल्म मेकिंग और स्टील जैसे दर्जनों कारोबार संभाल रही हैं।
डॉ. मनीषा बांगर 
मनीषा बांगर सामाजिक सक्रियता और राजनीतिक चेतना के लिए बहुजन आंदोलन में एक प्रसिद्ध नाम हैं। ऐसी बहुत कम महिलायें हुई हैं, जो अपने मेडिकल प्रोफेशनल कैरियर के साथ-साथ सामजिक क्षेत्र में भी बहुत सक्रिय हों। लेकिन मनीषा ने मेडिकल प्रोफेशनल के साथ-साथ समाज में व्याप्त रोगों की पहचान की और वे उनके निदान के लिए लगातार प्रयत्नशील भी हैं। पेशे से डॉक्टर मनीषा अभी डिपार्टमेंट ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डेक्कन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज हैदराबाद में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और हैदराबाद के कॉरपरेट हॉस्पिटल में लीवर ट्रांसप्लांट की विशेषज्ञ हैं।
सोनी सोरी
सोनी सोरी आदिवासी महिला हैं जो खुद पर हुए अत्याचार के खिलाफ लड़ रही हैं। सोनी सोरी छत्तीसगढ़ के एक गाँव में शिक्षिका हैं। पुलिस हिरासत में सोनी सोरी के साथ बहुत अमानवीय व्यवहार हुआ है। उनके चेहरे को भी तेजाब से जला दिया गया। उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष कर रही हैं।
मायावती
मायावती भारत की सबसे बड़ी दलित महिला नेता हैं। चार बार यूपी की सीएम रह चुकी हैं। राजनीति के शुरूआती दौर में उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। अपने जीवन के अहम फैसले उन्होंने खुद किए हैं। बावजूद इसके मुख्य धारा के महिला विमर्श में उनकी बात नहीं की जाती। –आर सी रावत,भुसावल 

पासी माँगलिक भवन का उद्घाटन – इन्दौर ,मध्यप्रदेश !

पासी धर्म इन्दौर मे पासी मांगलिक भवन का हुवा उदघाटन जिसमे मा प्रेम चन्द जी गुड्डू {पूर्व सासंद} मा सोहन जी वालमिकी विधायक {छिदवाडा :परासिया} शुन्दरलाल जी बोरासी {थाना प्रभारी} मा महेश जी बोरासी मा बालकिशन जी बोरासी मा जीतु पटवारी विधाय मा महेन्द्र हार्डिया जी परसराम जी व अन्य पासी धर्म बन्धु उपस्थित थे। साभार – भंवरलाल कैथवास , रतलाम ।

इलाहाबाद के आज़ाद पार्क को कम्पनी बाग़ बनाने की साजिश !

प्रवेश शुल्क टीकट 
शुल्क के विरोध में इकट्ठा हुए विभिन्न संगठन

जी हाँ ,कम्पनी बाग़ जँहा रहकर अंग्रेज भारतीयों पर हुकूमत करते थे। आज़ादी की उठी जंग को दबाने जे लिए अंग्रेज अधिकारी इस् स्थान का इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन चन्द्रशेखर आज़ाद ने कम्पनी बाग़ में घुसकर अंगेजो से मुकाबला किया। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार खुद शहीद हो गए। और अंग्रेजो के कम्पनी बाग़ को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पार्क का नाम दिया । इस नाम में ऐसी ताक़त है कि क्रन्तिकारी छात्रो ,नौजवानों की फ़ौज आए दिन यहाँ देश और समाज पर चर्चा करते नज़र आते है। स्कूली बच्चे हाथ में तिरंगा लिए आज़ाद के चरण छूकर गर्व महसूस करते है। लेकिन सरकार अब स्वच्छता और सुंदरीकरण के नाम पर शुल्क लगाकर हमसे यह अधिकार छीनना चाहती है, और इसे पुनः कम्पनी बाग़ बनाना चाहती है। यह शहीदों के प्रति हमारी आस्था पर चोट है । इसका हम कड़े शब्दों में निंदा करते है।

इसी संदर्भ में आज आजाद शहादत स्थली पर लिए शुल्क लगाने के विरोध में विभिन्न संगठनों कि सँयुक्त बैठक कर आगे रणनीति पर विचार किया गया।

इस लड़ाई को आगे बढाने के लिए सोमवार को 10 बजे आजाद प्रतिमा से जुलुस की शक्ल में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपने का निर्णय लिया गया है। आप सभी लोग सादर आमंत्रित है — #अजय प्रकाश

गुरमेंहर कौर क्या देश द्रोही है ? और महान खिलाड़ी वीरेन्द्र सहवाग देशभक्त ?

एक २० साल की युवती गुरमेहर कौर जिसने अपने पिता को सिर्फ़ २ साल की उम्र में खो दिया । एक ऐसी लड़की जिसने अपना जीवन बिना पिता के गुज़ारा क्योंकि उनके पिता कैप्टन मंदिप सिंह १९९९ के कारगिल युद्ध में शाहिद हो गए थे । जिसने अपने पिता को सिर्फ़ २ साल की उम्र में खो दिया उस लड़की को सिर्फ़ इस लिए देश द्रोही कहा जा रहा है क्योंकि उसका मानना है कि उसके पिता को पाकिस्तान ने नहि युद्ध ने मारा है ।
बस इतना ही कहना की पाकिस्तान ने नहि युद्ध ने मारा है ,कथा कथित देश भक्तों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है । यह वही देश भक्त है जो कभी गाय को माता जब्रजसती मनवाते है , वेलेंटाइन डे पर युवाओं को पिटते है थीयटर में राष्ट्र गान में खड़े न होने पर मार पीट करते है , आज सरकार का इनपर हाथ है क्योंकि इन सब की शाखायें एक ही पेड़ से निकली है । ऐसे हवाबाज देश भक्त गुरमेहर की देश भक्ति पर सवाल उठा रहे है , गैंग रेप और हत्या की धमकी दे रहे है , देश द्रोही कह रहे है । 

विरेंद्र सहवाग बक़ायदा ट्वीट करके मज़ाक़ उड़ाते है कहते की डबल सेंचुरी मैंने नहि मेरे बल्ले ने बनाई है । हालाँकि कल उन्होंने उस ट्वीट की सफ़ाई दी पर आग तो उन्होंने लगा ही है ।
और यह सिर्फ़ इसलिए की वह चाहती है की दोनो देश के चलाने वाले लोग युद्ध बंद करे , वह चाहती है की भारत के लोग पाकिस्तान से और पाकिस्तान के लोग भारत से नफ़रत न करे । उसका कहना है की जब फ़्रान्स और जर्मनी , जापान’ और यूएसए जो कभी एक दूसरे के जानी दुश्मन थे आज सबकुछ भूल कर आगे बढ़ रहे है तो भारत और पाकिस्तान क्यों हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहते है ।

पर यह तथाकथित देश भक्त और यहाँ के कुछ लोग नहि चाहते की लोग पाकिस्तान से नफ़रत करना छोड़ दे । क्योंकि पाकिस्तान से यहाँ के लोगों की नफ़रत से ही कुछ लोगों की दुकानदारी चलती है । 

कुछ दीनो पहले सेरजिकल स्ट्राइक का हौवा खड़ा किया और फिर पाकिस्तान का डर दिखाकर हज़ारों करोड़ का राफ़ेल सौदा ( लड़ाकू विमान ) का सौदा हो गया । जनता ख़ुश की हमारी सेना मजबूत हो गई । और इस सौदे का कॉंट्रैक्ट जीसे मिला वह रिलायंस का पार्ट्नर है । पर जनता को तो बस पाकिस्तान याद रहता है 
गुरमेहर भी आम भारतीय की तरह उसी सोच के साथ बड़ी हुई पाकिस्तान से नफ़रत, मुसलमानो से दूरी । बल्कि गुरमेहर के मन में पाकिस्तान के प्रति ज़्यादा ग़ुस्सा था क्योंकि पाकिस्तान ने उसका बचपन छीन लिया था , इसी सोच के कारण जब वह सिर्फ़ ६ साल की थी एक बुर्क़ा पहने महिला को धक्का देने वाली थी । पर जैसे जैसे वह बड़ी हुई पढ़ाई लिखाई हुई उन्हें समझ में आया की पाकिस्तान में भी हमारे जैसे लोग ही रहते है , वहाँ के लोग भी अमन चाहते है , पर देश के हुक्मरान युद्ध चाहते है । उनकी सोच में बड़ा बदलाव आया जब उन्होंने उस पाकिस्तान के उस पायलट से बात की जिसने उनके पिता के जहाज़ को मीसाईल से उड़ा दिया था , उसने बताया कि उसे उस बात का अफ़सोस है और दुःख है पर उसके पास कोई और रास्ता नहि था क्योंकि उसे ऐसा करने के लिए ऊपर से ऑर्डर मिला था । 
गुरमेह का यह कहना की उनके पिता को पाकिस्तान ने नहि युद्ध ने मारा है क्या ग़लत है इसमें । अगर युद्ध नहि होता उसके और उसके जैसे हज़ारों बच्चों के पिता ज़िंदा होते । क्या यह सच नहि है की भारत – पाकिस्तान के बीच युद्ध सिर्फ़ दोनो देशों के हुक्मरानों की वजह से होते है । दोनो देश ओस मुद्दे को अपने अपने तरीक़े से भुनाते है । मरते है आम सैनिक । जब दो सैनिक आमने सामने होते है तो उनकी आपस की क्या दुश्मनी होती है । पर इस देश के चलाने वाले ऐसा मौहौल बनाते है की युद्ध हो ।

ABVP की देशभक्ति वाली हरकतें बढ़ती जा रही है , जब से सरकार बनी है वह निरुकुश हो रहे है , हो भी क्यों न जिसके एक पत्र से देश की मानव संसाधन मंत्री हरकत मे आ जाती है , वह ताक़त वर तो रहेंगे ही , रोहित वेमुला के केस में यह थे , JNU विवाद में यह थे , अब रामजस कोलेज के छात्रों से बादतिमिजी करने के बाद , दिल्ली यूनिवर्सिटी इनके निशाने पर है । दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों को समर्थन करने वाली गुरमेहर कौर को इन्होंने न देश द्रोही क़रार दिया है बल्कि धमकी भी दी है । उस पर इतना प्रेशर बनाया की आख़िर कार उन्हें दिल्ली छोड़ कर जाना पड़ा नहि तो शायद ……

हमारे देश में यह बहुत शर्मनाक घटनाए हो रही है देश भक्ति के नाम पर जबरजसती और मनमानी हो रही है ।

इसका विरोध कीजिए ।
राजेश पासी ,मुंबई 

चुनाव में ख़ामोश क्यों हो गया वीरांगना उदा देवी की खण्डित प्रतिमा का मुद्दा ?

वीरांगना उदा देवी पासी कि प्रतिमा को भूमाफियाओ ने तोडा। प्रशासन कर रहा है मदद । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय से नहीं हुई कोई कार्यवाही

  लखनऊ :कौन थी वीरांगना उदा देवी –सिकंदर बाग लखनऊ जहां उदा देवी ने 36 ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया और वीरगति को प्राप्त हुईं
ऊदा देवी 16 नवम्बर 1857 को 36 अंग्रेज़ सैनिकों को मौत के घाट उतारकर वीरगति को प्राप्त हुई थीं। ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें जब वो पेड़ से उतर रही थीं तब गोली मार दी थी। उसके बाद जब ब्रिटिश लोगों ने जब बाग़ में प्रवेश किया तो उन्होने ऊदा देवी का पूरा शरीर गोलियों से छलनी कर दिया। इस लड़ाई का स्मरण कराती ऊदा देवी की एक मूर्ति सिकन्दर बाग़ परिसर में कुछ ही वर्ष पूर्व स्थापित की गयी है।
 चँदीपूरवा नौबस्ता स्थित वीरांगना ऊदा देवी पासी सार्वजनिक पार्क मे स्थित वीरांगना ऊदा देवी की मूर्ति को प्रशासन ने तुड़वा दिया और उस मूर्ति को उठवाकर कर फिकवा दिया जब इसके विरोध मे स्थानीय लोगो तथा समाज के लोगो ने विरोध किया तो पुलिस ने उनपर लाठी चार्ज किया एवं मौके पे पहुँचे कुछ पत्रकारो ने जब जानकारी लेनी चाही तो उनका कैमरा तोड़ दिया गया और उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया और उन्हे बुरी तरह से मारा पीटा गया यह पार्क लगभग ३० वर्ष पूर्व पासी समाज के लोगो ने स्थापित करवाया था और यह ज़मीन भी पासी समाज की ही है| जिसमे आज तक सार्वजनिक कार्यक्रम जैसे शादी विवाह इत्यादि के उत्सव हुआ करते थे| इस पार्क मे स्थित मूर्ति को तोड़ने से पहले प्रशासन ने कोई भी सूचना नही दी थी और जब स्थानीय लोगो ने जब सूचना की माँग की तो उन्हे सूचना देने से साफ इनकार कर दिया गया यह प्रशासन की तरफ से एक असंवेदनशील कृत्य है जिससे जनता मे इसको लेकर आक्रोश है और इसमे सैकड़ो लोग एकत्रित हो गये और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की स्थानीय जनता का कहना है कि मूर्ति के साथ जो व्यवहार किया गया उससे उन लोगो के आत्मसम्मान को बहुत ठेस पहुची है और वह मौजूद ऐ सी एम पंचम तथा अधिशाषी अभियंता उत्तर प्रदेश आवास विकास प्रमोद कुमार ने कहा की मूर्ति माननीय उच्च न्यायलय के आदेश से तोड़ रहे है पासी प्रगति संस्थान के पदाधिकारियो ने आदेश की प्रति मांगी तो देने से साफ़ मना कर दिया यह सोची समझी साज़िश वहाँ के बहु माफियाओ द्वारा करवाया गया जिसमे कुछ भ्रस्ट अधिकारियो ने पूरा साथ दिया है पासी समाज तथा अन्य क्षेत्रीय लोगो में जबरदस्त आक्रोश है।
इस प्रकरण के पीछे कौन लोग है ……………………
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरांगना उदा देवी की प्रतिमा तोड़ कर कब्जे का प्रयास कर रहे है उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद् के योजन संख्या 18 हंस पुरम के अधिसशी अभियंता प्रबोध कुमार ने खसरा संख्या 1233 जो कि ग्राम समाज कि भूमि हैं को खसरा संख्या 1232 बताकर के रमाकांत गुप्ता को दे दी इस सम्बन्ध में जब सामाजिक संस्था पासी प्रगति संस्थान ने उच्च न्यायालय में अपील कि तो न्यायलय से आदेश मिला कि पुनः सिमंकत कर प्रकरण को निस्तारित किया जाये | परन्तु प्रबोध कुमार ने कोई भी जाँच नहीं करवाई और उस जमीन को 1232 बता दिया इस प्रकरण में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जब पत्र लिखा गया तो वहा से कार्यवाही का अस्वासन मिला परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई | इस घटना से समस्त दलित समाज में जबरदस्त आक्रोश है और क्षेत्रीय जनता ने कहा कि भुमफियाओं को सरकार मदद कर रही है |और जमीन पर अवैध तरीके से कब्ज़ा करके समस्त बहुजन समुदाय के साथ अन्याय कर रही है |
मुख्यमंत्री कार्यालय से पासी प्रगति संस्थान के पदाधिकारियों को फ़ोन आया कि जल्द कार्यवाही होगी | परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई है |

दरकिनार है कांशीराम के गुरु दीनाभाना का योगदान !

मान्यवर दीनाभाना जी

बामसेफ के संस्थापक एवं महा मानव मा० कांशीराम के राजनैतिक गुरु, वाल्मीकि समुदाय की आन-बान और शान मान्यवर दीनाभाना जी के जन्म दिवस पर कोटि-कोटि नमन. दलित बहुजन समाज की विडम्बना है कि कांशी राम जी के योगदान का गुणगान करने वाले इस महापुरुष का ज़िक्र करना अपनी शान के ख़िलाफ़ समझते है, उतरप्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियों ने वाल्मीकि समाज को भी अपना प्रत्याशी बनाया पर एक पार्टी को इस समाज की अच्छी जनसंख्या होते हुए भी कोई इस लायक नही मिला की इस समुदाय को भी टिकट देकर इनके प्रतिनिधित्व को भी शामिल किया जा सके । 
–कौशल पंवार (सहायक प्रोफेसर दिल्ली विश्व विद्यालय) की वाल से