प्रतिशोध का प्रतीक है वीरांगना फूलन देवी की अमर गाथा

25 जुलाई ​शहादत दिवस पर विशेष} 

राम विलास पासवान को राखी बांधती हुई फूलन देवी

फूलन देवी (10 अगस्त 1963  25 जुलाई 2001) 

वीरांगना फूलन देवी डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न जाति में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनीं।

गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने इसी का बदला लेने की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही। माना जाता है कि पुलिस मुठभेड में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट गई।

आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (ठाकुर) जाति के (ज़मींदार) लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था।

बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

सांसद फूलन देवी जी की अर्थी को कंधा देते मुलायम सिंह यादव

बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से (लोकसभा) का चुनाव जीता और वह संसद पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमिदारों ने बलात्कार किया था।

दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्‍या की। हत्‍या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। 

सांसद फूलन देवी का हत्यारा शेर सिंह राणा

हत्‍या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्‍िलप जारी करके अंतिम हिन्‍दू सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्‍या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उसकी हत्‍या के छींटे उसके पति उम्‍मेद सिंह पर भी आए। हालांकि उम्‍मेद आरोपित नहीं हुआ।

आज 25 जुलाई को उनकी शहादत दिवस पर शत शत नमन

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