चढ़ावे से लुटते लोग

मंदिरों, सत्संगो , प्रवचन और पुजा समारोहो मे दान और चढ़ावा चढ़ाना कोई नयी बात नहीं है और खासकर बड़े मंदिरो मे गुप्तदान , सोना चांदी ,जेवर और मुकुट चढाना भी आम हो गया है आजकल । बालाजी , साई बाबा , वैष्णो देवी मंदिर तथा देश के सभी बड़े मंदिरों मे नकद रुपये , हीरे जवाहरात ,सोने चांदी के मुकुट और सिंहासन चढ़ते रहे है।

  1.  महज गलतफहमी                                   ज्यादातर लोगों को मुर्तियों को खिलाने, सजाने, मनाने व रिझाने का दौरा पड़ता है , उन्हे ईंसानो से ज्यादा मुर्तिया अहम लगती है । ईन्ही मुर्तियो और पंडे पुजारियों के चक्कर में पड़ कर लोग अपनी मेहनत की कमाई को दान और चढ़ावे में बेकार कर देते है । धर्म की आड़ में पैसे बटोरने के बहुत तरीके है कथा ,प्रवचन ,सत्संग ,जागरण व मठममदिरों मे सिखाया व समझाया जाता है कि भगवान को जितना चढ़ाओगे, उससे कई गुना ज्यादा भगवान तुम्हे देगा ईसलिए गरीब लोग तो कर्ज ले कर भी दान ,पुण्य व पुजापाठ कराने में लगे रहते है और ज्यादा पाने के चक्कर में जेब भी ढीली करते रहते है। 
  2. नुकसान                                                  ईस से समाज का नुकसान होता है भाग्य और भगवान के नाम पर लोगो में मेहनत से जी चुराने का बीज पड़ता है कामचोर लोग करामातों के बल पर अमीर होने के सपने देखने लग जाते है । देश और समाज तो तब आगे बढ़ता है जब लोग मेहनत करते है , फुजूल के गोरखधंधो में पड़े लोग अक्सर आलसी ,नशेड़ी व निकम्में बनते है जहा तहा लुटते पिटते है वही दुसरी ओर धर्म के नाम पर मक्कार लुटते है                                             धर्म के ठेकेदारों का मेहनत कर के पैसे कमाने से कोई लेना देना नहीं है , उन्हे अपने शिकार की तलाश रहती है , जो उन्हे आसानी से मिल जाते है। बेहिसाब चढ़ावा आने के चलते मंदिरों में लगी दानपेटिया लबालब भर जाती है, कई मंदिरों में तो अब ईतना चढ़ावा आने लगा है कि वहा भी ऩई तकनीक से काम होने लगा है बैंको की तरह नोट गिनने के लिए मशीने लगा दी गई है ,वैबसाईटे बना दी गयी है कई मंदिऱों ने अपने टीवी चैनल चला रखे है                                     

             अमित कुमार , दिनारा रोहतास बिहार

2 Comments

  1. धर्म के ठेकेदार समाज के लोगो को पाप -पुन्य और म्रत्यु का भय दिखाकर लूटते है

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