रावण-दहन और महिषासुर वध के विरोध में उतरे बहुजन संगठन,सौंपा प्रशासन को ज्ञापन

बक्सर( बिहार) :- पिछले कुछ सालों से देश मे जगह जगह से मूलनिवासी बहुजन संगठनों द्वारा दुर्गापूजा पंडालों में दुर्गा द्वारा महिषासुर वध का प्रदर्शन करती हुई मूर्तियों का और साथ ही साथ रावण के पुतला दहन के विरोध में आवाज उठाया जाता रहा है और ऐसा करने वालो के खिलाफ प्रशासन को ज्ञापन दिया जाता रहा है , वही दूसरी ओर मूलनिवासी संगठनो द्वारा महिषासुर शहादत दिवस मनाने का चलन भी पिछले कई सालों से जोरो पर है इसका स्पष्ट उदाहरण है जेएनयु दिल्ली में महिषासुर शहादत दिवस का मनाया जाना और उस आयोजन में चर्चित राजनीतिक चेहरों का शामिल होना ,हालांकि ये आयोजन देश मे काफी चर्चा का विषय बना और लोकसभा में इस पर काफी बहस भी हुयी , वही इस बार वर्ष 2018 के दुर्गापूजा में महिषासुर वध और रावण पुतला दहन का विरोध जोरदार तरीके से पूरे देश मे किया जा रहा है सभी मूलनिवासी और बहुजन संगठन अपने अपने इलाको से इसका विरोध कर रहे है और इस सम्बंध में प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप रहे है ,इसी कड़ी में बिहार राज्य के बक्सर जिले के तमाम संगठन रावण दहन और महिषासुर वध का विरोध कर रहे है जिसमे कुछ प्रमुख संगठनो का नाम निम्न है।

  • भारत मुक्ति मोर्चा बक्सर
  • दलित अधिकार मंच बक्सर
  • जनहित अभियान बक्सर
  • सत्य शोधक बक्सर

क्या है विरोध की वजह ?

दरअसल इस देश का एक बड़ा तबका मूलनिवासी बहुजन समाज महिषासुर और रावण और तमाम वैसे लोग जिन्हें ब्राह्मण ग्रन्थों में असुर की संज्ञा दी गयी है उन्हें अपना पूर्वज मानते है और उनके प्रति आस्था रखते है और देश के कई हिस्सों में लोगो द्वारा इनकी पूजा भी की जाती है आपको तमाम उदाहरण मिल जाएंगे आदिवासी बहुल इलाकों झारखण्ड, मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,ओडिसा और उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में आज भी लोग इन तथाकथित असुर लोगो की पूजा करते है ,अब ऐसे में मूलनिवासी नायक महिषासुर की प्रतिमा को दुर्गा की प्रतिमा के साथ रखकर उनकी हत्या करते दिखाई जाती है ,रावण का पुतला बनाकर उसे बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जाता है,और साथ ही साथ महारानी ताड़का का भी हत्या करते दिखाया जाता है जिससे मूलनिवासी समाज की भावनाएं आहत होती है ।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म,वंश,जाति, लिंग अथवा जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नही किया जा सकता है ,अतः मूलनिवासी जिन्हें अपना राजा या पूर्वज मानते है उनकी पुतला बनाना और जलाकर अपमानित करना ,प्रतिमा बनाकर उनकी हत्या करते दिखाया जाना,और राक्षस या असुर कहना केवल संस्कृति द्रोह ही नही बल्कि देश द्रोह की श्रेणी में भी आता है और ऐसा कृत्य हरेक साल दुर्गापूजा में बार बार किया जाता है और खुलेआम प्रशासन की उपस्थिति में दिखाया जाता है ,इसे पूर्णतः बन्द करने हेतु बक्सर के संगठनों भारत मुक्ति मोर्चा ,दलित अधिकार मंच ,जनहित अभियान और सत्य शोधक ने प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है ।

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