२० मार्च १९२७ महाड आंदोलन , क्रांति की भूमि की एक यात्रा और आज की स्थिति !

आज ही के दिन २० मार्च १९२७ को एक क्रांति हुई थी , एक ऐसी शांति पूर्ण क्रांति जिसने हज़ारों सालों की मान्यताओं को एक झटके से ध्वस्त कर दिया । आज के दिन ही बाबा साहेब ने महाड के तालाब में पानी पी कर मनुवादी द्वारा बनाए नियम क़ायदे ध्वस्त कर दिये और सबको एक ही तालाब में पीने की आज़ादी दी । यह सिर्फ़ पानी पीने की आज़ादी की क्रांति नहि थी बल्कि उस मनुवादी वस्था के ख़िलाफ़ यलगार था जहाँ तालाब में जानवर तो पानी पी सकता था पर ..एक इंसान पानी नहि पी सकता था । 


आज मैं राजेश पासी उस ऐतिहासिक स्थल को महसूस किया जहाँ उसी जगह बाबा साहेब ने मनुवादी वयस्था के ख़िलाफ़ क्रांति की शुरुआत की थी । आज मैं तालाब की उन्ही सीढ़ियों पर मौजूद था जहाँ से कभी बाबा साहेब ने क्रांति की चिंगारी जलाई थी जिसकी धमक पूरी दुनिया में दिखाई दी । आज इस ऐतहसिक स्थल पर मैं राजेश पासी अपने साथियों के साथ उस स्थान के दर्शन के किए । 


हमने उस ऐतिहासिक स्थल को और उस क्रांति को महसूस करने की कोशिश की जिसने इस देश के आने वाले इतिहास को बदल दिया । अब यह छोटा सा गाँव गाँव नहि रह गया है बल्कि शहर में तब्दील हो गया है । आज २० मार्च के दिन लाखों लोग आते है यहाँ बाबा साहेब को याद करने , पर मीडिया में कभी चर्चा नहि होती । प्रशासन से भी कोई ख़ास सहायता नहि मिलती वहाँ के लोकल रहवासी ही और कुछ प्राइवेट कम्पनियाँ रहने और खाने पीने की भी मुफ़्त वस्था करते है .रास्ते में पड़ने वाले गाँवो में जगह जगह लोगों के लिए मुफ़्त जलपान का स्टाल लगाए हुए थे । पूरे महाड में इसे आज भी एक उत्सव की तरह मानते है और क्रांति को याद करते है। देश और प्रशासन भले भूल गए हो पर  लाखों लोग आज भी २० मार्च के दिन यहाँ बाबा साहेब  को याद करने के लिए उनके अनुयायी मौजूद रहते है । – जय भीम , राजेश पासी ,मुंबई 

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