डीसी हॉस्टल : महाशय मसुरियादीन की विरासत

प्रयागराज में मशहूर बालसन चौराहे पर स्थित डीसी हास्टल(D C Hostel) की स्थापना 1952 के आसपास की गई थी। इस जमीन को अनुसूचित जाति के बच्चों को निःशुल्क आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्व बाबू बैजनाथ सहाय श्रीवास्तव ने पूर्व स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व सांसद माननीय मशुरियादीन को दान में दिया था।

जिसमें महाशय मसुरियादीन जी ने प्रथम तल पर १० कमरों का निर्माण किया और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों में पढ़ने वाले निर्धन और गरीब छात्रों को निःशुल्क कमरे देकर उनके पढ़ने और बढ़ने की राह आसान करते रहे।यह हास्टल महाशय मसुरियादीन जी एक सामाजिक संस्था द्वारा संचालित करते रहे।संस्था के द्वारा ही हास्टल का रख-रखाव, साफ-सफाई, बिजली-पानी तथा छात्रों का नामांकन होता था।

यह हास्टल समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुबंधित भी है जिससे समय समय पर अनुदान राशि मिलती रही और उसी पैसे से मेंटिनेंस होता रहता था।यह एससी छात्रों के लिए जो पढ़ने आते थे,प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे और निर्धन गरीब परिवारों से होते थे । उनके लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। इस हास्टल से करीब दो दर्जन अधिकारी, कर्मचारी , अध्यापक, न्यायिक सेवा में सेलेक्ट हुए हैं। यहां नाम देना उचित प्लेटफारम नहीं है। अगर यह हास्टल नहीं होता तो ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं को जो गरीब परिवारों से थे शायद अच्छे पदों पर पहुंचना कठिन होता। प्रयागराज और आसपास के जिलों के छात्रों के लिए यह हास्टल बरदान है।

आज यह हास्टल अव्यवस्था और बद- इंतजामी के आंसू बहा रहा है। जिसके कारण पता करने पर हमें मालूम हुआ कि इस हास्टल का रख-रखाव साफ-सफाई पूर्व में केयरटेकर सुखीराम भारतीय के द्वारा किया जाता रहा। तत्पश्चात श्री प्रकाश चन्द्र कैथवास द्वारा होता रहा जिनकी मृत्यु 2018 में हो गई। स्व प्रकाश चन्द्र कैथवास के समय में ही इस हास्टल में कानूनी अड़चन आ गई । कूटनीति और साजिश के तहत इस जमीन को कोई दो महिलाएं ने 2006 मे दुकानदारों के पक्ष में रजिस्ट्रेशन कर दिया गया।और उनके द्वारा 2010 से लगातार प्रशासन की मिलीभगत से छात्रों को डराने-धमकाने, हास्टल खाली कराने और उसे गिराने की कोशिश जारी है। इसमें केयरटेकर स्व प्रकाश चन्द्र कैथवास की भूमिका संदिग्ध है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है अतः आगे नहीं लिखा जा सकता।

इस कानून साजिश और अड़चन के कारण छात्र परेशान किये जा रहे हैं।इस समय न बिजली है और न ही पानी है।जो जरूरतमंद गरीब छात्र रह रहे हैं उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है।इस बीच बहुत से ऐसे छात्र इसमें है जिन्हें वास्तव में इनको जरुरत नहीं है।वे हो सकता है कहीं नौकरी में भी हों या घर पर हों। उनके कमरे बंद हैं। इसलिए नये छात्र उसमें नहीं रह पा रहे हैं। ऐसे छात्र इन कमरों को तुरंत खाली करें। जिससे नये छात्र नामित किए जा सकें। ऐसे लोगों को खुद सोचना चाहिए कि वे समाज के अन्य छात्रों के साथ अन्याय क्यों कर रहे हैं।

महाशय मसुरियादीन जी के नाम से आज बहुत सारे संगठन सामाजिक और राजनीतिक कार्यों का उल्लेख करते रहते हैं।उनकी जयंती भी जोर-शोर से मनाई जाती है।मेरा ऐसे सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं, वुद्धिजीवियो, हास्टल के सफल पुरा छात्रों,
एडवोकेट समूह से अपील है, निवेदन है कि महाशय मसुरियादीन जी की इस विरासत को बचाने में अपना आर्थिक,वौद्धिक सहयोग करें जिससे समाज के निर्धन और गरीब बच्चे इस आर्थिक मंदी में अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।और उनका भविष्य उज्जवल हो सके।

यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्व बाबू बैजनाथ सहाय श्रीवास्तव जी ने जो सपना देखा था, कि हम इस जमीन को ऐसे नेक कार्य के लिए दे रहे हैं जिससे इस क्षेत्र के एस सी समाज के निर्धन,गरीब बच्चे भी पढ़कर प्रदेश/देश के विकास के अपना योगदान देंगे। मैं समझता हूं कि इस विरासत को बचाकर हम बाबू बैजनाथ सहाय श्रीवास्तव जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
सहयोग और अपेक्षाओं के साथ।

रिपोर्ट –

मोतीलाल कश्यप
प्रयागराज
9455298292

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