एक आवाहन ..!


मेरा ह्रदय भावनाओं से भरा हुआ है कि मैं उन्हें व्यक्त करने में असमर्थ हूँ साथियों जब तक करोड़ों व्यक्ति भूखें और अज्ञानी हैं, तब तक मैं उस प्रत्येक व्यक्ति को कृतघ्न ( दोषी ) समझता हूँ जो उनके बल पर शिक्षित बना है, पर उनकी ओर ध्यान नहीं देते। दुखियों के दुख का अनुभव करो जैसे तथागत बुद्ध,महावीर स्वामी, कबीर दास, रविदास जी, ज्योतिबा फुले ,सावित्री फुले और डा० भीम राव अम्बेडकर साहब ने महसूस किया था और गरीबों की सहायता के लिए भगवान बुद्ध तुम्हें सफलता देंगे ही। मैं अपने हृदय में इस वेदना को और मस्तिष्क में इस भार को लेकर वर्षों से भटक रहा हूँ। वेदना भरा हृदय लेकर हजारों लोगों से मिला और इस कार्य हेतु आधा भारत पार कर चुका हूँ कि सहायता प्राप्त हो सके,इस भूखंड में शीत से या भूख से भले ही मर जाऊँ पर हे तरुणों ! मैं तुम्हारे लिए एक वसीयत ( संदेश) छोड़ जाता हूँ। मेरे समाज तथा देश के भावी सुधारकों! मेरे भावी देश भक्तों। हृदय से अनुभव करो ! क्या तुम अनुभव करते हो कि देश के महापुरुषों और महान राजाओं के वंशज आज पशु तुल्य हो गए हैं? …….देश पर अज्ञान के काले बादल छाये हुए हैं ? क्या इस अनुभूति ने तुम्हें बेचैन कर दिया है ? क्या तुम्हारे हृदय की प्रत्येक धड़कन के साथ एक रुप हो चुकी है ? क्या इसी ने तुम्हें पागल या मदहोश सा बना दिया है ? क्या तुम अपने नाम अपने यश ,अपनी पत्नी,अपने बच्चों,अपनी धन सम्पत्ति यहाँ तक कि अपने शरीर को भूला बैठे हो ?

मुझे उस धर्म का अनुयायी होने का अभिमान है, जिसने संसार को सहिष्णुता और विश्व प्रेम की शिक्षा दी है, जिसकी वजह से हमें विश्व गुरु का रुतबा मिला है। हम केवल विश्व व्यापिनी सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं रखते, हम यह भी मानते हैं कि सभी धर्म सच्चे हैं। मुझे उस जाति में उत्पन्न होने का अभिमान है,जिसने अत्याचार पीड़ितों को मतवादियों द्वारा सताये हुए लोगों और पृथ्वी की सब जातियों को आश्रय दिया जिसने समस्त विश्व को ज्ञान दिया जिसने भारत वर्ष को विश्व गुरु होने का दर्जा प्रदान किया आज पूरा विश्व उन्हें मानता है,आज उनका सबसे मोहक मंत्र जो मुझे सर्वप्रिय लगता है आपके सामने रखता हूँ ” अप्प दीपो भव ” अर्थात अपने प्रकाश से प्रकाशवान हो ,अपने ज्ञान से चमको और छा जाओ विश्व पटल पर, उठो साथियों मुझे आपके अन्दर जो चाहिए वो है लोहे की नसें और फौलाद के स्नायु जिनके भीतर ऐसा मन वास करता हो जो कि बज्र के समान पदार्थ का बना हो बल ,पुरुषार्थ , क्षात्रवीर्य और ब्रम्हतेज हो जो दुश्मनों के लिए चट्टान की तरह अडिग हो और गरीबों असहायों के लिए कोमल सहृदय हो जो उनकी मदद ,तरक्की उत्कर्ष के लिए सदैव लालायित रहें ।

धन्यवाद

लेखक -डा० यशवंत सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *