गुजरात में पासी जाति ,एक अवलोकन

गुजरात मे पासी जाति की बड़ी आबादी है। कि जिले पासी बहुल हो चुके है लेकिन सरकार द्वरा  जनगणना न कराये जाने कारण इनकी संख्या कम बतलाई जाती है।

 पासी जाति की मुख्य उप जाति गूजर  है। जो यहाँ की बहुतायत मात्रा में पाई जाति है। “गूजर” जातियों के निवास के कारण ही यह क्षेत्र महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात बना । उत्तर प्रदेश के गुजर असज भी अपने को पासी बताते है। वो जानते और मानते है कि हमारे पुरखे पासी थें। जाति की पहचान पुरखों की वजह से होती है।
पासी जाती  भारत की एक मुख्य उपजाति हैं जिसे भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है। यह उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की दूसरी बड़ी आबादी वाली उपजाति है । अनुसूचित जाति की आबादी में 16 प्रतिशत पासी हैं।

गुजरात राज्य में अनुसूचित जाति की सूची में पासी जाति को 24 वा स्थान प्राप्त हुआ है जबकि हरियाणा में 27 वे क्रम पर हिमाचल में 42 वे क्रम पर झारखंड में 10 वा स्थान प्राप्त हुआ है।
गुजरात सरकार द्वारा कराये गए 2001 के सर्वेक्षण के आंकड़ों से प्राप्त जानकारी के तहत पासी जाति के लोग 2,278 हैं लगभग पूरे गुजरात में 20,000 से अधिक पासी जाति के लोग का समावेश है।
किंतु पासी जाति के लोग अपनी जाति अधिकतर भिन्न-भिन्न लिखते हैं इसलिए सही आंकड़ों का मिल पाना संभव नहीं हो पाता जैसे —पासी,राजपासी,पासवान, गूजर ,अहेरिया ,बहेलिया ताड़मालि,चौधरी,भारतीय,सरोज,रावत,बोरासी,बहेरिया,रघुवंशी,नागवंशी,वर्मा,कैथवास’पसमांगता इत्यादि ।
वर्षों से शोषित वंचित तिरस्कृत यह समाज आजादी के बाद तेजी से विकास किया है। आज  के दौर में यह जाति भारतीय समाज में सम्मानजनक स्थान पर है। अपनी मेहनत लगन और काबिलियत से यह स्थान पासी जाति ने प्राप्त किया है ।
पासी जाति सामाजिक रुप से संगठित होने के कारण अपनी ही जाति के लोगों में ज्यादातर विवाह होता है । पर आज के आधुनिक युग में अब अंतरजातीय विवाह भी देखने को मिल रहा है जो बच्चों के उज्जवल भविष्य को देखते हुए समाज में स्वीकार होने लगे हैं।

गुजरात में पासी समाज ऐसे घुल मिल गया है जैसे शरबत में शक्कर आज पुलिस,वकील डॉक्टर,जज,बिजनेसमैन,इत्यादि सम्मानजनक स्थान पर पासी जाति के लोग कार्यरत हैं
गुजरात में पासी समाज की अनेक संस्थाएं हैं “गुजरात पासी विकास ट्रस्ट”,  ‘पासी समाज वडोदरा ‘जो कि समय समय पर कार्यक्रम करती रहती हैं । 26 जनवरी 15 अगस्त इन दिनों में कार्यक्रम होते हैं जिसमें मुख्य मुद्दे होते हैं।
जाति के प्रमाण पत्र को लेकर जो कि अभी यह कोर्ट में चल रहा है पासी समाज के बच्चों के भविष्य को  लेकर वरिष्ठ लोग उनका मार्गदर्शन करते हैं
युवक-युवती परिचय इस मौके पर कराया जाता है जिसमें लडके एवं लडकिया अपना परिचय देते हैं वह क्या करते हैं कहां से हैं इत्यादि।
पासी समाज द्वारा अहमदाबाद में *पासी समूह विवाह* का भी आयोजन 2008 में किया गया था जिसमें कई वरिष्ठ अतिथियों को बुलाया गया था 
लखनऊ से इलाहाबाद,आगरा मध्य प्रदेश से विवाह में सम्मिलित होने के लिए अतिथिगणों ने आकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी । एवं वर वधू को बधाई और शुभ आशीर्वाद दिया था । 
गुजरात में पासी संस्थाएं अब और भी सक्रिय भूमिका अदा करने लगी हैं 2017 में वडोदरा में हुए 26 जनवरी के कार्यक्रम में देखने को मिला दूर-दूर से लोग कार्यकर्म में समिलित होने के  लिए आये थे।

इस से ही पता लगता है कि पासी समाज की संस्थाएं अपनी सक्रिय भमिका अदा कर रही है।

(लेखिका –शोभा सरोज सोलंकी  जी मूलतः  गुजरात की है विवाह के बाद अब मुम्बई में रहकर पढ़ाई के साथ सामाजिक कार्य भी करती है)

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