रवीश कुमार की क़लम से …


ध्रुव सक्सेना, मनीष गांधी, मोहित अग्रवाल, बलराम पटेल, ब्रजेश पटेल, राजीव पटेल, कुश पंडित, जितेंद्र ठाकुर,रितेश खुल्लर,जितेंद्र सिंह यादव,त्रिलोक सिंह। ये सारे नाम है उन लोगों को जिन्हें मध्य प्रदेश के एंटी टेरर स्कॉड ने पाकिस्तानी की ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम करने के आरोप में पकड़ा है। गनीमत है कि इनमें से कोई जे एन यू का नहीं है और न ही मुसलमान है वर्ना आज मीडिया में तूफान मच रहा होता और इसके बहाने यूपी के बड़े वाले वोट बैंक को एकजुट होने के लिए ललकारा जाता।अगर इन नामों की जगह मुस्लिम नाम होते तो मीडिया में हंगामा मच रहा होता। ट्रोल सारा काम छोड़ कर बवाल मचा चुके होते। तूफान मचाने की राजनीति का एक ही मकसद है कि किसी तरह हिन्दू मुस्लिम गोलबंदी करो और वो गोलबंदी एक पार्टी के हक में करो। जहां कहीं दंगा हो, वहां से ऐसा कोई किस्सा चुन लो और फिर सोशल मीडिया से लेकर मीडिया में हंगामा करो, सवाल पूछो कि फलां कहां हैं,वो चुप क्यों हैं। अपनी सरकारों से नहीं पूछेंगे, दो चार पत्रकार से पूछकर ये बराबरी और इंसाफ मांगते हैं। एकाध ट्वीट अपने मंत्री को ही कर देते कि आप क्यों नहीं बोल रहे हैं। जांच क्यों नहीं हो रही है। आए दिन यही होता रहता है।

@DailyIndiaIN: बीजेपी नेता ISI एजेंट निकला पर ना तो कोई देश बचाने सड़क पर उतरा ना ह् मीडिया ट्रायल चला ।

पढ़िए रविश कुमार को:

बीजेपी नेता ISI एजेंट निकला पर ना तो कोई देश बचाने सड़क पर उतरा ना ही मिडिया ट्रायल चला !

उपेक्षित है महाराजा कल्यान मणि पासी की प्रतिमा

महाराजा कल्याण मणि पासी की प्रतिमा
इंजीनियर नीतीश पासी महाराजा कल्याण मणि पासी की प्रतिमा को नमन करते हुए
लखनऊ : कई दिनो से फेसबुक पर इजी.नीतिश पासी द्वारा पोस्ट की गई महाराजा कल्याण मणि पासी की जर्जर स्मारक को देखा जा रहा है । लेकिन यकीं नहीं हो रहा था कि यह हमारे पूर्वजों का शहर है। बेढंग तरह से बने इस प्रतिमा को देखकर गुस्सा सातवे आसमान पर था । 

उन सरकारों पर ज्यादा गुस्सा आया जिनके कार्यकाल में प्रतिमाओं और पार्को का जबरदस्त काम किया गया। लगा की किस तरीके से लोग अपनी अपनी सरकारो मे सिर्फ अपने अपने महापुरुषों की मूर्ति स्थापना करते है । लेकिन पासी समाज की पहले से बनाई गई मूर्तिया व किले खंडहरो मे तब्दील या धीरे धीरे नष्ट हो रहे हैं। इसकी देख भाल के लिए शासन की तरफ से किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं निभाई जा रही हैं। नीतिश जी से मिली जानकारी के अनुसार ‘

महाराजा कल्याण मणि पासी जी जो (बिजली पासी के समकक्ष) का किला लखनऊ, कल्ली पश्चिम में आज टीले के रूप में ही शेष बचा है इनके किले मे पासी रत्न रामलखन पासी के प्रेरणा से १५ अगस्त २००१ मे स्थापना की गई थी । लक्ष्मी प्रसाद रावत जैसे कई जुझारू समाज सेवियो का नाम शिलापट पर दर्ज है । उनके टीले में अब शिव जी का मंदिर बना है, यह किला SGPGI से मोहनलाल गंज की तरफ जाने पर PGI से 5 से 6 KM की दूरी पर जाने में दायी तरफ पड़ता है।
यहा पासी समाज के समृद्ध लोग लखनऊ में रहते है जिनमे विधायक और सांसद भी शामिल है लेकिन पासियों की विरासत की शुध लेने वाला कोई नही वहा लगभग 80% पासी की जनसंख्या रहती है फिर भी यह हाल है स्मारक का यह कही ना कही हम लोगो की जागरुकता की भी कमी है या समाज के प्रति झुकाव नही है ।

इंफ़ोसेस के सी॰ई॰ओ॰ विशाल सिक्का का जातीय घमण्ड


अक्सर हम शहरी लोगों को भ्रम होता रहता है की इस देश में जाती पति की समस्या ख़त्म हो चुकी है । हमें लगता है यह जाती वैग्रह गाँवों क़स्बों की समस्या है । हमें लगता है कि कोरपोरेट कम्पनीज़ में जाती वैग्रह कोई समस्या नहि होती ।इसी वजह से बहुत से लोग आरक्षण पर भी सवाल उठाते है की इतने साल बाद क्या ज़रूरतहै …यह लोग यह नहि सोचते की आज़ादी के इतने सालोंबाद भी जातीय अहंकार क्यों नहि जाता ।

अब क्या हम सोच सकते है की इनफ़ोसिस जैसे कम्पनी के सीईओ विशाल सिक्का अपने क्षत्रिय होने पर गर्व करते है उन्हें लगता है की क्षत्रिय होने की वजह से वह यौद्धा है और किसी भी समस्या से लड़ सकते है ….
जब दुनिया की इतनी बड़ी कम्पनी के CEO के अंदर इतनी जातीय अनहकार भरा है तो देश के बाक़ी लोगों में जाती के नाम पर कितना घमंड होगा ।
ऐसे जाति वादी लोग जब इंटर्व्यू के सिलेक्शन लेंगे तो क्या जाती का ख़याल नहि रखेंगे । 

२०१४ में फ़ेमस टीवी रिपोर्टर राजदीप सरदेसाई ने भी ख़ुद के सारस्वत ब्राह्मण होने पर गर्व बताया था ।

आप सोचिए सरकारी लोगों को छोड़िए प्राइवट और इंटर्नैशनल लेवल पर काम करने वाले लोगों के मन में जब इतना जातीय घमंड भरा है तो आम लोगों के मन में कितना घमंड होगा जाती का ।
राजेश पासी ,मुंबई

https://www.google.co.in/amp/www.hindustantimes.com/editorials/infosys-sikka-s-kshtriya-warrior-comment-doesn-t-behove-a-ceo-of-a-modern-tech-firm/story-AJ9NcezAGhaNUVDQuiAv3H_amp.html

जनता की अदालत में एक अम्बेडकरवादी छात्र अमर सिंह पासवान को जनता पैसा देकर लड़ा रही है चुनाव

उत्तर प्रदेश की जनता न जाने कितने अपराधियो और माफियाओ को जीतकर विधानसभा में पहुँचाया है। शायद गिनती करना वाज़िब नहीं। लेकिन यंही जनता है अगर मन माफिक प्रत्यासी पा जाएं तो उसे पैसा भी देकर चुनाव लडाती है।
ऐसा ही एक ताज़ा उदाहरण गोरखपुर की चौरी चौरा विधानसभा के मतदाता की है । जंहा से अमरसिंह पासवान चुनावीं मैदान में है। नव युवक पासवान को जनता पैसा देकर चुनाव में लड़ा रही है। 

अमर सिंह ने छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू किया है। अम्बेडकरवादी छात्र संघठन के बैनर तले इन्होंने छात्रहितो के लिए कई बड़े आंदोलन चलाये है। 

साथ ही साथ दलितों ,पिछडो ,अल्पसंख्यको के उपर हुए हमलों को लेकर सड़को पर लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे है । अपने संघर्षो की बदौलत गोरखपुर जिले में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। 

अपनी इसी पहचान को वे अब बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट पर विधान सभा तक पहुचना चाहते है । यह नवयुवक जनता की अदालत में न्याय की उम्मीद लिए खड़े है। ऐसे संघर्षशील नौजवान के लिए शुभ कामना है क़ि इस राजनैतिक पराभाव में भी जनता को विकल्प देने को मजबूती से खड़ा है। 

—अजय प्रकाश सरोज

कांग्रेस ने मोदी को बिरासत में क्या दिया ?

मोदी जी !आप उस देश के प्रधान मंत्री हो जो देश तीन सौ साल ग़ुलाम रहा !

जिस देश को अंग्रेजो ने लूट खसोट कर ओर जातीवाद में बाट के बर्बाद कर इस देश की बाग़डोर कोंग्रेस को सोपी थी !

194 7 में देश में सुई नही बनती थी !

सारा देश राजा रजवाड़ों के झगड़ो में बटा हुआ था

देश के मात्र पचास गाँवों में बिजली थी !

पूरे राजस्थान में मात्र बीस राजाओं के महल में फ़ोन था !

किसी गाँव में नल नही थे.

पूरे देश में मात्र दस बाँध थे ! सीमाओं पे मात्र कुछ सेनिक थे ! चार विमान थे बीस टेंक थे !

देश की सीमाएँ चारो तरफ़ से खुली थी !

खजाना ख़ाली था ऐसे बदहाल में हमारा हिंदुस्तान कोंग्रेस को मिला था !

इन साठ सालों में कोंग्रेस ने हिंदुस्तान में विश्व की सबसे बड़ी ताक़त वाली सेन्य शक्ति तैयार की

हज़ारों विमान -हज़ारो टेंक -लाखों फ़ैक्ट्रीया लाखों गाँवों में बिजली

हज़ारों बाँध लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण परमाणु बम

हर हाथ में फ़ोन -हर घर में मोटर साई किल वाला मजबूत देश साठ में बना कर दिया हे कोंग्रेस ने !

भारत ने पिछले ६० सालों में तरक्की भी बहुत की है और भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई इतिहास रच दिए हैं जिसकी वजह से भारत आज एशिया की दूसरी सब से बड़ी ताकत है.

1-भारत दुनिया का सर्व श्रेष्ठ संविधान बना चुका था.

2-भारत एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका था.

3- भारत में भाखड़ा और रिहंद जैसे बाँध बन चुके थे.

4- देश भामा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन कर चुका था.

5- देश में तारापुर परमाणु बिज़ली घर शुरू हो चुका था.

6- देश में कई दर्जन AIIMS, IIT, IIMS और सैकड़ों विश्वविद्यालय खुल km चुके थे.

7- नेहरु ने नवरत्न कम्पनियाँ स्थापित कर दी थी.

8- कईसालों पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर के अंदर तक घुसकर मारा था और लाहौर पर कब्जा कर लिया था.

9- पंडित नेहरु पुर्तगाल से जीत कर गोवा को भारत में मिला चुके थे.

10- नेहरु जी ने ISRO (Indian Space Research Organization) की शुरुआत कर दी थी.

11- भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी.

12- देश में उद्योगों का जाल बिछ चुका था.

13- इंदिरा जी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर चुकी थी, पाकिस्तान १ लाख सैनिकों और कमांडरो के साथ भारत को सरेंडर कर चुका था.

14- तब भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो चूका था.

15- इंदिरा जी ने सिक्किम को देश में जोड़ लिया था.

16- देश अनाज के बारे में आत्म निर्भर हो गया था.

17- भारत हवाई जहाज और हेलीकाप्टर बनाने लगा था.

18- राजीव गाँधी ने देश के घर घर में टीवी पहुंचा दिया था.

19- देश में सुपर कम्प्यूटर, टेलीविजन और सुचना क्रांति ( Information Technology) पूरे भारत में स्थापित हो चुका था.

20- जब मोदी प्रधान मंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब तक भारत सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के कोष वाले प्रथम १० राष्ट्रों में शामिल हो चुका था

21- इनके अलावा.चन्द्र यान,

22- मंगल मिशन ,

23- GSLV,

24- मेट्रो,

25- मोनो रेल,

26- अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,

27- न्यूक्लियर पनडुब्बी,

28- ढ़ेरों मिसाइल,पृथ्वी, अग्नि, नाग

29- दर्जनों परमाणु सयंत्र,

30- चेतक हेलीकाप्टर, मिग

31- तेजस, ड्रोन, अर्जुन टैंक, धनुष तोप,

32- मिसाइल युक्त विमान,

33- आई एन एस विक्रांत

विमान वाहक पोत. 34- 1950 तक केवल 25% साक्षरता थी 2014 मॆं 74% साक्षरता हो गई 

35-आजादी के समय देश की 75% फीसदी हिस्सा भुखमरी का शिकार था आज हम इसपर विजय पा चुके हैं .

ये सब उपलब्धियां देश ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले हासिल कर ली थी.

इस पर अपने विचार शालीन शब्दों में नीचे कमेंट बॉक्स में लिखे और शेयर करे ताकि जुमले और अंधभक्तो की झुठी भक्ती सबको पता चल जाये……हरिओम सिंह

उच्च शिक्षण संस्थानो में बहूजनो का घटता जनाधार !


डॉक्टर रमेश रावत 

एजुकेशन रिफार्म्स को लेकर एक विचार कई वर्ष पहले कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने आई आई टी में अवसरों की संख्या सीमित कर दी थी तभी से आई आई टी में केवल दो अवसर हैं पहला १२वीं करते हुये दूसरा बारहवीं के बाद ,जब यह नियम लागू हुआ था तभी से ग्रामीण ,लोअर मिडिल क्लास के छात्रों का आई आई टी में सेलेक्शन नहीं हो रहा है।यूपी बोर्ड के छात्र लगभग आई आई टी से बाहर हो चुके हैं।पहले ऐसा नहीं था,पहले ग्रामीण इलाके के छात्र इंटर पास करने के बाद दो से तीन साल तैयारी करके आई आई टी में सेलेक्शन ले लेते थे।आगे जाकर वे उच्च पदों पर पहुंचते थे,अब वो सब खतम है।

इसका फायदा कोचिंग वालों ने उठाया उन्होने ९वीं क्लास से ही आई आई टी की तैयारी करवाना शुरू कर दिया।इसका फायदा प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों के प्रबंधकों को भी मिला ।

उस समय कपिल सिब्बल पर यह आरोप भी लगा था कि उन्होने कुछ लोगों से मोटी रकम लेकर यह फैसला किया है।

अब मोदी सरकार ने एम बी बी एस /बी डी एस की पात्रता एक्जाम में तीन अवसरों का प्रतिबंध लगा दिया है।

यह एक तरह से ग्रामीण इलाके के छात्रों को डाक्टर बनने से रोकने का प्रयास है क्योंकि बेस कमजोर होने के कारण ग्रामीण इलाके के छात्र चौथे पांचवे प्रयास में ही सफल हो पाते थे।

यह सब सोची समझी साजिश का नतीजा है।इसका फायदा कोचिंग वाले व प्राइवेट मेडिकल कालेज वाले उठायेंगे।शायद यह फैसला इन्ही लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये किया गया है।

ढाई साल हो गये मोदी सरकार को , एजूकेशन में कोई कारगर सुधार नहीं बस बातें हैं।

क्लास १ से ८ तक सभी स्कूलों में एकसमान सिलेबस नहीं है,सब अपने हिसाब से अभिभावकों को परेशान करते हैं।

– डॉक्टर रमेश रावत लखनऊ 

पासी समाज ट्रस्ट परसिया

लक्ष्मी प्रसाद रावत उद्घाटन करते हुए
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की परासिया तहसील में पासी समाज ट्रस्ट ने 18वें वार्षिक सम्मेंलन के अवसर पर दो युवतियों की शादी बड़ी धूम धाम से कराया गया। जिसमे एक युवती इलाहाबाद की सोरांव तहसील की थी। इस दौरान 60 बच्चो को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम देने के लिए सम्मानित भी किया गया।

ट्रस्ट के प्रबंधक पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया ने कहा कि हम कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष करते है। लेकिन समाज की युवतियों की शादी की समस्याओं को देखते हुए हमने यह निर्णय लिया कि हम दहेज़ रहित शादी भी करवाएंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पासी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद रावत जी वर वधू को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हमारा समाज दिन ब् दिन तरक्की की राह पर है। ट्रस्ट द्वरा समाज को बेहतर दिशा दिया जा रहा है। मैं सभी अयोजक सदस्यों की भूरी भूरी प्रन्सशा करता हूँ। उन्होंने ट्रस्ट द्वारा निर्माण करवाये जा रहे सामूहिक भवन आर्थिक सहयोग के लिए लोगो से अपील की। 
विशिष्ट अतिथि श्रीपासी सत्ता पत्रिका के सम्पादक अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि यह कार्यक्रम कई विविधताओ को धारण किये हुए इस तरह के आयोजन से समाज में मजबूती प्रादान करते है। शिक्षा के लिए 60 बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित करना बड़ा काम है । इससे 60 बच्चे नहीं बल्कि समाज के 60 परिवार सम्मानित हुए है। मैं इस कार्यक्रम में भाग लेकर खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ।

पासी महासभा इलाहाबाद के अध्यक्ष नीरज पासी ने इस विधिवत आयोजन के लिए पूर्व विद्यायक ताराचंद बावरिया की लगानता और शालीनता की तारीफ़ की । जबलपुर के महेंद्र पासी ने वर वधू को आशीर्वाद देकर उनके सफल जीवन की कामना किये।

सम्मेलन में पासी समाज की अद्भुद प्रर्दशनी का उदघाट्न किया गया । जिसमे पूर्व में तथा वर्तमान में प्रकाशित पत्र पत्रिकाएं और पुस्तके सामिल किये गए। 

कार्यक्रम का संचालन फ़िल्मकार केशव कैथवास ने किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता शेर -ए -रतलाम भंवर लाल कैथवास जी ने किया। 

इस अवसर रंजन कैथवास, विधुति ज्योति कैथवास साहित बड़ी समाज के गणमान्य लोग उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये ।

नील गाय का आतंक

नील गाय खेतों में

झूँसी ,इलाहबाद / कड़ाके की ठंठी रात हो या फिर बरसात, झूँसी विधान सभा के किसानो की रात अपने फ़सल की रखवारी में ही बीतती है।
आज सुबह के पांच बजे मॉर्निंग वॉक पर बड़े भाई के साथ निकला तो कुहरे के सन्नाटे में चारपाई पर टार्च जलती हुई दिखाई पड़ी । जिज्ञाशा में पूछ बैठा क़ि दादा ये टार्च क्यों जलाये रखे हो ? रजाई के अंदर से कुछ धीमी आवाज़ आई ”ये भईया रतिया में जब थोड़ी छपकी लग जात है तो ई गइयन और नील गइया टार्चिया जलत देंख खेतन में आवय से डरय थीं ” 

तो क्या आप पूरी रात फ़सल की देंख भाल करती है बोली हाँ भइया नहीं त सब गोहूँ चर जाती है।अब आप जान ही गए होंगे कि यह आवाज़ दादा की नहीं दादी की थी। पूछने पर कि यह रखवारी कब तक करती है तो बताई कि जब तक पूरी फसल कट नहीं जाती है। 

भाई साहब ने बताया क़ि इस क्षेत्र के सभी किसान ऐसी ही अपने फसलो की सुरक्षा करते है। क्योंकि इधर गाय झुण्ड के झुण्ड में आती है सारी फ़सल खा जाती है। नील गायों के अलावा पालतू गायें भी रात भर किसानों के खेत में फ़सल खाकर सुबह अपने मालिकों के घर दूध देने पँहुच जाती है। शायद इनकी समझदारी के लिए इन्हें माता कहा जाता है। लेकिन नील गाय तो पालतू जानवर भी नहीं है । यह रेड़ी करने वाला जंगली जानवर है। फिर किसानों के हित में इन जानवरों की समाप्ति का अभियान क्यों नहीं ?
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि गाय -नील गाय किसानों के लिए इतनी बड़ी समस्या है। मंहगी हो चुकी खेती के किसानों की फसलों को इस तरह का नुकसान बेहद चिंता जनक है। 
लेकिन चुनावी मौशम में किसी भी पार्टियों के घोषणा पत्र में नहीं है। वैसे नितीश कुमार की पार्टी जदयू के पोस्टरों में नील गाय मुक्त किसान का स्लोगन देखने को मिला था। लेकिन जदयू ने उत्तर प्रदेश के चुना व न लड़ने का फैशला किया है । 

तो क्या किसानों की यह समस्या इसी तरह बनी रहेगी ? क्या यह ‘पूस की रात’ हल्कू जैसे किसानों को निग़लती रहेगीं , और सरकारें मौन होकर तमाशा देखती रहेंगी ? -अजय प्रकाश सरोज