एका आन्दोलन के प्रणेता मदारी पासी के जयंती के अवसर पर फ़ैजाबाद में किया गया उनकी मूर्ति का अनावरण |

फ़ैजाबाद 24 अक्टूबर :- पासी विकाश एसोसिएशन फ़ैजाबाद के तत्वाधान में एका आन्दोलन के प्रणेता किसान आन्दोलन के महान नायक , भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी क्रांतिवीर मदारी पासी के 157वे जन्मदिवस पर रायबरेली रोड नहर क्रासिंग बह्ररैची दास धर्मशाला मसिनिया में समारोह का आयोजन हुआ |समारोह का प्रारंभ क्रांतिवीर मदारी पासी की मूर्ति माल्यार्पण के साथ हुआ |

       विशेष तथ्य :-                                                              

  •       क्रांतिवीर मदारी पासी का जन्म मोहनखेड़ा मजरा इंतौजा तहसील संडीला जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में 24 अक्टूबर विजयादशमी सन 1860 को व उनका परिनिर्वाण 8 मार्च चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी सन 1930 को ग्राम पहाडपुर अटरियाडीह जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में हुआ था |
  •  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा एका आन्दोलन के प्रणेता ,किसान आन्दोलन के महानायक क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान के बावजूद भारतीय इतिहास में उनकी उपेक्षा की गयी |   

इस अवसर पर क्रांतिवीर मदारी पासी की देश में पहली बार स्थापित मूर्ति का अनावरण करते हुए प्रख्यात दलित चिंतक डॉ सी. बी . भारती  ने कहा की तत्कालीन विषम परिवेश में क्रांतिवीर मदारी पासी ने अंग्रेजो व सामन्तों को एका आन्दोलन के माध्यम से कड़ी चुनौती दी थी | क्रांतिवीर मदारी पासी की शौर्यगाथाये यह सन्देश देती है की वीरता ,साहस, और देशभक्ति किसी जाति विशेष की धरोहर नही |क्रांतिवीर मदारी पासी देशभक्त , किसानो के सच्चे मसीहा व दलितों ,शोषितों , वंचितों के सच्चे रहनुमा थे | वह अंग्रेजो व सामंतो के विरुध्द आजीवन लड़ते रहे | महापुरुष हमारे लिए प्रकाश स्तम्भ सदृश होते है जिनकी स्मृतियों से प्रेरणा ग्रहण कर हम अपने सुनहरे सुखद सफल भविष्य का सपना संजोते है | भारतीय इतिहास के पन्नो में क्रांतिकारी मदारी पासी के भी देशभक्ति ,वीरता ,साहस ,संघर्ष व त्याग की शौर्यगाथाये स्वर्णाक्षरो में अंकित होनी चाहिए थी | किन्तु क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान , सामाजिक भेदभाव ,गैर बराबरी , अस्पृश्यता जाती पाती के विरुध्द उनके संघर्ष , किसानो ,दलितों ,शोषितों ,वंचितों  के हक़ हुकुक व उनके उत्कर्ष के लिए किये गये उनके जन आंदोलन व् उनके व्यक्तित्व एवम कृतित्व के मुल्यांकन के प्रति इतिहासविदो की दृष्टि उपेक्षापूर्ण रही | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा एका आन्दोलन के प्रणेता ,किसान आन्दोलन के महानायक क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का अभी समुचित मूल्यांकन नही हो पाया है | इतिहासविदो को जातीय संकीर्णताओ से ऊपर उठकर क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किये गए सम्पूर्ण योगदान को जनमानस के सामने लाने के लिए सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए | क्रांतिवीर मदारी पासी की स्मृतिया हमे आज भी देशभक्ति आत्मगौरव , सम्मान , स्वाभिमान ,उर्जा व स्फूर्ति से भर देती है | अंग्रजो व जमींदारो के विरुध्द क्रांतिवीर मदारी पासी का सशक्त एका आन्दोलन यह प्रमाणित करता है की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दलितों का योगदान किसी से कम नही | कार्यक्रम के आयोजक विजय बहादुर ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी का जन्म मोहनखेड़ा मजरा इंतौजा तहसील संडीला जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में 24 अक्टूबर विजयादशमी सन 1860 को व उनका परिनिर्वाण 8 मार्च चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी सन 1930 को ग्राम पहाडपुर अटरियाडीह जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में हुआ था | हमें क्रांतिवीर मदारी पासी के जीवन–संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए | जो समाज अपने समाज के महापुरुषों , वीरो , वीरांगनाओ व समाज सुधारको की गौरवगाथाओ को याद नही करता , उनके व्यक्तित्व कृतित्व और उनकी शिक्षाओ से प्रेरणा नही ग्रहण करता वह विकाश के पथ पर अग्रसर न हो सकता |

श्री रामदेव ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी का  जीवन परिचय प्राथमिक स्तर से ही पाठ्य पुस्तको में सम्मिलित कर छात्रो को पढाया जाना चाहिए जिससे आज की युवा पीढ़ी उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा ग्रहण कर सके

श्री हरिदार ने क्रांतिवीर मदारी पासी की स्टैच्यु उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ ने लगाए जाने की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की  |

समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री राम अवध सेवानिवृत वरिष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक उत्तर रेलवे फैजाबाद ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी में अटूट साहस , अनूठी नेतृत्व क्षमता व अद्भुत संगठन क्षमता थी | इस अवसर पर श्री अशोक कुमार , पवन कुमार पुजारी , अजयपाल भारती , रामदीन , वासुदेव शनि , अमरजीत ,धर्मेद्र व श्रीमती गंगोत्री आदि ने अपने विचार रखे |

 

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