दलित उत्पीड़न के आरोपियों पर चुप क्यो रहती है बिहार पुलिस ?-श्री पासी सत्ता मासिक पत्रिका

बिहार मे जबसे नितिश बाबु की सुशासन वाली सरकार बनी है तब से दलित लोगो को लगातार उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है । दलितो पर हो रहे हमले बदस्तुर जारी है और शासन और प्रशासन मुकदर्शक बन कर तमाशा देख रही है । नीतीश के शासन में दलितों को हर तरह से प्रताड़ित किया गया , दिस उम्मीद से दलित लोगों ने वोट देकर नीतीश सरकार को वोट देकर नीतीश को दुबारा मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया वही नीतीश कुमार ने दलितों को कही का न छोड़ा । सबसे पहले सरकारी ऩौकरीयों मे प्रमोशन में रिजर्वेशन को खत्म कर दिया गया, दलित छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति में कटौति की गयी , दलित वर्ग के पासी जाति के लोगो के पुश्तैनी रोजगार ताड़ी विक्री पर प्रतिबंध लगाया गया । अब दलित अत्याचार , यौन शोषण , उत्पीड़न की बात करते है । छात्रवृति कटौति के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुलिस द्वारा दौड़ा दौड़ा कर पिटा गया जबकि 2012 में पटना मे रणवीर सेना सुप्रीमो की मौत के बाद गुंडातत्व उपद्रव करते रहे और पुलिस मुकदर्शक बनी रहीं ।मुजफ्फर केन्द्रिय विधालय में दलित (पासी) जाति के छात्र को पीटा गया , हाजीपुर अंबेडकर छात्रावास में दलित छात्रा डीका कुमारी यौन शोषण , बलात्कार और हत्या का शिकार हुई , पीएमसीएच  में दलित जुनियर डॉ आलोक रविदास को सरेआम सवर्ण प्राचार्य द्वारा पीटा गया व  गाली गलौज तथा धमकी भी दी गई , आईजीआईएमएस में दलित (पासी) जाति के डॉ अजय के साथ प्राचार्य द्वारा गाली गलौज एवं धक्कामुक्की की गयी । ईन दोनों मामलो मे एससी एसटी एट्रोसिटि एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ , आरोप साबित भी हो गया तथा आरोपितों की गिरफ्तारी के आदेश भी जारी किये गये बिहार पुलिस के कमजोर वर्ग के आईजी के द्वारा । लेकिन बिहार पुलिस उन्हे स्टे आर्डर लेने तक गिरफ्तार करने मे नाकाम रही । बिहार की दलित रेप पीड़ीता के आरोपी आटोमोबाईल कारोबारी निखिल प्रियदर्शी और ब्रजेश पांडेय को भी अब तक गिरफ्तार करनें में पुलिस नाकाम रहीं है अब तक । लेकिन बीएसएससी पेपर लीक मामले मे पुर्व सचिव परमेश्वर राम (दलित) तथा चेयरमैन सुधीर कुमार (दलित आईएएस) को गिरफ्तार करने मे बिहार पुलिस ने अतिसक्रियता दिखलाई । यहा तक कि सुधीर कुमार को देर रात्रीं में गिरफ्तार किया गया । ईस गिरफ्तारी का विरोध आईएएस एसोसिएसन द्वारा भी किया गया । अब सवाल जाहिर सी है कि देर रात्री में गिरफ्तारी करने वाली पुलिस दलित उत्पीड़न के आरोपितों को पकड़ने मे नाकाम क्यो हो जाति है? क्या उन्हे शासन के दबाव मे आकर पुलिस द्वारा समय दिया जाता है स्टे आर्डर लेने तक ? सवाल है जरुर सोचियेगा 
 अमित कुमार दिनारा रोहतास                              प्रतिनिधि बिहार प्रदेश 

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