मोहन पासी इनकाउंटर पर प्रश्न? हो उच्य स्तरीय जांच

फिल्मी कहानी बनाकर सामन्तवादियों ने आजमगढ़ के शेर मोहन पासी की हत्या कर दी। जिसे इनकाउंटर का नाम दिया जा रहा है। जातिवाद से ग्रसित दलित व पासी विरोधी उत्तर प्रदेश सरकार के ईशारे पर स्वाभिमानी पासियों की हत्या की जा रही है।
इलाहाबाद के वकील व सामाजिक कार्यकर्ता लालाराम सरोज ने अपने फेसबुक वॉल पर इस प्रकार लिखा है- मोहन पासी आजमगढ़ के थे । वह सामंत वादी ताकतों के उत्पीड़न को बर्दाश्त नही करते थे। इसके खिलाफ वे जंग छेड़ चुके थे। पहले तो क़ानूनी लड़ाई शुरू की लेकिन जब कानून ने साथ नहीं दिया तो स्वयं लड़े , सामंती ताकतों के खिलाफ उनकी मुखर आवाज़ से वे जनमानस में लोकप्रिय हो गए। उनसे सामंतवादियों की फटने लगी ।

स्वाभिमान की रक्षा में उन्होंने चार सामंती लफंगों को मौत के घाट उतार दिया। उन्हें कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा दी। लेकिन मोहन पासी का जिंदा रहना सामंती ताकतों के सीने में सांप लौटने के समान था। तो सरकार का सहारा लिया । क्योकि मुख्यमंत्री के स्वजातीय है। पहले पुलिस ने पेशी के दौरान स्वयं गायब कर दी और हल्ला मचाया की मोहन पासी सायकिल से भाग गया । लेकिन उस समय लोंगो ने हल्ला मचाया की पुलिस ने स्वयं अपने पास रखा है । उसका काउंटर करना चाहती है ।

उस समय हल्ला मच जाने के बाद पुलिस शांत हो गयी और पुलिस मामला शांत हो जाने का इंतजार करने लगी और इसी बीच 50, 000 का इनाम रखकर कर अपना कोरम पूरा कर लिया । एक महीने बाद जनपद हापुड़ में फिल्मी स्टाइल में मुठभेड़ दिखा के इनकाउंटर कर दिया है ।

पासी समाज के शुभ चिंतको का कहना है कि स्वाभिमान की रक्षा ही पासी का धर्म है। यह फर्जी इनकाउंटर सरकार के इशारे पर हुवा है। इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए ।
शहीद मोहन पासी को नमन

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