सभी पंडित ,पुरोहित और ब्राह्मण ऐसा करने लगे तो हमारी आधी मेहनत कम हो जाएगी !

प्रतीकात्मक इमेज
 
पंडित ने फेरे कराने से किया इनकार तो अनुसूचित परिवार ने बौद्ध परंपरा से कराई शादी

हिसार (हरियाणा): लोकतांत्रिक भारत में बहूजनो के साथ दोयम दर्जे के व्यवहार के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला यहां के बिडमड़ा गांव का है जहां पंडितों ने दलित परिवार की बेटी के फेरे कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद एससी परिवार ने बौद्ध परंपरा से लड़की की शादी कराई। गांव की रविदास सभा ने फैसला लिया कि आगे भी बौद्ध धर्म के तरीके से शादी कराएंगे।      

गांव बिडमड़ा में 24 अप्रैल को एस सी परिवार के मूर्ताराम की बेटी की शादी थी। परिवार ने पंडितों से संपर्क किया तो एक पंडित ने शादी कराने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि मैं थका होने के कारण शादी नहीं करा सकता। दूसरे पंडित ने कहा कि मेरे पास काफी काम हैं। 

तीसरे ने कहा कि मैंने शादी कराई तो समाज के लोग मुझे जीने नहीं देंगे। लड़की की शादी को लेकर परिवार के लोगों के सामने संकट आ गया, जिसके बाद परिवार के लोगों ने फैसला लिया कि बौद्ध धर्म के तरीके से शादी कराएंगे। भीमराव अंबेडकर और गौतम बुद्ध की प्रतिमा रखकर कैंडल जलाई। इसके सामने दूल्हा-दुल्हन को बैठाया गया। दोनों ने एक-दूसरे के प्रति वचन लेकर शादी की रस्म को पूरा किया।

गुरु रविवाद सभा के प्रधान जयभगवान चौहान ने बताया कि 400 के करीब परिवार हैं। इनमें चार सेलवाल, सोड, दहिया, चौहान गौत्र के परिवार हैं। गांव के दलित परिवारों ने फैसला लिया कि जहां तक होंगे, बौद्ध धर्म तरीके से कराएंगे शादी। जयभगवान चौहान ने अपने फेसबुक पर इस खबर को पोस्ट किया है। बताया जा रहा है कि सरपंच के चुनाव के समय से लेकर गांव में जातीय तनाव है।

1 Comment

  1. अच्छा है अब सब ब्राह्मणी संस्कार जैसे पूजा
    श्रद्ध कर्म ईत्यादि का त्याग कर देना चाहिए।
    कर्म काण्ड में अनावश्क खर्च न कर वंचितों
    को बच्चों के पठन पाठन पर खर्च करना चाहिए।
    बाबा साहब ने कहा था “शिक्षा शेरनी का दूध है जो पाएेगा शेर बनके दहाडेगा।
    जय भीम जय भारत।

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