इतिहास के आईने में : जननायक राम विलास पासवान

मोहतरम रामविलास जी, आप नहीं रहे!
आपसे जुडी कई बातें याद आयेंगी। आप मेरे गृह विधानसभा क्षेत्र, एवं गृह जिला खगडिया से आते थे। 1995 की वह सभा आँखों के सामने तैर रही है जब आप लालू जी के आने से कई घंटे पहले आकर कार्यकर्ताओं और वहाँ उपस्थित जनसैलाब का उत्साहवर्धन कर रहे थे। लालू जी के मंच पर आते ही नारा गूँजने लगा:

एक कटोरी तीन ग्लास
लालू, शरद, रामविलास।

गूँजे धरती आसमान
रामविलास पासवान।

आपने कहा था, “बिहार के लोग ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ़ सबसे बुलंद आवाज़ लालू जी को दोबारा मुख्यमंत्री चुनने जा रहे हैं। फरकिया के लोग लालू जी को बार-बार अपने आँगन में बुलाते रहेंगे”।

1969 में आप हमारे विधानसभा क्षेत्र अलौली से कांग्रेसी विधायक मिश्री सदा को हराकर पहली बार संसोपा (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी) के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे थे। उसी दरम्यान आपका चयन डीएसपी पद के लिए भी हो गया था। आपके पिताजी जामुन दास जी चाहते थे कि बेटा जेलभेजवा पार्टी से जुड़े रहने की बजाय रसूखदार और रोबदार पुलिस पदाधिकारी के रूप में समाज का नाम रोशन करे। पर आपके एक कार्यकर्ता साथी लक्ष्मीनारायण आर्य जी ने आपसे कहा, “यह आपके ऊपर है कि गवर्नमेंट बनना चाहते हैं कि सर्वेंट”। और, इस तरह आप किंकर्त्तव्यविमूढ़ता की स्थिति से बाहर आ गए। आपके पिताजी और माताजी कबीरपंथी थे, और सात्विक विचार रखते थे। वे आपको बडे गर्व से देखते थे, और उनकी आँखों में हम बच्चे आजाद भारत में समतामूलक समाज का जिंदा दस्तावेज़ देखते थे। आप दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान के खगा हजारी जी के नाती थे, और आपका मातृपक्ष बहुत सशक्त था।

बहरहाल, 1972 में आप विधायक का चुनाव हार गये। कोढा (कटिहार) से उपचुनाव लडे, वहाँ भी हार गये। उसके बाद 77 में हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लडे, जिसमें जनता पार्टी की ओर से किसी और को उम्मीदवार (शायद रामसुंदर दास) बना कर भेज दिया गया। तब जेपी ने एक बयान जारी किया, “मुझे नहीं मालूम कि जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है, मगर हाजीपुर में जेपी का उम्मीदवार रामविलास पासवान है”। और वह चुनाव साढे चार लाख वोट से जीत कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया आपने, जिसे खुद ही 1989 में तोडा। भागलपुर में लोकदल के एक सम्मेलन में देश भर से आये नेताओं के बीच अपने संबोधन में कर्पूरी जी ने आपको “भारतीय राजनीति का उदीयमान नक्षत्र” कहा था। आप दोनों आपातकाल के दौरान नेपाल में भूमिगत थे। ये और बात है कि बाद के वर्षों में कर्पूरी जी के चित्त से आप और रामजीवन सिंह बुरी तरह उतर गये, और कर्पूरी जी ने आप दोनों को अपनी किताब “कितना सच, कितना झूठ” में जम कर कोसा।

अगस्त 1982 की लोकसभा में मंडल कमीशन पर हुई बहस में आपके शानदार हस्तक्षेप ने इंदिरा जी की सरकार को पानी-पानी कर दिया था। बहस पर टाल-मटोल हो रहा था। आप सोमनाथ चटर्जी के घर गये थे, और उनसे कहा था, “कल अगर मंडल कमीशन की रपट पर बहस नहीं होगी, तो सदन में वो सीन क्रिएट होगा जो आज तक नहीं हुआ”। आपका वह कालजयी भाषण आज भी गाँव में अपने स्टडी रूम में एक फाइल में बडी हिफाज़त से रखा है मैंने।

थोडा और अतीत में लौटते हैं। एक बार नये-नये सांसद बने संजय गाँधी ने संसद में आपको चिढाते हुए कुछ कहा। आप खडे हो गये, और ललकारा, “ए संजय गाँधी, हम 1969 में विधायक बने, दूसरी बार लोकसभा में आये हैं। बहुत जुनियर हैं आप। मुझसे कुछ कहना होगा, तो आपकी माँ कहेंगी। तय कर लो कहाँ फरियाना है, चाँदनी चौक कि कनॉट प्लेस, हम तैयार हैं। जनतंत्र में ये रंगबाजी नहीं चलेगी”। इंदिरा जी ने बीच-बचाव किया, “पासवान जी, आप इतने सीनियर मेम्बर हैं। संजय को छोटा भाई समझिए। उसे संसदीय परम्परा अभी सीखनी है। क्षमा बडेन को चाहिए, छोटन को उत्पात”। और, बाद में इंदिरा जी ने आप दोनों को मिलवा दिया। कांग्रेस के सदस्यों के हंगामे के बीच आपने कहा था, “मैं बेलछी में नहीं, भारत की संसद में बोल रहा हूँ”। आपने 80 के दशक के पूर्वाद्ध में दलित सेना का गठन किया था, और उनकी गोलबंदी के काम में लगे थे।

1984 में इंदिरा जी के निधन के बाद आपके घर पर पथराव हुआ, कर्पूरी जी भी आपके ही घर पर ठहरे थे। आप दोनों ने किसी तरह जान बचाई शायद चौधरी साहब के घर जाकर। बहरहाल, चौधरी चरण सिंह जी ने बिजनौर के उपचुनाव में आपको बिहार से यूपी बुला लिया। मीरा कुमार जी और मायावती जी भी उम्मीदवार थीं। आप मीरा कुमार जी से तकरीबन 5 हजार मतों से कडे मुकाबले में हार गये।

लोकदल में जिला महासचिव व जनता दल में जिला उपाध्यक्ष रहे मेरे पिताजी हलधर प्रसाद एक वाकया सुनाते हैं कि चौधरी चरण सिंह जी से मिलने दिल्ली स्थित उनके आवास पर कर्पूरी ठाकुर जी पहुंचे। देखा कि आप वहाँ पहले से बैठे हुए हैं। जिस आदमी ने स्कूटर से कर्पूरी जी को वहाँ पहुँचाया था, उसे तीस रुपये देने थे। उस वक़्त कर्पूरी जी के पास पैसे नहीं थे। उन्होंने आपसे कहा कि इसको तीस रुपये दे दीजिए। मगर अफ़सोस कि आपके पास भी पैसे नहीं थे। तो आपने अपने साथ बैठे अवधेश जी की ओर देखा। फिर अवधेश जी ने जेब से निकाल कर पैसे दिये। तो ऐसे फक्कड़ थे तब के हमारे समाजवादी नेता। आज अफ़सोस कि

“The world is weary of statesmen whom democracy has degraded into politicians.”
(Benjamin Disraeli in Sybil)

1989 में बनी नेशनल फ्रंट सरकार में मंडल कमीशन की रिपोर्ट जिस मंत्रालय के पास थी, उसकी लेटलतीफी देखते हुए सरकार के मुखिया वीपी सिंह जी ने रपट को देख-परख कर उस पर त्वरित निर्णय का जिम्मा आपके मंत्रालय पर डाल दिया, और बडे मनोयोगपूर्वक उस काम को आपने सेक्रेटरी पीएस कृष्णन जी की मदद से समय से पहले पूरा करके प्रधानमंत्री को दे दिया। उस वक्त आपका श्रम, रोज़गार व कल्याण मंत्रालय आज के 6 छोटे-छोटे मंत्रालयों को मिलाकर एक बडे मंत्रालय की शक्ल में था।

मंडल आंदोलन के दौरान यथास्थितिवादी लोग आप पर, लालू जी व शरद जी पर फब्तियाँ कसते थे, “राजा साहब (वीपी सिंह जी) तो ठीक आदमी थे, दुसधा और अहिरा ने मिल कर उनको बिगाड़ दिया”।

बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत रत्न दिलाने में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के मंत्री के रूप में आपका बडा योगदान रहा। पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में उनका चित्र लगे, इसमें भी आपकी महती भूमिका रही।

1991 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर में जब आपका बहुत विरोध होने लगा, तो आपने खुद को रोसडा शिफ्ट कर लिया, और वहाँ से जीते। आप कुल 8 बार लोकसभा का चुनाव जीते (7 बार हाजीपुर से, 1 बार रोसडा से)। लोकसभा का कुल 12 चुनाव आपने लडा। हाजीपुर से आप कुल 9 बार लडे जिसमें 7 बार जीते; 1984 व 2009 में हार गये। रोसडा से 1 बार लडे, और जीते। बिजनौर (यूपी) से 1 बार उपचुनाव लडे, और हारे। हरिद्वार (यूपी) से एक बार उपचुनाव लडे, और हारे। आप 2 बार राज्यसभा सांसद रहे।

रामविलास जी, युनाइटेड फ्रंट सरकार में आप लोकसभा में सदन के नेता थे। देवगौडा के कार्यकाल में आपको नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर माना जाता था। जब युनाइटेड फ्रंट के नेता को बदला जा रहा था, तो एक रात पहले तक आप चट्टानी ताक़त के साथ देवगौडा जी के लिए वकालत कर रहे थे, मगर जब घटक दलों ने गुजराल जी के नाम पर मुहर लगा दी, तो सुषमा जी ने आपको सदन में घेरा। इस पर आपने प्रत्युत्पन्नमति से कहा, “सुषमा जी, कल को आपका दल अटल जी की जगह आडवाणी जी या मुरली मनोहर जोशी जी को नेता चुन ले, तो क्या आप दल छोड़ देंगी?”

आप जिस भी मंत्रालय में रहे, शानदार काम किया। देवगौडा-गुजराल की युनाइटेड फ्रंट सरकार में हाजीपुर (बिहार) और जबलपुर (मध्यप्रदेश) में जोनल अॉफिस आपकी ही देन है। बाद की एनडीए सरकार में हाजीपुर के जोनल अॉफिस को उठाकर ममता बनर्जी कलकत्ता ले जाना चाहती थीं, जिस पर आप अटल जी के सामने अड़ गये। ममता जी ने बहुत ज़ल्द तुनक कर इस्तीफा दे दिया। आप अक्सर कहते थे, “Where there’s will, there’s railway, where there’s no will, there’s survey.”

जब आप रेलमंत्री थे, तो रेलवे की परीक्षा में आपकी ठकुरसुहाती के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड के एक चेयरमैन ने एक प्रश्न सेट कराया कि निम्नांकित उक्ति किनकी है?

“मैं उस घर में दिया जलाने चला हूँ, जिस घर में सदियों से अंधेरा है।”

किसी मसले पर एक बार तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा से मिलने सौ से अधिक सांसदों का एक बडा दल गया, काफी इंतजार करने के बाद वे सभी लौट आए। तब आपने क़सम खाई थी कि जब तक इस राष्ट्रपति भवन में कोई दलित नहीं बैठ जाता, तब तक आप प्रेजिडेंट हाउस में क़दम नहीं रखेंगे। और, फिर जब जनता दल की अगुवाई वाली युनाइटेड फ्रंट की सरकार 1996 में वाम दल और कांग्रेस के समर्थन से बनी, तो के. आर. नारायणन राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। नारायणन जी ने बिहार में हुए लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को राष्ट्रीय शर्म बताया था। उपराष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को “महात्मा गांधी की हत्या के बाद देश में हुई सबसे बड़ी त्रासदी” करार दिया था।

रामविलास जी, आपने 1991 में आरएसएस की ज़हरीली फिरकापरस्ती के खिलाफ़ बहुत ज़रूरी व मानीखेज़ तक़रीर की थी, “भिंडरवाला और आडवाणी में क्या अंतर है? भिंडरवाला ने राजनीति शुरू की थी स्वर्णमंदिर से, और आप राजनीति शुरू कर रहे हैं मंदिर से। पूरा का पूरा लग रहा है कि जैसे पार्लियामेंट को ठकुरबाडी बनाया जा रहा है। पार्लियामेंट में संविधान बनेगा, ग़रीब के लिए कानून बनेगा कि घडीघंट डुलाया जायेगा? जितने बाबा लोग हैं, सबको पकड़-फकड़ के लाया जा रहा है वहाँ। तो जब आज पौधा लगाइएगा वो, तो इसका रिज़ल्ट कल क्या होगा? और अब तो मान लेते हैं कि उत्तरप्रदेश में इनकी सरकार बनने वाली है, जाकर के मस्जिद को तोड़ दें!”

बहरहाल, जनता दल में 1997 में हुए विभाजन के बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में पूरे बिहार में लालू जी के राष्ट्रीय जनता दल की लालटेन के आगे जनता दल का चक्र छाप बुरी तरह प्रभावहीन हुआ। उस आम चुनाव में जनता दल के टिकट पर पूरे बिहार की 54 सीटों में से जीतने वाले इकलौते उम्मीदवार आप थे, वो भी इसलिए कि समता पार्टी ने आपके खिलाफ़ उम्मीदवार नहीं दिया था। और, यहीं से दल को चलाने व जिंदा रखने के नाम पर आपके और शरद जी के एनडीए में जाने का किस्सा शुरू होता है। वैसे, सबसे पहले दक्षिणपंथी धडे में जॉर्ज फर्णांडिस गये, फिर मान्यवर कांशीराम जी, तब नीतीश कुमार जी, उनके बाद रामकृष्ण हेगड़े जी, फिर आप और शरद यादव जी साथ-साथ।

1998 की 13 महीने की वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार चली नहीं। खुद लाल कृष्ण आडवाणी जी आपके घर पर आये, और सरकार को बचा लेने के लिए आग्रह किया, मनचाहा मंत्रालय अॉफर किया, मगर आप टस से मस नहीं हुए, 1 वोट से सरकार गिरा दी। लेकिन 1999 के चुनाव में शरद जी की अगुवाई वाले आपके जनता दल ने एनडीए में जाना स्वीकार किया, जिससे रुष्ट होकर एचडी देवगौडा जी ने अपना अलग दल जनता दल (सेक्युलर) बना लिया।

एक दल के टुकड़े हज़ार हुए
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा।

लम्बी दास्तां है, क्या कहूँ क्या छोडूँ…

6 प्रधानमंत्री – वीपी सिंह, एचडी देवगौडा, आइ.के. गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की 7 सरकारों में आपने क्रमश: श्रम, कल्याण व रोज़गार, रेल व संसदीय कार्य, दूर संचार, रसायन, उर्वयक व इस्पात, और खाद्य व उपभोक्ता मामले का मंत्रालय संभाला।

जब 1999 में आप दूर संचार मंत्री बने, तो गाँव-गाँव में टेलिफोन का जाल आपने बिछा दिया, और भागलपुर की एक सभा में आपने कहा, “जो सेलफोन अम्बानियों के हाथों का खिलौना था, उसे हमने मंगरू काका के हाथ में थमा दिया। हमने कहा था कि एक दिन यह मोबाइल बैगन नहीं रमतोरई (भिंडी) के भाव में बिकेगा, और आज वही हो रहा है”। एक बार एक डोम समाज के व्यक्ति ने रास्ते में आपकी गाडी रोकी, और आपको अपनी व्यथा सुनाई कि कोई उसे पानी भरने नहीं देता। आपने उसके घर में टेलिफोन लगवाया, चापाकल गड़वाया, और ऐसा हुआ कि गाँव भर के सभी जाति के लोगों के रिश्तेदारों के यहाँ से फोन उन्हीं के यहाँ आता था, और लोग उनके घर आकर अपने सगा-संबंधी से बात करते थे। आपकी लोकप्रियता देख कर प्रमोद महाजन ने वाजपेयी का कान भर कर संचार मंत्रालय खुद ले लिया, और आपको कोयला व खान मंत्रालय थमा दिया गया।

2002 में गुजरात में जब दंगे भड़के, तो आपने विरोध में सरकार से इस्तीफा दे दिया। बाद के दिनों में भारत से जब एक शिष्टमंडल पाकिस्तान गया, तो जनरल मुशर्रफ़ से आपने कहा, “मैं वही रामविलास पासवान हूँ जिसने गुजरात दंगे के विरोध में वाजपेयी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया”। पर, इसे विडंबना ही कहेंगे कि आप उसी नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में दो बार मंत्री बने।

बहरहाल, जब आप यूपीए सरकार – 1 में रसायन मंत्री थे, तो जीवनरक्षक दवाओं की अपच कीमतों को घटाने का फैसला आपने लिया। जिस कैंसर के टैबलेट की कीमत 300-400 थी, उसे आपने 19-20 से 34-35 रुपये करना चाहा, मगर कमलनाथ जी ने अडंगा लगा कर ऐसा होने नहीं दिया।

रामविलास जी, आप किसी बात को गाँठ बाँध कर नहीं रखते थे। जब सब जगह प्रचार खत्म कर लेते थे, तो आप अलौली आते थे, और बहुत भावनात्मक ढंग से कहते थे,
“हाथी चले गाँवे-गाँव
जेकरे हाथी ओकरे नाँव”।

और, फिर पशुपति पारस जी से खफा सारे लोग गिले-शिकवे भुला डालते थे। लालू जी हमारे इलाके में आपके बुलावे पर 90, 91, 95, 96, 2004, 2009 और 2010 में आये। 2014 में भी चिराग़ एनडीए के पक्ष में थे, आप पासवान जी नहीं। लेकिन, धीरे-धीरे पुत्र की राय पर आप मुहर लगाते गये, और एक दिन पार्टी की बागडोर उन्हें सौंपकर आप निश्चिंतता के भाव को जीने लगे।

खगडिया, सहरसा, दरभंगा व समस्तीपुर – इन चार जिलों को जोड़ने के लिए आपने फुलतोडा में बडे पुल का निर्माण कराया। यही वह जगह है जहाँ बहुत-सी जानें एक नाव दुर्घटना में असमय काल-कवलित हो गई थीं।

2005 में जब आपके दल को बिहार विधानसभा में 29 सीटें हासिल हुई थीं, तो टीएनबी कॉलेज, भागलपुर के फिजिक्स के प्रोफेसर प्रसन्न शंकर मिश्र जी ने क्लास में मजाक में मुझसे कहा था, “खगडिया से हो, रामविलास पासवान के इलाके से? फिर तो तुमसे डरके रहना पडेगा। रंजीत डॉन तक को उनकी पार्टी से टिकट मिलता है। बडे-बडे बाहुबली जीत कर आये हैं।” मैंने कहा कि सर उनकी पार्टी से मेरा वास्ता नहीं है।

उस बार सत्ता की चाभी लम्बे समय तक आपने अपने पास रखी। और, जब तक आपने राबडी जी को समर्थन देने का मन बनाया, तब तक देर हो चुकी थी। आपकी पार्टी की प्रदेश इकाई को पॉकेट में लेकर चलने वाले नरेंद्र सिंह को भनक लग गई, और उन्होंने सारे छाँट को अपने साथ ले जाकर गाय-भैंस की तरह नीतीश जी की मंडी में बिकवा दिया। बकौल नीतीश कुमार, “बंगला भूतबंगला में तब्दील हो गया”। आज वही 2005 का भूत नीतीश जी की नींद हराम किये हुए है। पर, अफ़सोस कि आज आप नहीं हैं।

रामविलास जी, कभी-कभी लगता है कि ये “नैतिकता”, “शुचिता”, “शर्मो-हया”, आदि-इत्यादि को बिहार की चुनावी राजनीति के शब्दकोश से निकाल देना चाहिए। इस क्रीडांगन में बहुतों ने बहुतों को किसी-न-किसी मोड़ पर छला है। जीतना किसी पार्टी के टिकट पर, चले जाना किसी और के दर पर… खेल के सारे तयशुदा नियम ध्वस्त होते रहे हैं, रामविलास जी।

जब आप यूपीए में थे, तो एचडी देवगौडा जी के बेटे एचडी कुमारास्वामी ने पिता की इच्छा के विरुद्ध भाजपा के साथ मिल कर सरकार बना ली। देवगौडा जी दिल्ली आये थे सोनिया जी से मिलने, उधर बंगलोर में पुत्र द्वारा खेल हो चुका था। तब आपने मर्मसपर्शी बयान दिया था, “लोग बहुत ज़ल्दी में हैं। मुझे अपने भाई पारस जी पर फख्र होता है जिनके पास उपमुख्यमंत्री बनने का विकल्प था। पार्टी का कामकाज वही देखते हैं। मगर उनका मन ज़रा नहीं डोला। उन्होंने हमेशा मेरी इच्छा का सम्मान किया है”।

याद आ रहा है, लालू जी से गठबंधन होने पर मैंने आपके साथ दो बार मंच साझा किया था। भाई-भाई में प्रेम व परस्पर सम्मान कैसा हो, उसकी एक आदर्श मिसाल आप रहे। आप “न्याय चक्र” पत्रिका के आजीवन प्रधान सम्पादक रहे, इस बात की मैं बारहा तारीफ करता रहा हूँ। जब 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे के दिन एबी वर्द्धन जी ने आप पर अपमानजनक टिप्पणी की, तो मैंने प्रतिकार किया था। जब आप पर मेरे दल के एक सांसद ने 2018 में अनपेक्षित अनावश्यक प्रतिक्रिया दी, तो मैंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए। तमाम खूबियों और खामियों के साथ आप दिल के साफ़ व्यक्ति थे। इसीलिए, 2014 के चुनाव के ठीक पूर्व लालू जी ने कहा था, “रामविलास जी भले और भोले आदमी हैं। उन्हें मिसलीड किया गया”। बहुत कुछ कहने को है, पर कई भाव उमड़-घुमड़ रहे।

अक्सर अपनी सभाओं में आप डॉ. लोहिया द्वारा संसोपा में दिया नारा दुहराते रहते थे:

संसोपा ने बांधी गाँठ, पिछड़ा पावे सौ में साठ,
राजपाट है किसके हाथ, अंग्रेज़ों और ऊँची जात।
ऊँची जात की क्या पहचान, गिटपिट बोले करे ना काम,
छोटी जात की क्या पहचान, करे काम और सहे अपमान।

अंग्रेज़ यहाँ से चले गए अंग्रेज़ी को भी जाना है,
अंग्रेज़ी में काम ना होगा फिर से देश ग़ुलाम ना होगा।

राष्ट्रपति का बेटा हो या चपरासी की हो संतान
बिड़ला या ग़रीब का बेटा सबकी शिक्षा एक समान।
करखनिया दामों की क़ीमत आने ख़र्च से ड्योढ़ा हो,
अन्न के दाम की घटती-बढ़ती आने सेर के भीतर हो।

जो ज़मीन को जोते है
वो ज़मीन का मालिक है,
ज़ुल्म करो मत ज़ुल्म सहो मत,
जीना है तो मरना सीखो
क़दम-क़दम पर लड़ना सीखो।

आज इसके सरलार्थ के बजाय भावार्थ को समझे जाने और उस पर अमल किये जाने की ज़रूरत है।

लोग एकाध साल में धैर्य खो बैठते हैं। मगर रामविलास जी, 30 वर्षों तक अनवरत आपने सिर्फ़ सोशल जस्टिस की राजनीति की। मुझे 1969 से लेकर 17 अप्रैल 1999 तक वाले रामविलास जी बहुत अजीज़ रहे, और मुझे इस बात का संतोष है कि मुर्दागिरी के इस देश में यह बात मैं आपके जीते जी भी दुहराता रहा। आपके एनडीए में जाने के बाद कभी 12, जनपथ की ओर रुख नहीं किया। पर, इंसान चला जाता है, और गिले भी उन्हीं के साथ समाप्त हो जाते हैं। इस बात का मलाल रहेगा कि रेलमंत्री रहते जिस खगडिया-अलौली, अलौली-सलौना व अलौली-कुशेश्वर स्थान रेल लाइन का शिलान्यास आपने 1997 में किया था, उसका उद्घाटन आप जीते जी नहीं देख सके। उस शिलान्यास सभा में मैं मौजूद था जिसमें माँ के निधन हो जाने के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौडा जी नहीं आ सके थे। आप कुछ दिन और जीते, तो अपनी जन्मस्थली पर रेल को दौड़ता देख बहुत पुलकित होते! इस बार घर आया, तो तेज़ गति से चल रहे निर्माण-कार्य को देखने कई रोज़ गया, और बरबस आपको याद किया। गुजिश्ता बरस आपके सबसे छोटे भाई रामचंद्र जी गुज़र गये, उसके बाद आप आप नहीं रह गये थे। अंदर-अंदर कुछ दरक रहा था। और अब इतनी ज़ल्दी आपका जाना…

कहते हैं, “आदमी जन्म लेता है, माँ की गोद से लुढ़क कर चलना सीखता है, फिसलते-फिसलते जवान हो जाता है, सँभलते-सँभलते बूढा, और फिर तो लुढ़क कर अलविदा!” 52 साल की सक्रिय सुदीर्घ सियासी पारी आपने खेली। बहुत कुछ कहने को है। फिर कभी…

मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोस
यूँ तो दुनिया में सभी आये हैं मरने के लिए।

अलविदा, रामविलास जी!
जयन्त जिज्ञासु(लेखक जेएनयू के शोधछात्र है और पासवान जी के लोकसभा क्षेत्र के निवासी हैं)
08.10.2020

प्रथम प्रयास में डिप्टी एसपी पद पर चयनित हुई पासी समाज की मंजरी राव

चयनित डिप्टी एसपी मंजरी राव

प्रयागराज सोरांव / उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग-2018 की परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित किया गया । सोरांव तहसील के ग्रामसभा कुरगांव की निवासी मंजरी राव का चयन डिप्टी एसपी पद के लिए हुआ हैं ।

इनके पिता स्व. यशवंत राव जी वाराणसी जनपद के कई थानों के थाना अध्यक्ष रह चुके थे । जो विधि के जानकार एवं अच्छी छवि के पुलिस अधिकारी थे। वर्ष 2016 में सोनभद्र में तैनाती के दौरान पिता यशवंत शहीद हो गए थें ।

लगभग हर पुलिस का अधिकारी अपने बच्चों को अपने से बड़े पुलिस अधिकारी के तौर पर देखने के लिए सपने बुनता रहता हैं । यशवंत भी यहीं सपना देख रहें थें । संयोग हैं कि बेटी की सफलता की खुशी मानने के लिए उनका शरीर नही है।

कुमारी मंजरी राव की शिक्षा वाराणसी मे बीएचयू से हुई है , इन्होंने अपने प्रथम प्रयास में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा मात्र 23 वर्ष की अवस्था मे डिप्टी एसपी पद पर चयनित होकर अपने परिवार सहित पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

दिवंगत पिता के सपनो को साकार करने वाली बहादुर बिटियाँ मंजरी राव को बहुत-बहुत बधाई व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं

पासी महासभा के जिला अध्यक्ष सहित बहुजन अवाम पार्टी के उपाध्यक्ष कांग्रेस में शामिल

प्रयागराज /उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष आलोक पासी एवं पूर्व विधायक राम सजीवन निर्मल , प्रदेश उपाध्यक्ष ने संगठन के विस्तार में प्रयागराज के सर्किट हॉउस में कांग्रेस जनो के साथ बैठक किया । जिसमें मुख्य रूप में प्रदेश के दलितों पर हो रहें हमलों पर विस्तार से चर्चा की गई ,साथ ही दलित समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाने की बात कही गई ।

इस दौरान कांग्रेस पार्टी में अनुसूचित जाति जनजाति की भागीदारी को देखतें हुए बहुजन अवाम पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भुलई राम पासी और अखिल भारतीय पासी महासभा के प्रयागराज जिला अध्यक्ष फूलचंद सरोज ने अपने अपने दर्जनों समर्थकों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया ।

सर्किट हाउस के सभागार में हुई बैठक में प्रदेश महाचिव अनुसूचित विभाग राजेश कुमार ,राकेश , आरके गौतम ,जिला अध्यक्ष गंगापार राम किशुन पटेल , शहर अध्यक्ष राम मनोरथ सरोज , जिला प्रवक्ता डॉ अजय प्रकाश सरोज , जिला सचिव दिवाकर भारती ,कांग्रेस नेता अमर सिंह गौतम एडवोकेट , बृजेश गौतम , भोला तिवारी , इरसाद उल्ला , कामेश्वर सोनकर , वरिष्ठ नेता किशोर वाष्र्णेय , सभासद मीरा देवी, कंचन देवी, राकेश पटेल, रितेश कुमार, सुनील कुमार , परमेश्वर चौधरी , फूलचंद पासी, विमलेश ,अश्विनी रॉय ,नागेंद्र आदि पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल रहें ।

प्रसिद्ध कथाकार बृजमोहन का असमयिक निधन होना साहित्य क्षेत्र में बड़ी क्षति है

प्रयागराज: झाँसी के प्रसिद्ध कथाकर बृज मोहन के असमयिक निधन हम सबको झकझोर दिया । आपके परिवार से मेरे बेहतर रिश्ते हैं पांच वर्ष पूर्व झाँसी गया तो उनके आवास की छत नसीब हुई और परिवार के साथ चर्चा में ऐसा मसगूल हो गया कि जैसे हम कई वर्षों के सम्बधी रहें ।

आंटी मनोरमा मोहन ,बेटी Medhavini Mohan जी बेहद संजीदा महिला हैं । दोनों साहित्य जगत में रुचि रखतीं हैं । मेधाविनी जी तो पत्रकारिता/लेखन क्षेत्र में पिता से भी आगें है ।

सूचना तो कल मिल गई थीं लेकिन आज सुबह तड़के ही चर्चित साहित्यकार सीबी भारती जी का फोन आया तो उन्होंने विस्तार से बताया ।

कथाकार बृज मोहन अंकल का जाना साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति है.आपका मदारी पासी के जीवन संघर्ष पर लिखा गया उपन्यास ‘क्रांतिकारी मदारी पासी’ सबाल्टर्न साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है.जिसे कुछ अध्याय को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने पाठ्यक्रम में शामिल किया है।

स्व.बृज मोहन जी अस्वस्थता के बावजूद 1857 की क्रांति की ” महानायिका वीरांगना ऊदा देवी पासी ” पर उपन्यास लिख रहें थें । कुछ दिन पूर्व बात चीत में उन्होंने बताया चार पांच अध्याय तक लिख चुका हुँ । अब यह काम बेटी मेधाविनी ही पूरा कर सकती हैं । उम्मीद है वह ऐसा करेंगी ..

इसके अलावा इनकी लिखित कहानियों में सबसे चर्चित ” नौ मुलाकातें तथा ‘ मोपेड वाली लड़की ‘ जैसे बेहतरीन कहानी सँग्रह आपके साहित्यिक खाते में दर्ज हैं ।

यह कम लोग जानतें है कि संजय लीला भंसाली को ‘ बाजीराव मस्तानी ‘ पर फ़िल्म बनाने का विचार और सुझाव उन्होंने ही दिया । बुंदेलखंड की ऐतिहासिक कहानी को उन्होंने बेहतरीन ढंग से लिखा है जो आहा ! जिंदगी में छपा । जिससे प्रेरणा लेकर फ़िल्म बाजीराव पर्दे पर आई ।

अंकल आपका जैविक शरीर भले ही न रहा लेकिन आप हम सबके स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगे । सादर नमन…

(अजय प्रकाश सरोज की फेसबुक वॉल से साभार )

अखिल भारतीय पासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष राघो चौधरी जी का निधन

बिहार / अखिल भारतीय पासी समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवम अपर जिला समाहर्ता के पद से अवकाश प्राप्त माननीय श्री राघो चौधरी जी का निधन आज दिनांक 11 अगस्त 2020 को प्रातः हो गया वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे हाल में उन्हें कोरोना हो गया था।एक लंबे समय तक उन्हों ने पासी समाज के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके थे वे सबसे पहले अपनी नोकरी की शुरुआत रेलवे से की और रेल में गाड़ी लिपिक के पद पर थे बाद में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन से परीछा पास कर बी दी ओ के पद पर योगदान दिए और प्रोन्ती पाकर एडीएम के पद से अवकाश प्राप्त किये वे पासी समाज के गार्जियन के नाम से फेमस थे ।उन्होंने अपने जीवन मे एक सफल व्यक्ति रहे उन्होंने जो चाहा उसी तरीका से संगठन का संचालन किया जो लोग उनके बात नही मानते वे लोग बाहर का रास्ता देखते थे जिसके परिणाम में बिहार में पासी समाज की कई संगठन हो गया श्री राघो चौधरी पासी समाज के वैसे नेता थे जो राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद तक गए इन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष आर ए प्रसाद द्वारा पासी रत्न से सम्मानित किया था।

इनके सहयोग से बिहार में कई लोगो को पासी रत्न मिला आज इनके निधन से पासी समाज को बहुत ही क्षति हुआ है , इनके कमी को नही पूरा किया जा सकता है । अखिल भारतीय पासी महासभा इनके निधन से काफी दुखी है और इनके आत्मा को शांति मिले इसके लिए इस कोरोना काल मे अखिल भारतीय पासी महासभा के सभी सदस्य सभी पदाधिकारी जहाँ भी है ।संध्या चार बजे दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा के प्रति सच्ची श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस विकट परिस्थिति में अखिल भारतीय पासी महासभा उनके समस्त परिवार के साथ है ईस्वर परिवार को इस दुःख की घड़ी में दुःख सहन करने की क्षमता दे ।

नाबालिग पासी लड़की के अपहरणकर्ताओ पर मेहरबान पुलिस पर भड़के राष्ट्रीय भागीदारी मिशन के कार्यकर्ता

रायबरेली : राष्ट्रीय भागीदारी मिशन जनपद रायबरेली के तत्वाधान में आज जिला अध्यक्ष यशपाल एडवोकेट एवं जिला प्रभारी सुरेंद्र मौर्य के नेतृत्व में अनुसूचित जाति पिछड़ों पर हो रहे जुल्म अत्याचार व प्रशासनिक अधिकारियों को लगातार दे रहे प्रार्थना पत्र में सार्थक कार्यवाही ना किए जाने के संबंध में पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया गया।

गौरतलब है की ग्राम व पोस्ट मोन थाना कोतवाली महाराजगंज प्रार्थी राम प्रकाश पासी पुत्र सुखई की नाबालिग पुत्री जो लगभग 13 वर्ष की है एवं कक्षा 6 की नियमित छात्रा है का अपहरण दिनांक 2 फरवरी 2020 को हुआ था । यह अपहरण शैलेंद्र सिंह द्वारा जो कि मोन के ही निवासी है, माताफेर सिंह के पुत्र है अपराधिक प्रवृत्ति का शैलेंद्र सिंह जिसके ऊपर लगभग एक दर्जन मुकदमे दर्ज है । जिसमें से 323 ,504,506,225 ,506,354 समेत कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं । प्रतिपक्ष द्वारा लगातार वादी पर दबाव बनाया जाता है व जान से मारने की धमकी दी जाती है । शैलेंद्र सिंह की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है जबकि उस अपराध में तीन अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो की गई हैं , शैलेंद्र सिंह मुख्य आरोपी है ।

प्रार्थी कई बार प्रार्थना पत्र दे चुके हैं लेकिन जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है मिशन के नेताओ की प्रमुख मांगों में यह भी है कि विवेचना किसी दूसरे सर्किल के क्षेत्राधिकारी से करवाई जाए ।राष्ट्रीय भागीदारी मिशन के पदाधिकारियों द्वारा मांग किया कि भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा व उसके मौलिक अधिकारों का हनन न होने पाए राष्ट्रीय भागीदारी मिशन पूरी तरह से कानून नियमों को मानने वाला है राष्ट्रीय भागीदारी मिशन द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा है कि यदि पीड़ित व्यक्ति को 15 दिन के भीतर न्याय नहीं मिला तो वह सोशल डिस्टेंसिंग के मद्देनजर प्रांगण में आन्दोल लिए बाध्य होगा।इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष व तिलोई विधानसभा के प्रभारी मोहम्मद उमर विधान सभा के प्रभारी योगेश जी, सदर विधानसभा अध्यक्ष शिव प्रसाद एडवोकेट जी समेत तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे।

नाबालिग रेप पीड़िता को पैसा ,जमीन और अनाज देकर बलात्कारियों को बचाने में लगी पुलिस

कौशांबी – थाना पिपरी के गांव भोजपुर में खेत में चारा काटने गई एक नाबालिक दलित लड़की का गांव के ही भगवत प्रसाद मिश्रा और संतोष सिंह नामक शादीशुदा युवकों ने सामूहिक रेप किया और जब पीड़िता के घर वालो ने पिपरी थाने में शिकायत की तो पिपरी पुलिस आरोपियों पर केस दर्ज कर पीड़िता का मेडिकल कराने के बजाय पीड़िता के भाई और पिता को सुलह समझौते के लिए दबाव बनाते हुए पीड़िता के घरवालों से बोली कि आप लोग पैसे, जमीन और अनाज लेकर समझौते कर लो वरना बाद में लड़की की शादी होने में समस्या होगी और बदनामी भी होगी ।

जब पीड़िता के घर वाले समझौते से मना कर दिए तो पिपरी पुलिस ने पीड़िता के भाई और पिता को थाने में बंद कर दिया और फर्जी मुकदमे में जेल भेजने की धमकी देने लगी और आज तक लड़की का मेडिकल नहीं कराया गया, पिपरी पुलिस आरोपियों को बचाने में लगी हुई है।

कौशांबी : गुहौली गोलीकांड में पीड़ित दलित परिवार से मिला कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल

●भाजपा सरकार में दलितों,मजलूम पर बढ़ा है अत्याचार- कांग्रेस

कौशांबी- पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर शनिवार को छः सदस्य प्रतिनिधिमंडल सराय अकिल थाना क्षेत्र के अकबराबाद गोली गांव में पीड़ित दलित(पासी) परिवार से मिला और उनकी समस्या को जाना। प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के पूर्व विधायक राम सजीवन निर्मल, प्रदेश सचिव विवेकानंद पाठक, अनुसूचित जाति विभाग के महासचिव आरके गौतम, जिलाध्यक्ष अरुण विद्यार्थी, महिला कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अमिता सिंह, पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष तलत अजीम, देवेश श्रीवास्तव , नैयर रिजवी, विनोद चौधरी,शामिल रहे।

इस मौके पर बोलते हुए पूर्व विधायक राम सजीवन निर्मल व आरके गौतम ने कहा कि भाजपा नीत सरकार में प्रदेश में दलितों एवं मजलूमो पर अत्याचारों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सरकार कानून व्यवस्था के मामले में पूरी तरह से फेल रही है। सराय अकिल के गुहौली गांव की घटना भी इसका एक जीता जागती नजीर है। इस मौके पर बोलते हुए जिलाध्यक्ष अरुण विद्यार्थी व जिला प्रभारी विवेकानंद पाठक ने कहा कि गांव में इस घटना में अगड़ी जातियों के लोगों ने दलितों के साथ मारपीट कर अत्याचार किया।

इसके बाद भी दलितों पर ही स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने फर्जी तरीके से मुकदमा लाद कर जेल भेजने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने सारी सच्चाई जमीनी स्तर पर जाकर देखी है। जिसकी सूचना वह आगामी दिवसों में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी जी को देंगे और इस मामले से वह प्रशासन को भी अवगत कराएंगे कि वह दलित पीड़ितों की बात सुने और उनकी ओर से भी मुकदमा दर्ज कराकर गांव के दबंगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। कांग्रेस पार्टी गरीब,मजलूमों,दलित,शोषित,वंचितों की लड़ाई लड़ती रहेगी।

तरुण रावत बनें यूपी कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग में प्रदेश उपाध्यक्ष

यूपी कांग्रेस ने अनुसूचित विभाग की सूची जारी की है, पूर्व मंत्री आरके चौधरी जी के जनसंपर्क अधिकारी व पासी समाज मे चर्चित चेहरा तरुण रावत को प्रदेश उपाध्यक्ष का पदभार सौंपा गया हैं । इसके साथ ही राज्यसभा के सासंद पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया , रामसजीवन निर्मल और योगी जाटव को भी उपाध्यक्ष बनाया गया हैं।

कांग्रेस नेताओं ने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए अनुसूचित जातियों में जातीय न्याय को आधार मानकर भागीदारी सुनिश्चित किया हैं । जिसमे दलित वर्ग में आने वाली सभी जातियों को सम्मयक भागीदारी दीं गई हैं ।

राष्ट्रीय महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में कांग्रेस नें दलितों- पिछड़ो और अल्पसंख्यक को केंद्र में रखकर समाजिक व जातीय न्याय को हथियार बनाकर ब्रह्मणवाद से सीधे टकराने की तैयारी कर रही हैं ।

लेकिन इसके लिए दलितों-पिछड़ों के युवाओं को जातीय पहचान वाली क्षेत्रीय पार्टियों से मोह छोड़कर कांग्रेस के साथ मज़बूती से खड़े होने की जरूरत हैं । पार्टी सूत्रों का मनना है कि प्रियंका गांधी सामाजिक न्याय की मज़बूत वकालत करती है और सुनती भी हैं । जिसके कारण यूपी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा हैं । आने वालें दिनों में पार्टी का संगठन पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा ।

पासी किलें में अवैध निर्माण रोकने पहुँचा पासी नेताओ का दल

प्रदेश सरकार द्वारा महाराजा बिजली पासी के 12किले में शामिल सरोजनी नगर के बिजनौर सरवन नगर में स्थित नथावन किला जो पुरातत्व विभाग द्वारा पूर्व से संरक्षित है। पासी समाज की धरोहर इस किले पर एल डी ए द्वारा गुपचुप तरीके से अवैधरुप से खनन कर बनायी जा रही का सडक का सम्पूर्ण पासी समाज विरोध के साथ मौके पर जाकर काम वन्द करवा दिया तथा आज समाज के दर्जनो पदाधिकारियो ने किला पर पहुंच कर जायजा लिया।

सभी ने मुख्यमंत्री सहित डीएम व पुरातत्व विभाग को ज्ञापन देकर अवैध रुप से हो रहे कार्य को बन्द करवाकर पासी समाज के गौरव को बचाने का निर्णय लिया गया।प्रतिनिधि मंडल में मुख्य रुप से अम्ब्रीश सिंह पुष्कर विधायक मोहनलालगंज ,इन्दल रावत पूर्व विधायक, सपा नेता अनिल पासी ,सुरेश रावत , डीपी रावत ,डा.मोहन लाल पासी, डा. यसवंत सिंह,अनोद रावत सहित दर्जनो पासी समाज के साथी मौजूद रहे।