सहारनपुर घटना के बाद का सच

आज रात सहारनपुर से घर पहुचे हैं।

दिल में उदासी हैं और कुछ करने का जज्बा भी।

क्योंकि पसमांदा महाज़ की  सहारनपुर सनसिटी की बैठक में सहारनपुर की टीम ने जब शब्बीरपुर के दलितों के साथ हो रहे जुल्म की दास्ताँ को बताया तो लगा कि हम आज भी ऐसे भारत में रहते है जहाँ खुल्लम खुल्ला तलवार के बल गरीब दलितों की कच्ची झोपड़ियों को फूंक दिया जाता है और पुलिस तमाशबीन बनकर देखती है और पखवाड़ा गुजरने के बाद भी हालात साज़गार नहीं होते।

चलो बहरोड़ में मेवात के पहलू ,दादरी के

अखलाख,डीगरहेड़ी में जुहरु परिवार,नॉएडा में कुरेश खानदान् ,अटाली बल्लबगढ़ आदि के लोगो के साथ हो जाये तो कोई ताज़्जुब नहीं क्योंकि वो तो आज दोयम दरजे के नागरिक से भी नीचे का जीवन जीने को मजबूर है।

लेकिन आज भी वो दलित समाज जो आज के हिन्दू समाज का सबसे बड़ा हिन्दू होने का ठेकेदार होने का दावा करता हैं, के साथ ऐसी घटनाओं का होना, हैरानी की बात है।

कल मीडिया ने भी हमसे सवाल पूछा कि ऐसे हालात में आप यहाँ क्यों आये है तो हमने जवाब दिया कि एक दर्दमंद ही दूसरे दर्दमंद का दर्द समझ सकता है,

पसमांदा समाज के साथ ये घटनाएं रोज़ किसी न किसी रूप में घटती है तो हम उस रिश्ते से दलितों के दर्द को समझते है और उसी दर्द को साँझा करने आये है।

आपके मुताबिक हम आग में घी डालने नहीं आये है बलिक इस आग को ठंडा करने आये है जिसे उत्तरप्रदेश की सरकार ठंडा नहीं होने दे रही है।

शब्बीरपुर के उन साहसी दलित वीरो को सलाम करने आये जिन्होंने अपनी बहिन बेटियो की ,वे अपनी घर की इज़्ज़त बचाने के लिए सब कुछ दाव पर लगा दिया।

पसमांदा समाज के रहीस कुरैशी, बाबर गाजी,सलाम अधिवक्ता,इमरान अंसारी व् तमाम टीम ने दलितों के साथ मिलकर जो मदद की और भाईचारे का पैगाम दिया है वो एक नज़ीर हैं।

लेकिन शब्बीरपुर की घटना शायद दलितों को कुछ समझने का मौका देगी।

सहारनपुर के विधायक कॉमरेड संजय गर्ग के यहाँ बुद्धिजीवियो के साथ मीटिंग एक अनोख अनुभव रहा और विधायक को सुनकर लगा कि आज भी इतने सादा और ऊँचे विचारो के लोग राजनिति में मौजूद है और शायद यही वजह होगी कि बीजेपी की लहर में भी वह तीसरी बार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

मेवात के गौरवशाली इतिहास को सुनना हमेशा शुकुन देता है जिसका ज़िक्र सहारनपुर की दोनों मीटिंग्स में जमकर हुआ।

अली अनवर अंसारी के साथ सफर हमेशा सबकांगेज़ होता है और सहारनपुर की मेहमान नवाजी भी हमेशा याद रहेगी।
रमजान चौधरी।

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