हिंदुत्व के नाम पर मनुवाद का छल, प्रदेश में पहली बार हिन्दु मुख्य मन्त्री ??

दोस्तों आप टीवी चैनल पर देखो या समाचार पत्रों को उठाकर देखो या किसी सार्वजनिक स्थलों पर खड़े होकर देखिए आपको चर्चा का एक ही विषय नजर आयेगा हिन्दू धर्म,हिन्दू समाज,हिन्दू उत्कर्ष,हिन्दूओं का सम्मान, हिन्दू देश,हिन्दू दर्शन,हिन्दू राज्य, हिन्दू आतंकवाद इत्यादि इत्यादि आज के दौर में हिन्दू पर इतनी चर्चा क्यों क्या उ०प्र० की धरती पर पिछले २५ वर्षों से हिन्दू मुख्यमंत्री नहीं था क्या ये राज्य विदेशियों के हाथ में था क्या मुलायम,मायावती और अखिलेश यादव हिन्दू नहीं थे फिर हिन्दू को लेकर इतना भ्रम क्यों फैलाया जा रहा था अब जब भाजपा की सरकार बन रही है तो बिकाऊ मीडिया द्वारा ये दिखाना कि अब हिन्दू एकजुट हुआ है तो सवाल ये है कि जब २००७ मे बहन जी। की सरकार और २०१२ में अखिलेश की सरकार बनी तो क्या हिन्दू एकजुट नहीं था उत्तर मिलेगा शायद नहीं क्यों कि ये तो दलित और महादलित हैं एक शूद्र तो दूसरा महाशूद्र ये तो कभी हिन्दू था ही नहीं जब भी हिन्दू उत्थान की बात आती हैं उसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य का ही नाम आता है भारत में इनकी कुल आबादी लगभग १५%के करीब है इनका उत्थान हिन्दू का उत्थान माना जाता है इनकी प्रगति देश की प्रगति मानी जाती है तो फिर ८५% जनता का देश में क्या योगदान है यह एक विचारणीय प्रश्न है तो साथियों क्या ८५% जनसंख्या को छला जा रहा है ये इसे वर्ग को कब समझ में आयोगा इसका पहले भी शोषण होता रहा है और आगे भी पूरी सम्भावना है कि धोखे मे रख कर शोषण की पूरी पटकथा तैयार की जा चुकी है केंद्र में आपका प्रतिनिधित्व करने वाले वाले कितने कैबिनेट मंत्री हैं तो उमाभारती जैसी कुछ एक हैं जिनकी औकात हिन्दू समाज में वैसी ही है जैसी आदि शंकराचार्य की बौद्ध भारत में थी परन्तु दोनों की जमीन में और विचारधारा में अन्तर है वो हिन्दू धर्म की स्थापना को लेकर प्रतिबद्ध था तो उमा भारती जैसी साधवी अपने समाज को छोड़ उस हिन्दू समाज में घुसपैठ की तैयारी कर रही हैं जिसमें से उन्हें एक न एक दिन बाहर फेंक दिया जायेगा।अब इन कथित हिन्दुओं का तो ये मास्टर प्लान ही रहता है कि “use and throw” जैसा कि केशव मौर्य के प्रकरण से स्पष्ट है अगर ये हास्पिटल में भर्ती नहीं होते इन्हें लगभग निकाल ही दिया गया था खैर इन्हें झुनझुना पकड़ाया गया है ये इन्हें कुछ समय पश्चात् पता चलेगा तब इन्हें समझ आयेगा की हम किसके चंगुल में फंसे हैं।अर्थात आशय स्पष्ट है कि ८५% जनसंख्या को बांटो और उसमें से ५० % जनसंख्या में ऐसा उनमाद फैला दो कि उन्हें हिन्दू जैसे पाखंड के अलावा कुछ याद ही न रहे माननीय प्रधानमंत्री महोदय का कहना है कि महत्मा गाँधी को चम्पारन की घटना ने महत्मा बना दिया तो मैं ये कहना चाहूँगा कि पूना पैक्ट ने उन्हें शैतानों की श्रेणी में भी तो खड़ाकर दिया इसका भी तो वर्णन करो,ये नहीं करेंगे क्योंकि इनकी १५% हिन्दूवादी छवि धूमिल हो जायेगी अगर इनकी सदैव ही यही विचारधारा रही है और ये अब भी उसी लीक पर चल रहे हैं तो ये समॻ देश को साथ कैसे लेकर चलेंगे और देश का विकास कैसे होगा यदि ८५% जनसंख्या के साथ भेदभाव होगा तो भारत वर्ष कैसे प्रगति करेगा सोचिए साथियों सोचिए???????(डॉ यशवंत सिंह सामजिक चिंतक और लेखक )

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