वे संविधान के निर्माता,वे आजादी के अग्रदूत

“जिसने स्वदेश की सेवा को ,जीवन में सर्वोपरि माना !

कंटकाकीर्ण दुर्गम पथ पर ,जिसने न कभी रुकना जाना!!

सम्पूर्ण समर्पित कर जिसने,की कभी मूल्य की चाह नहीं!

हो राष्ट्र सुखी इससे बढ़कर थी, जिसे कोई परवाह नहीं !!

वे संविधान के निर्माता,वे आजादी के अग्रदूत ! वे सत्यअहिंसा के पोषक,भारतमाता के तपोपूत!!

सद्भाव सदा सिखाने की,जिनमें थी यह अद्भुत क्षमता!

पद की लिप्सा से दूर सदा,सत्ता से जिन्हें न थी ममता!!

नैतिक मूल्यों के आराधक उनका जीवन था त्याग भरा!

पाकर जिनको थी धन्य हुई भारत की पावन वसुन्धरा!!

उनका जीवन प्रेरणामयी,देता है हम सबको प्रकाश!

उनके पद चिन्हों पर चलकर,भारत कर सकता है विकास!!

बाबा तुम थे वो महापुरुष,मरकर जो कभी न मर सकते !

श्रद्धा से बार बार हम सब,मिलकरके तुम्हें नमन करते !!”

——विनम्र श्रद्धांजलि .

अतिथि सम्पादक की क़लम से…

(रामयश विक्रम “प्रदीप”) 9918710118

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